स्वास्थ्य – Kmsraj51 की कलम से…..
सदा खुश रहो यही दुआ है. हमारी ………….
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~ टॉप 20 घरेलू नुस्खें एक बार अपना कर तो देखिए ~
हमारे आस-पास कई ऐसी चीजें होती हैं, जिनका सेवन तो हम रोजाना करते हैं, लेकिन उनके गुणों से अनजान ही रहते हैं। आइए आज हम आपको ऐसी ही कुछ इस्तेमाल की जाने वाली चीजों के बारे में बताते हैं जो कई गुणों से भरपूर हैं। यदि आप सही मायने में अपनी बीमारी कम करना चाहते हैं, तो आपको उसके लिए कुछ कारगार नुस्खें अपनाने की जरूरत है। कुछ घरेलू नुस्खें भी है, जिनको अपनाकर आप कई बीमारियां कम कर सकते है।
~ दूर होगी आंखों की थकावट ~
देसी गुलाब की 9-10 पंखुड़ियों को एक गिलास पानी में कुछ घंटों के लिए भिगो दें। इस पानी से नियमित रूप से आंखें धोने पर थकावट दूर हो जाती है।
~ अल्सर में फायदेमंद ~
अल्सर के मरीजों को बादाम का सेवन करना चाहिए। बादाम पीसकर इसका दूध बना लीजिए। इस दूध को सुबह-शाम पीने से अल्सर ठीक हो जाता है।
~ नहीं होगी कब्ज ~
सौंफ को मिश्री या चीनी के साथ पीस लें। सोते समय लगभग 5 ग्राम चूर्ण हल्के गुनगुने पानी के साथ लें। पेट की समस्या नहीं होगी व गैस और कब्ज दूर होगी।
~ हींग से निकलेगा कांटा ~
यदि शरीर के किसी हिस्से में कांटा चुभ गया हो तो उस जगह पर हींग का घोल भर दें। इससे दर्द भी खत्म होगा और कांटा भी अपने आप निकल जाएगा।
~ चले जाएंगे दाग ~
चिकन पॉक्स के घावों को सूख जाने के बाद उन पर जमी पपड़ी पर अच्छी तरह से शहद लगाएं। इससे इन घावों के दाग नहीं पड़ेंगे।
~ वजन घटाने के लिए ~
मशरूम्स में पोषण का खजाना तो है ही, साथ ही इसमें कई औषधीय गुण भी हैं। इसके सेवन से व्यक्ति की रोग-प्रतिरोधक क्षमता में आश्चर्यजनक रूप से इजाफा होता है। एक अध्ययन के अनुसार यदि वजन कम करना हो तो रेड मीट बंद करके व्हाइट बटन मशरूम खाना शुरू कर देना चाहिए। इसका फायदा हर एज ग्रुप के लोगों को होता है।
~ बलगम का अचूक इलाज ~
बलगम होने पर मूली का जूस पीने से फायदा मिलता है। यह बलगम को डाइल्यूट कर उसे शरीर से बाहर निकालने में मदद करता है।
~ खूबसूरत शरीर और चेहरे के लिए ~
केसर की खूबी केवल रंग तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसके और भी कई फायदे हैं। यह सेहत की भी कुंजी है। बच्चे के गोरे रंग के लिए गर्भवती स्त्रियों को दूध में केसर मिलाकर दिया जाता है। इसके अलावा पेट संबंधित परेशानियों के इलाज के लिए भी केसर बहुत फायदेमंद है। चोट लगने या झुलसने पर भी केसर का लेप लगाने से फायदा होता है।
~ दर्द हटानेवाली औषधि \ दर्द निवारक ~
हरी पत्तेदार सब्जियों और मसालों में मेथी की अपनी खास जगह है। मेथी कॉड लीवर ऑयल की तरह घुटनों का दर्द, स्नायु रोग, बहुमूत्र रोग, सूखा रोग, खून की कमी आदि में लाभदायक रहती है। मुंहासे होने पर मेथी की पत्तियां पीसकर चेहरे पर लगाएं फायदा मिलेगा।
~ डार्क सर्कल निकालें ~
ककड़ी और आलू के टुकड़ों को आंखों पर रखने से आंखों को ठंडक पहुंचती है और डार्क सर्कल कम होते हैं। आंखों में गुलाबजल डालना भी लाभकारी है। अक्सर धूप में घूमने से भी डार्क सर्कल बढ़ने लगते हैं। इसलिए धूप में घूमते वक्तसन ग्लासेस का इस्तेमाल करें।
~ ऊर्जा बढ़ाने के लिए ~
राजमा में भरपूर मात्रा में आयरन होता है। आयरन शरीर का मेटाबॉलिज्म और ऊर्जा बढ़ाने का मुख्य सोर्स होता है। इससे पूरे शरीर में ऑक्सीजन का सकरुलेशन भी काफी बढ़ जाता है। इसलिए व्यक्ति खुद को ऊर्जावान महसूस करता है। राजमा में फाइबर भी काफी होता है। फाइबर काबरेहाइड्रेट का मेटाबॉलिज्म रेट कम करते हैं। इस वजह से ब्लड शुगर नियंत्रित रहता है। डायबिटिक इसे बहुत आराम से खा सकते हैं।
~ चली जाएगी पफीनेस ~
आंखों की पफीनेस दूर करने के लिए एलोवेरा बहुत काम आता है। एक स्वच्छ कपड़े को एलोवेरा जूस में डूबोकर उससे आंखें पोंछ लें। ऐसा लगातार करने से पफीनेस चली जाएगी।
~ दूर होगी मुंह की दुर्गध ~
मुंह से दुर्गध आ रही हो तो एक चम्मच सरसों के तेल में आधा चम्मच नमक मिलाकर इससे मसूड़ों की मालिश करें। मसूड़े मजबूत होंगे और दरुगध चली जाएगी।
~ ऐसे मिलेगी राहत ~
मॉर्निग सिकनेस से परेशान हों तो 15-20 मुलायम कड़ी पत्तों का रस निकालकर दो चम्मच नीबू के रस में मिलाएं और एक चम्मच शहद के साथ दिन में 3-4 दफा लें।
जल बचाए जीवन …..
