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हां मैं शिक्षक हूं।

Kmsraj51 की कलम से…..

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Haan Main Shikshak Hoon | हां मैं शिक्षक हूं।

A teacher is a guiding force who inspires curiosity, ignites minds, and shapes the future of their students by facilitating learning and discovery.

बुझ चुके चिरागों को फिर से,
जलाने की मुझमें ही तो क्षमता है।
मैं एक शिक्षक हूं, मुझमें पिता का प्यार,
और ममत्व भरी मां की ममता है।

इन्हें कहने दो मुझे जो कहना है,
शिक्षा का सूरज मुझसे ही चमका है।
वह झुग्गियों का चिराग भी आज,
मेरी निरन्तर सिखों से ही तो दमका है।

मैने ही तो पढ़ाया है दुनियां में,
प्यून से पी एम तक के लोगों को।
वे सब भोगते हैं अपनी क्षमतानुसार,
इस संसार के सभी भौतिक भोगों को।

मुझे मेरे ही पढ़ाए लोग ही न जाने,
कब – कब क्या – क्या कह देते हैं?
कुछ लोग तो मुझसे ही सीख कर,
मुझको ही वापिस सीख देते हैं।

मैने कक्षा, कक्ष में ही तो किया है,
संसार के सारे के सारे निर्माणों को।
विश्वाश नहीं होता है अगर किसी को,
तो पढ़ लो ऐतिहासिक के प्रमाणों को।

तकलीफ नही होती है मुझे तब भी,
जब मुझे कोई चेला ही टोकता है।
मैं इस तरह तर्क पैदा करता हूं चेले में,
जिसे आगे बढ़ने से जमाना रोकता है।

चेला मुझसे शिकायत करता है,
मैं ही तो उसको अच्छे से सुनता हूं।
मेरे ही मार्गदर्शन से ही वह आगे चल कर,
अपने भविष्य का जीवन पथ चुनता है।

मैं उसे कभी स्वाभाविक डांटता हूं,
शायद वह मुझसे तब कुछ रूठता है।
पर यह मेरे व्यक्तित्व की कला है शायद,
कि वह दूसरे दिन फिर से मुझे ही पूछता है।

हां मैं शिक्षक था, हूं और रहूंगा,
मुझे खुद के होने पर गर्व होता है।
जब चेला सफल होता है जीवन पथ पर,
तब मेरे लिए वह एक विशेष पर्व होता है।

♦ हेमराज ठाकुर जी – जिला – मण्डी, हिमाचल प्रदेश ♦

—————

  • “हेमराज ठाकुर जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — कविता में शिक्षक की महिमा और उसकी भूमिका को दर्शाया गया है। एक शिक्षक वह है जो बुझ चुके चिरागों को फिर से जलाने की क्षमता रखता है और अपने छात्रों को सही मार्ग दिखाकर उन्हें जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है। शिक्षक के अंदर पिता का स्नेह और मां की ममता का संगम होता है। शिक्षक समाज के हर तबके, चाहे वह झुग्गियों का बच्चा हो या कोई उच्च पद पर आसीन व्यक्ति, को ज्ञान प्रदान करता है। उसका योगदान इतना महान है कि उसने दुनियाभर के बड़े निर्माण और सफल व्यक्तित्वों को गढ़ा है।शिक्षक अपने छात्रों को स्वाभाविक रूप से डांटता भी है और उनके सवालों का समाधान भी करता है। वह उनके भीतर तर्क और आत्मविश्वास पैदा करता है, ताकि वे अपने भविष्य की राह चुन सकें। शिक्षक की सबसे बड़ी खुशी तब होती है, जब उसका छात्र जीवन में सफल होता है। कवि ने गर्वपूर्वक यह कहा है कि शिक्षक होना एक गौरव का विषय है और यह एक विशेष उत्सव की तरह है जब उसके द्वारा सिखाया गया छात्र अपने जीवन में सफल होता है।

—————

यह कविता (हां मैं शिक्षक हूं।) “हेमराज ठाकुर जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दों में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

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“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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