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Gyanvapi Shand-dha | ज्ञानवापी षंड-धा।
श्रृंगार गौरी जी की साधना के साधक शिव,
विविध प्रभाव छापे ‘ज्ञानवापी’ धाम हो।
जिनकी उपासना को महिमा बखाने जग,
नन्दीश्वर संग जो विराजे आठो याम हो।
काल – काल महाकाल ताल ठोंक खड़े हैं जो,
सदर अदालत दिया सर्वे प्रोग्राम हो।
भेष, निसून सर्वे हित अधिवक्ता चले,
नामित हुये थे सर्वे हित जो जो नाम हो।
कला कृतियों में का फोटोग्राफी लिया जाने लगा,
नोंक-झोंक होने लगा दोनों पक्षकार में।
बात पर बात बढ़ती ही गयी दोनो ओर,
सर्वे काम रोक दिया गया तकरार में।
नंदी महराज सामने मिला था शिवलिंग,
मिल गये बाबा शोर हुआ इजहार में।
मूर्तियों को तोड़ रखा गया तहखाने में था,
ताला नहीं खोला गया ही इन्तजार में।
टूटी मूर्तियाँ मिली अंधेरे में विराजमान,
उसकी रिकार्डिंग हुयी बैटरी प्रकाश में।
मिट्टी डाली नमी मिली दस दिन पहले की,
राज खुला पक्ष और विपक्ष बीच क्रास में।
लोम हर्षक घटना न घट पायी दुनो ओर,
पुलिस प्रशासन साथ दिया इतिहास में।
चुनके दिवाल जो छिपाये माता गौरी जी को,
‘मंगल’ मनाने लगे आस्था के सुभाष में।
जांच टीम संग दोनों पक्षकार साथ रहे,
सुबह दोपहरी से काम को निभाया था।
तहखाना इमेज में बनी जो दीवार रही,
वो श्रृंगार गौरी श्री मूर्ति को छिपाया था।
स्वेत सीमेंट तहखाने में मिला जो भी,
सद्व्यवहार भंग हुआ जो निभाया था।
मंगल’ मुरीद बीच तालमेल हुआ नहीं,
हताशा होने लगी साथ जो भी आया था।
सदी पन्द्रहवीं मूर्ति मिली तहखाने में जो,
भग्नावशेष का भण्डारण वहाँ भाया था।
यत्र-तत्र बिखरे हुए थे मूर्ति चारों ओर,
कुछ सही मूर्तियों को वहां पर छुपाया था।
फोटोग्राफी ली गयी करीने से सजा के इसे,
महमूद औरंगजेब मलवा बनाया था।
सर्वे ऑफ इण्डिया करेगी पहचान इसे,
न्याय प्रिय सर्वे का आदेश जो सुनाया था।
मिले हुए मलबे को छान रही सर्वे टीम,
सत्य दफनाया गया मलबे के ढेर में।
उजागर होते तथ्य कागज पे लाया गया,
बसते में बन्द करवाया गया देर में।
हाल ही में पेंटिंग तहखाने में हुयी है मिली,
किस सदी का है मुल्ला उलझाये फेर में।
कोर्ट के आदेश पर फिर जांच होगा क्योंकि,
दनुज प्रभाव सत्य छ्लें ना अहेर में।
कुछ कला कृतियाँ है कह रही लोगों से,
प्राचीन मूर्तियाँ दबा दी गयी तोड़ कर।
फोटो लिया जाने लगा बरामदा खम्भों का है,
रोशनी नीलाम हुयी शिव – धाम तोड़ कर।
रानी ग्वालियर बनवायी वहाँ मण्डप थी,
रास्ता सुरंग का है बना हुआ जोड़ कर।
कहा गया रामनगर किले में जा मिलता है,
राजघाट पुरातत्व में भी बना जोड़कर।
ताला खुला मिला तहखाने के दो कमरों का,
समय पाबंद सर्वे किया गया उसका।
देव परिसर की दुकाने सभी बन्द रहीं,
पाँव पयादे राहियों पर ध्यान जिसका।
तीसरे भी कमरे का ताला तोड़ा गया वहाँ,
चौथे कमरे का दरवाजा कहाँ खिसका।
अन्दर की चुनी गयी दीवारों के पीछे क्या है,
तोड़ने का न्यायिक आदेश नहीं उसका।
गुम्बद तालाब की भी रिकार्डिंग हुयी वहाँ,
साठ पैसठ परसेन्ट हुवा काम है।
देखने को शान्ति काशी वासियों में मिली अहा,
अधिवक्ता आयुक्त टीम भी ललाम हैं।
न्यायालय न्याय प्रिय काम को सराहें, लोग,
फर्स तोड़ जाँच हो तो सच खुले आम है।
‘मंगल’ मनावें लोग, देवता रमन्ते जहाँ,
मुल्ला कठमुल्ला छेड़ रहें, शिव-धाम है।
♦ सुख मंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦
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— Conclusion —
- “सुख मंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता में समझाने की कोशिश की है — श्रृंगार गौरी जी की साधना के साधक शिव, विविध प्रभाव छापे ‘ज्ञानवापी’ धाम हो। जिनकी उपासना को महिमा बखाने जग, नन्दीश्वर संग जो विराजे आठो याम हो। काल – काल महाकाल ताल ठोंक खड़े हैं जो, सदर अदालत दिया सर्वे प्रोग्राम हो। नंदी महराज सामने मिला था शिवलिंग, मिल गये बाबा शोर हुआ इजहार में। मूर्तियों को तोड़ रखा गया तहखाने में था, ताला नहीं खोला गया ही इन्तजार में। टूटी मूर्तियाँ मिली अंधेरे में विराजमान, उसकी रिकार्डिंग हुयी बैटरी प्रकाश में। मिट्टी डाली नमी मिली दस दिन पहले की, राज खुला पक्ष और विपक्ष बीच क्रास में। मिले हुए मलबे को छान रही सर्वे टीम, सत्य दफनाया गया मलबे के ढेर में। उजागर होते तथ्य कागज पे लाया गया, बसते में बन्द करवाया गया देर में। “सत्य छुपाये नहीं छुपता।”
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यह कविता (ज्ञानवापी षंड-धा।) “सुख मंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें, व्यंग्य / लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से।
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