पानी है सबसे बेहतर
‘जल ही जीवन है’ यह तो आपने सुना ही होगा। पानी हमारे लिए कितना जरूरी है यह सभी जानते हैं। हमारी प्यास बुझाने के साथ-साथ यह कई बीमारियों के इलाज में भी मददगार होता है।
समस्याएं अनेक और हल एक
पानी में ऐसे तत्व होते हैं जो हमारे शरीर से गंदगी को साफ करते हैं। जानकार कहते हैं कि अगर हर एक घंटे में एक गिलास पानी पिया जाए तो हम कई बिमारियों से छुटकारा पा सकते हैं।
पानी पिएं जवान रहें
पानी पीने से बीमारियां तो दूर होती ही हैं साथ ही यह आपको जवान भी बनाए रखता है। जी हां! कम पानी पीने से आपकी तव्चा रूखी और बेजान हो जाती है लेकिन सही मात्रा में पानी पीने से आपकी तव्चा हमेशा खिली-खिली रहती है और चेहरे पर चमक बनी रहती है।
पानी दिलाए सिरदर्द से निजात
अगर सिरदर्द आपको बार-बार परेशान कर रहा है तो यह परेशानी कम पानी पीने के कारण हो सकती है। ऐसे में दवाओं का सेवन करने से ज्यादा अच्छा है कि आप पर्याप्त मात्रा में पानी पीएं। आपका सिरदर्द छूमंतर हो जाएगा।
पानी पिएं वजन घटाएं / छरहरा सुंदर शरीर और चेहरे के लिए
कम पानी पीने के कारण आप मोटापे का भी शिकार हो सकते हैं। क्योंकि ऐसे में शरीर को फैट जलाने के लिए पर्याप्त पानी नहीं मिल पाता। इसलिए जरूरी है कि दिन में कम से कम 8-10 गिलास पानी जरूर पिया जाए। इससे आप मनचाही फिट बॉडी पा सकेंगे।
अस्थमा में पर्याप्त पानी पीना जरूरी
कम पानी पीने के कारण अस्थमा के अटैक की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए यह जरूरी है कि अस्थमा के मरीज को पर्याप्त मात्रा में पानी पिलाया जाए। उन्हें दिन में कम से कम 10 गिलास पानी पीना चाहिए।
पेट की परेशानियों को करे दूर
पानी में अनेकों गुण हैं। अपने पेट की बीमारियों से निजात पाने के लिए और पाचन तंत्र को ठीक रखने के लिए सही मात्रा में पानी पीना बहुत जरूरी है। अगर आप पर्याप्त पानी पीते हैं तो आप एकदम फिट रहेंगे।
शरीर के लिए सोना है सोना ….
कायाकल्प का समय:
हम अपनी जिंदगी का एक तिहाई हिस्सा सोते हुए बिताते हैं। नींद में हम दुनिया से बेखबर रहते हैं। इसलिए यह आराम करने का सबसे नैचरल तरीका भी है। नींद का वक्त कायाकल्प का होता है। अच्छी नींद हमें शारीरिक और मानसिक तौर पर सेहतमंद बनाती है।
जब हम सोते हैं
– मसल्स और जोड़ों को लगातार काम करने से राहत मिलती है, ब्लड प्रेशर घटता है और दिल धड़कने की रफ्तार में भी कमी आती है।
– ठीक इसी दौरान शरीर में ग्रोथ हॉर्मोंस सक्रिय होते हैं और शरीर अपने कल-पुजेर् की मरम्मत भी करता है। दिमाग बिना किसी रुकावट के उन सूचनाओं, घटनाओं आदि को दर्ज कर सुरक्षित कर लेता है, जिनके बीचोंबीच हम जीते-जागते होते हैं।
जरूरी है नींद, क्योंकि…
– तनाव, काम के लंबे घंटे, थकान और किस्म-किस्म के लाइफस्टाइल्स की वजह से हमें नींद संबंधी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। बिना भरपूर नींद के शरीर और दिमाग अच्छी तरह काम नहीं करते हैं।
– नींद की कमी से आप बीमार पड़ सकते हैं। नींद की दरकार तब और बढ़ जाती है, जब किसी वजह से आपकी सेहत ठीक न हो।
क्या आप जानते हैं
– रिसर्च यह साबित करता है कि दिमाग का ज्यादातर हिस्सा सोते हुए भी उतना ही सक्रिय रहता है, जितना जागते वक्त।
– नींद दो तरह की हो सकती है : 1. बगैर सपने की 2. सपने की।
– जागते घंटों में दिमाग में दर्ज हुई सूचनाओं को याद के लिए सहेजने या निपटान का एक तरीका सपना है।
क्या आप पूरी नींद लेते हैं?
– नींद की दरकार कितनी हो, यह निर्भर करता है किसी शख्स की उम्र और लाइफस्टाइल पर। पूरी नींद का पैमाना 6 घंटे से लेकर 10 घंटे तक हो सकता है।
– आपने पूरी नींद ली है, वह इस बात से पता चलेगा, जब आप नींद के बाद खुद को तरोताजा और ऊर्जा से भरपूर पाएं। दिन भर आपको कभी भी नींद के झोंके न आएं।
– अगर ऐसा नहीं हो रहा तो समझिए कि आप जितनी दरकार है, उससे कहीं कम नींद ले रहे हैं।
अच्छी नींद के लिए
– उन कारणों से बचें, जिनसे आपकी नींद खराब होती है। जैसे : देर रात तक टीवी देखना, पार्टी करना वगैरह।
– कैफीन (कॉफी, चाय, कोल्ड ड्रिंक्स, चॉकलेट), निकोटीन और अल्कोहल से परहेज करें।
– सोने के पहले अपने शरीर और दिमाग को रोजमर्रा के कामों से हटा कर आराम का मौका दें। ध्यान लगाएं, कोई किताब पढ़ें, सुकून पहुंचाने वाला संगीत सुनें, मुमकिन हो तो नहाने के पानी में अरोमा थेरेपी में इस्तेमाल होने वाला तेल डालकर गर्म पानी में नहाएं।
– सोने का एक रूटीन बनाएं, उसे फॉलो करें ताकि शरीर इसका आदी हो सके।
खाए जाओ, वजन घटाए जाओ
मोटापा और वजन कम करने के लिए रेग्युलर डाइटिंग पुराना फैशन है। सोचिए, अगर कुछ ऐसा मिले जिसे खाने के बाद बॉडी फैट आसानी से बर्न हो जाए और कुछ करना भी न पड़े तो क्या कहने। डालते हैं नजर ऐसे ही 20 फैट गलाऊ फूड पर, जिन्हें आप अपने रेग्युलर डाइट में शामिल करके अपने शरीर में आसानी से फर्क महसूस कर सकते हैं:
1. ग्रीन टी : दिन भर में 3-5 बार ग्रीन टी पीने से बिना किसी कोशिश के 80 कैलरी बर्न की जा सकती है।
2. कोकोनट: इसमें भरपूर मात्रा में मीडियम चेन ट्राईग्लिसराइड्स होते हैं, जिससे बॉडी का मेटाबॉलिजम 30 पर्सेंट तक बढ़ जाता है।
3. लहसुन: इसमें पाया जाने वाला एलिसिन शरीर से फैट कम करने में मदद करता है।
4. लाल मिर्च: ये बॉडी टेंप्रेचर को बढ़ाने और मेटाबॉलिजम को तेज करने में मददगार होता है।
5. अदरक: सदियों से पेट की दिक्कतों के लिए इस्तेमाल होने वाला अदरक डाइजेस्ट करने की क्षमता को बेहतर करने के साथ-साथ पेट पर जमे फैट को कम करने में मदद करता है।
6. प्याज: कम कैलरी वाले प्याज को रेग्युलर डाइट का हिस्सा बनाएं। इससे कॉलेस्ट्राल की मात्रा घटाने में मदद मिलती है।
7. नींबू: लिवर में मौजूद टॉक्सिक एजेंट्स को कम करने में नींबू का कोई सानी नहीं। डाइजेशन और फैट बर्निंग के लिए लिवर का हेल्दी होना जरूरी है।
8. कॉफी: इसमें मौजूद कैफीन मेटाबॉलिजम रेट को काफी बढ़ा देता है। यह लिपोलिसिस (फैट बर्निंग की प्रक्रिया) भी तेज करता है।
9. ब्राउन राइस: फैट बर्निंग का बेहतरीन ऑप्शन। इसमें फाइबर, स्टार्च और अन्य जरूरी मिनरल्स की भरपूर मात्रा होती है।
10. बंदगोभी: एक कप पकी हुई बंदगोभी में महज 33 कैलरी की मौजूदगी इसे बेहतरीन फैट बर्निंग ऑप्शन बनाता है। पकाए जाने के बाद भी इसमें पोषक तत्व मौजूद होते हैं।
11.फ्लैक्सीड (अलसी): इसमें लिगनैन नाम का तत्व पाया जाता है, जो वेट लूज करने में मदद करता है। इसके बीजों को पीसकर हर दिन दलिया या सलाद के साथ इस्तेमाल करें।
12. मसूर की दाल: प्रोटीन मसल्स के बनने और मेटाबॉलिजम बढ़ाने में मददगार होता है। 100 ग्राम मसूर की दाल में 26 ग्राम प्रोटीन होता है।
13. मट्ठा और छाछ: यह भी एक लो फैट हाई प्रोटीन सप्लिमेंट है।
14. बिना चर्बी का मांस: इसमें फैट बर्निंग की खूबी होती है।
15. पालक: इसमें शरीर में कॉलेस्ट्राल की मात्रा घटाने की क्षमता होती है। साथ-साथ मेटाबॉलिजम बढ़ाकर फैट बर्न करता है।
16. इसबगोल: डिनर से पहले एक ग्लास पानी में 1-3 चम्मच इसबगोल हमारे हाजमे को बेहतर करता है। यह कब्जियत को भी दूर करता है।
17. सेब: ये फैट बर्निंग का बेहतरीन ऑप्शन हैं, क्योंकि इसमें फाइबर भरपूर मात्रा में मौजूद होता है। सेब में मौजूद पेक्टीन बॉडी सेल्स को फैट अब्सॉर्व करने से रोकता है।
18. अखरोट: इसमें ओमेगा-3 की भरपूर मात्रा आपको हेल्दी बनाए रखने में मदद करता है।
19. गाजर: एक मीडियम साइज के गाजर में 55 कैलरी की मौजूदगी इसे न्यूट्रीशनल पावरहाउस का दर्जा दिलाता है।
20. ओट्स: इसमें इनसॉलिबुल और सॉलिबुल फाइबर होता है, जो फैट बर्निंग के लिए काफी अच्छा है।
दिल को रखें दुरुस्त
दिल की बीमारियों का बढ़ता ग्राफ हर किसी की धड़कनों को तेज कर रहा है। यह अच्छी बात है कि बीमारी को लेकर काफी हद तक जागरूकता बढ़ रही है, लेकिन सही जानकारी के अभाव में इस जागरूकता का पूरा फायदा नहीं मिल पाता। दिल की सेहत से जुड़ी कुछ बेसिक बातें, उनसे संबंधित भ्रम और बाकी जानकारी दे रही हैं नीतू सिंह:-
खुद जानें दिल का हाल
अगर आप रोजाना 3 से 4 किलोमीटर तेज कदमों से चल सकते हैं और ऐसा करते हुए आपकी सांस नहीं उखड़ती या सीने में दर्द नहीं होता तो मान सकते हैं कि व्यावहारिक कामों के लिए आपका दिल पूरी तरह स्वस्थ है। यह फ़ॉर्म्युला उन लोगों पर लागू नहीं किया जा सकता जिन्हें डायबीटीज जैसी समस्या है, क्योंकि उन्हें साइलेंट इस्कीमिया भी हो सकता है।
अगर किसी को दिल की बीमारियों के लक्षण दिखने शुरू हो गए हैं तो मानकर चलें कि 70 पसेंर्ट समस्या हो चुकी है। इस स्थिति से बचने के लिए अपना रिस्क प्रोफाइल जानना और उसके आधार पर कुछ सामान्य टेस्ट कराते रहना जरूरी है।
इसे आप 2 उदाहरणों से समझ सकते हैं:
18 साल का सोहम रेग्युलर एक्सरसाइज करता है। पढ़ाई से लेकर खेलकूद के जरिये पूरे दिन ऐक्टिव रहता है। दिल की बीमारी या इसके लिए जिम्मेदार हाई ब्लड प्रेशर, हाई कॉलेस्ट्रॉल, डायबीटीज जैसी किसी समस्या का पारिवारिक इतिहास नहीं है। उसकी खानपान की आदत ठीक है। उसे दिल की बीमारी होने का चांस कम है। ऐसे में सोहम को कोई टेस्ट कराने की जरूरत नहीं है।
55 साल के राम सिंह धूम्रपान करते हैं, उन्हें हाई ब्लड प्रेशर की समस्या है। वह कभी-कभार ही एक्सरसाइज कर पाते हैं और दिल की बीमारी का उनका पारिवारिक इतिहास भी है। ऐसे में राम सिंह को दिल की बीमारी होने का खतरा काफी ज्यादा है। उन्हें रेग्युलर अपने टेस्ट कराने चाहिए।
टेस्ट: कौन-से और कब कराएं
1. कॉलेस्ट्रॉल
अगर रिस्क फैक्टर (फैमिली हिस्ट्री, स्मोकिंग, मोटापा आदि) नहीं है तो 30 साल की उम्र के बाद कॉलेस्ट्रॉल टेस्ट कराएं। अगर सब कुछ नॉर्मल निकलता है तो भी हर तीन साल में एक बार टेस्ट कराएं। 40 साल के बाद हर साल टेस्ट कराएं।
अगर रिस्क फैक्टर है तो 25 साल की उम्र के बाद ही हर साल टेस्ट कराएं। कॉलेस्ट्रॉल बढ़ने के लक्षण या बीमारी होने पर हर छह महीने या जब डॉक्टर कहें, टेस्ट करवाना चाहिए।
कॉलेस्ट्रॉल के लिए लिपिड प्रोफाइल टेस्ट कराएं। इसमें एचडीएल, एलडीएल और ट्राइग्लाइसराइड और इनकी रेश्यो की जांच होती है।
पहले रेस्टिंग ईसीजी कराएं। अगर उसमें सब ठीक है तो टेडमिल टेस्ट (टीएमटी) कराएं। अगर कुछ गड़बड़ी निकलती है तो इको अल्ट्रासाउंड या एंजियोग्राफी करवानी चाहिए। एंजियोग्राफी टेस्ट से धमनियों की स्थिति और ब्लॉकेज का पता चल जाता है।
सीटी कोरोनरी एंजियोग्राफी टेस्ट स्कैन दो मिनट का होता है। इस पर 6-7 हजार रुपये तक खर्च आता है।
नोट: लिपिड प्रोफाइल के अलावा बाकी सभी टेस्ट डॉक्टर की सलाह पर ही कराएं।
2. ब्लड प्रेशर
रिस्क फैक्टर वाले लोग बीपी की जांच 25 साल की उम्र से शुरू कराएं।
सामान्य लोग 35 साल की उम्र से यह टेस्ट कराएं। अगर कुछ गड़बड़ी नजर आती है तो हर दो हफ्ते में बीपी की जांच कराएं। सामान्य होने के बाद एक-दो महीने में जांच करा लें।
बीपी की जांच के लिए ब्लड प्रेशर, हार्ट रेट, टीएमटी, इको कार्डयाग्रफी आदि टेस्ट कराए जाते हैं। जहां रिस्क फैक्टर ज्यादा होते हैं, वहां कोरोनरी स्क्रीनिंग टेस्ट कराया जाता है।
अगर बीपी 120 (ऊपर वाला) और 80 (नीचे वाला) रहता है तो ठीक है। बुजुर्गों में 110-70 नॉर्मल माना जाता है। 120-140 से 81-89 तक बीपी प्रीहाइपरटेंशन कहलाता है। यह हर पांचवें आदमी को होती है। इसके लिए डॉक्टर शुरू में नॉन मेडिकल तरीके आजमाने को कहते हैं जैसे कि वजन कम करना, लंबी वॉक करना, नमक कम खाना, एक्सरसाइज करना आदि।
हाई बीपी के साथ कॉलेस्ट्रॉल ज्यादा हो तो हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। इन मरीजों को शुगर होने की आशंका काफी ज्यादा होती है क्योंकि अक्सर लोगों को ये बीमारी लाइफस्टाइल गड़बड़ होने से होती हैं।
आराम की हालत में नीचे वाला बीपी बार-बार 90 से ऊपर रहे तो नुकसानदायक है। हालांकि अगर लक्षण सही हैं तो नीचे वाला 50 तक भी ठीक है।
बीपी का बहुत कम होना भी सही नहीं है। अगर ऊपर वाला 80 तक और नीचे वाला 40-45 तक पहुंच जाए तो खतरनाक होता है। ऐसे में मरीज को अस्पताल में भर्ती कराना चाहिए।
जिन्हें बीपी की समस्या है, उनका बीपी अगर 10 पॉइंट ज्यादा हो तो भी नॉर्मल माना जाता है।
एक्सरसाइज के दौरान बीपी बढ़ता है। इससे घबराना नहीं चाहिए।
3. शुगर
अगर रिस्क फैक्टर नहीं हैं और सेहत ठीक है तो 30 साल की उम्र में साल में पहली बार ब्लड शुगर टेस्ट करा लें। सब कुछ सामान्य आता है तो आगे तीन साल में एक बार करा सकते हैं। 40 साल के बाद हर साल टेस्ट कराना चाहिए।
खाली पेट यानी फास्टिंग शुगर 100 तक और खाना खाने के बाद यानी पीपी 140 तक होना चाहिए। शुगर लेवल थोड़ा भी ज्यादा आता है या फैमिली हिस्ट्री है तो ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट जरूर कराएं। प्री डायबेटिक (फास्टिंग : 101-140 और पीपी 141-180 तक) और फैमिली हिस्ट्री वाले हर तीन महीने में जांच कराएं।
जो लोग इंसुलिन का इस्तेमाल करते हैं, उन्हें रोज या हफ्ते में कम-से-कम तीन बार खून की जांच करानी चाहिए। जो लोग डायबीटीज को कंट्रोल में रखने के लिए गोलियां खाते हैं, उन्हें हफ्ते में एक बार शुगर की जांच जरूर करानी चाहिए।
शुगर टेस्ट खाली पेट और खाने के बाद दोनों कराना चाहिए। जिन्हें शुगर नहीं है, वे रैंडम भी करा सकते हैं लेकिन सबसे बेहतर है ग्लाइकोसिलेटिड हीमोग्लोबिन टेस्ट, जो पिछले 3 महीनों के शुगर लेवल की जानकारी देता है। इसे एवरेज शुगर टेस्ट भी कहा जाता है और काफी भरोसेमंद टेस्ट माना जाता है।
दिल के करीबी 4 यार
1. खानपान
चाहे दिल की बीमारी हो या न हो, हर किसी को संतुलित आहार लेना चाहिए। संतुलित आहार का मतलब है, जिसमें काबोर्हाइड्रेट, प्रोटीन, विटामिन आदि की पर्याप्त मात्रा हो। वनस्पति घी या देसी घी से खाना बनाने से बचें। टोंड मिल्क का इस्तेमाल करें। बादाम और अखरोट जैसी मेवाएं, गुड कॉलेस्ट्रॉल के सबसे अच्छे स्त्रोत हैं।
तेलों का सही बैलेंस जरूरी है। एक दिन में कुल तीन चम्मच तेल काफी है। तेल बदल-बदल कर और कॉम्बिनेशन में खाएं। ऑलिव ऑयल या सरसों का तेल ज्यादा यूज करें। इससे कॉलेस्ट्रॉल कम होता है, लेकिन इसे ज्यादा गरम न करें।
फैट दो तरह का होता है। एक हैवी फैट, जो किसी भी तापमान पर जम जाता है जैसे घी, मक्खन, मलाई, चॉकलेट, मटन आदि। दूसरा होता है लिक्विड फैट, जो जमता नहीं है और जिसकी थोड़ी मात्रा शरीर के लिए जरूरी होती है। इसमें सरसों का तेल या कैनोला ऑयल आदि शामिल हैं। कैनोला सरसों की प्रजाति का होता है, लेकिन इसमें सरसों के तेल की तरह कड़वेपन वाली महक नहीं होती। एक्सर्पट्स के मुताबिक कैनोला ऑयल और ऑलिव ऑयल सेहत के लिए बेस्ट होते हैं।
ऐसी चीजें खाएं, जिनमें फाइबर खूब हो, जैसे गेहूं, ज्वार, बाजरा, जई, ईसबगोल आदि। दलिया, स्प्राउट्स, ओट्स और दालों के फाइबर से कॉलेस्ट्रॉल कम होता है। आटे में चोकर मिलाकर इस्तेमाल करें। गेहूं, बाजरा आदि अनाजों की मिक्स रोटी खाएं।
हरी सब्जियां, साग, शलजम, बीन्स, मटर, ओट्स, सनफ्लावर सीड्स, अलसी के बीज आदि खाएं। इनमें फॉलिक एसिड होता है, जो कॉलेस्ट्रॉल लेवल घटाता है।
सरसों तेल, बीन्स, बादाम, अखरोट, फिश लीवर ऑयल, सामन मछली, फ्लैक्स सीड्स (अलसी के बीज) खाने चाहिए। इनमें काफी ओमेगा-थ्री होता है, जो दिल के लिए अच्छा है।
मेथी, लहसुन, प्याज, हल्दी, सोयाबीन आदि खाएं। इनसे कॉलेस्ट्रॉल कम होता है।
एचडीएल यानी गुड कॉलेस्ट्रॉल बढ़ाने के लिए रोजाना पांच-छह बादाम खाएं। अखरोट व पिस्ता भी फायदेमंद हैं।
स्किफ्ड, फैट फ्री दूध या सोया मिल्क लें। अंडे का सफेद हिस्सा खाएं। पीला निकाल लें।
कॉलेस्ट्रॉल लिवर के डिस्ऑर्डर से बढ़ता है। लिवर साफ करने के लिए एलोवेरा जूस, आंवला जूस और वेजिटेबल जूस लें। इन्हें बराबर मात्रा में मिलाकर रोज एक गिलास और कॉलेस्ट्रॉल ज्यादा हो तो दो गिलास भी पी सकते हैं।
परहेज करें
– कॉलेस्ट्रॉल सिर्फ अंडे के पीले हिस्से, रेड मीट और दूध (मलाई) में ही पाया जाता है। इनसे बचें।
– एलडीएल या बैड कॉलेस्ट्रॉल बढ़ा है तो चीनी, चावल और मैदा न खाएं।
– सैचुरेडेटिड फैट (देसी घी, वनस्पति, मक्खन, नारियल तेल, मियोनिज) न लें।
– तला-भुना खाना न खाएं। भाप में पकाकर खाना खाएं। बिस्कुट, मट्ठी आदि में काफी ट्रांसफैट होता है, जो सीधा लिवर पर असर करता है। उससे बचें।
– प्रोसेस्ड और जंक फूड से बचें। पेस्ट्री, केक, आइसक्रीम, खोए की मिठाई, भुजिया आदि से परहेज करें।
– फुल क्रीम दूध और उससे बना पनीर या खोया नहीं खाएं।
– नारियल और नारियल के दूध से परहेज करें। इसमें तेल होता है।
– उड़द दाल, नमक और चावल ज्यादा न खाएं। कॉफी भी ज्यादा न पीएं।
2. एक्सरसाइज
अगर सेहतमंद हैं तो…
दिल की बीमारी से बचने के लिए रोजाना कम-से-कम आधा घंटा कार्डियो एक्सरसाइज करना जरूरी है। इससे वजन कम होता है, डायबीटीज का खतरा कम होता है, फुतीर् बढ़ती है, बीपी कम हो जाता है और दिल की बीमारी की आशंका 25 फीसदी कम हो जाती है।
कार्डियो एक्सरसाइज में तेज वॉक, जॉगिंग, साइकलिंग, स्विमिंग, एरोबिक्स, डांस आदि शामिल हैं। अगर तरीके से करें तो ब्रिस्क यानी तेज वॉक जॉगिंग यानी हल्की दौड़ से भी बेहतर साबित होती है, क्योंकि जॉगिंग में जल्दी थक जाते हैं और घुटनों की समस्या होने का खतरा होता है। वॉक और ब्रिस्क वॉक में फर्क यह है कि वॉक में हम 1 मिनट में आम तौर पर 40-50 कदम चलते हैं जबकि ब्रिस्क वॉक में 1 मिनट में लगभग 80 कदम चलते हैं। जॉगिंग में 160 कदम चलते हैं।
एक्सरसाइज शुरू करने से पहले 5 मिनट वॉर्म-अप यानी हाथ-पांव हिलाएं, हल्की जंपिंग आदि करें और खत्म करने के बाद 5 मिनट कूल डाउन यानी आराम से बैठ कर लंबी सांसें लें और छोड़ें।
नोट: एक्सराइज किसी भी वक्त कर सकते हैं लेकिन पूरा खाना खाने के दो घंटे बाद तक न करें। खाना खाने के बाद वॉक पर निकलने का भी दिल को कोई फायदा नहीं है। इसके लिए खाली पेट तेज वॉक करना जरूरी है। अगर एक बार में पूरा वक्त नहीं मिलता तो एक्सरसाइज या वॉक दिन में दो बार में 15-15 मिनट के लिए भी कर सकते हैं।
योगासन
– रोजाना कम-से-कम 10 बार सूर्य नमस्कार करें।
– सिर से पैर तक की मूवमेंट के अलावा पादहस्तासन, त्रिकोणासन, शशांकासन, वक्रासन, भुजंगासन, शलभासन, मेरुदंडासन और उत्तानपादासन करें। ये दिल के लिए अच्छे हैं।
अगर दिल के मरीज हैं तो…
– डॉक्टर की सलाह से ही एक्सरसाइज करें। डॉक्टर यह जांच करता है कि कोई मरीज कितना स्ट्रेस बर्दाश्त कर सकता है। उसी हिसाब से एक्सरसाइज चार्ट बनाया जाता है।
– रोजाना वॉक जरूर करें। लेकिन रफ्तार इतनी ही रखें, जिसमें आराम महसूस करते हों और सांस ज्यादा न फूले।
– सुबह-शाम खाली पेट सैर करें। बीमारों को खाने के दो घंटे बाद सैर करनी चाहिए।
– एक्सरसाइज के बाद 15-20 मिनट आराम जरूर करें।
– वेटलिफ्टिंग ज्यादा न करें
3. लाइफस्टाइल
– तंबाकू का सेवन किसी रूप में न करें। स्मोकिंग छोड़ने से दिल की बीमारी का खतरा 30-50 फीसदी तक कम हो जाता है। स्मोकिंग से दिल की आर्टरीज में दरारें पड़ जाती हैं, जो कभी भी ब्लॉकेज की वजह बन सकती हैं।
– फास्ट फूड मसलन, मैगी, नूडल्स, बर्गर, पित्जा, पास्ता, कोला, समोसा, टिक्की आदि जंक फूड से बचें।
– पैदल चलें और कसरत करें।
– हर वक्त दबाव व तनाव में रहने से बचें।
– लिफ्ट की बजाय सीढि़यों का इस्तेमाल करें।
– गाड़ी को ऑफिस से एकाध किलोमीटर दूर पार्क करें और उस फासले को पैदल पूरा करें।
– जितना हो सके, पब्लिक ट्रांसपोर्ट यूज करें क्योंकि उसमें पैदल चलना पड़ता है।
– सीट पर बैठकर कैंटीन या किसी सहयोगी को फोन कर बुलाने की बजाय चलकर वहां तक जाएं।
4. तनाव को बाय
– रोजाना आधा घंटा योगासन करें। इसमें आसन, ध्यान, गहरी सांस और अनुलोम-विलोम को शामिल करें।
– सुबह-शाम मेडिटेशन करें। दोनों वक्त मुमकिन नहीं है तो किसी एक वक्त ध्यान जरूर लगाएं। इसके लिए शांत जगह पर बैठकर मंत्रोच्चारण करें या आंखें बंद करके आती-जाती सांसों पर ध्यान दें। इससे शरीर में ऑक्सिजन की मात्रा बढ़ती है।
– डीप ब्रिदिंग यानी गहरे सांस लेना-छोड़ना और अनुलोम-विलोम करें। इनसे रिस्क फैक्टर कम होते हैं।
– शवासन में लेटकर कायोत्सर्ग नामक ध्यान करें। इसमें आंखें बंद करके पूरे शरीर के अंगों को महसूस करें। शवासन से मांसपेशियों का तनाव कम होता है।
– अगर दिल के मरीज हैं तो ऊपर लिखी गई सभी क्रियाओं को कर सकते हैं। बस सांस बहुत देर तक न रोकें।
कुछ और तरीके
तनाव कम करने के कई तरीके हो सकते हैं, जिन्हें सेहतमंद और बीमार, सभी आजमा सकते हैं :
– किसी हॉबी के लिए वक्त निकालें, जैसे कि पेंटिंग, फोटॉग्रफी, गाना सुनना, खेलना, किताबें पढ़ना आदि।
– बच्चों और पालतू जानवरों के साथ खेलें।
– जब भी मुमकिन हो, घूमने जाएं। नई-नई जगहें मन को रिलैक्स करती हैं।
– कॉम्पिटिशन की अंधी दौड़ से बचने कोशिश करें। जो हो रहा है, उसे स्वीकार करें।
– अपनी भावनाओं को नियंत्रित करें। ध्यान से भावनाओं का नेगेटिव असर कम होकर पॉजिटिव असर बढ़ जाता है।
– परफेक्शनिस्ट होने की कोशिश न करें। यह तनाव पैदा करता है।
– अपने काम को थोड़ा-थोड़ा करें। एक साथ बहुत सारा काम सिर पर न लें।
10 गलतियां जो दिल पर पड़ती हैं भारी:
1. ब्रेकफ़स्ट छोड़ना
ज्यादातर लोग मोटापे के डर से ब्रेकफ़स्ट नहीं करते। सच यह है कि ब्रेकफ़स्ट करने वाले, न करने वालों की तुलना में पतले होते हैं। नाश्ते में किसी भी रूप में प्रोटीन, दही और बेरी, ग्रिल की हुई मछली, एक ऑमलेट या सूखे मेवा खाने वाले लोग ज्यादा पतले होते हैं।
2. वीकेंड पर ट्रीट
माना जाता है कि पूरे हफ्ते हेल्दी खाना खाने के बाद वीकेंड पर खुद को ट्रीट देनी चाहिए। इससे आपका मोटापा बढ़ सकता है। वीकेंड पर खुद को ट्रीट देने के लिए सप्ताह के बाकी दिन अतिरिक्त एक्सरसाइज करें। वीकेंड पर एक साथ फैटी चीजों की बजाय एक चीज लें।
3. अरे ये तो हेल्दी है
लोग यह कहते हुए ज्यादा खा लेते है कि अरे ये तो हेल्दी है। यह सोच आपके फिटनेस रिजीम को फेल कर सकती है। मसलन पिस्ता या मूंगफली हेल्दी हैं, लेकिन इनमें कैलरी ज्यादा होती है। ऐसे में जिन्हें ओवरईटिंग की आदत है, उन्हें ये पतला नहीं होने देंगी।
4. टीवी के सामने खाना
ज्यादातर लोग टीवी के सामने बैठकर खाते हैं। यह अच्छी आदत नहीं है, क्योंकि इससे ध्यान बंटता है और व्यक्ति को यह क्लू नहीं मिल पाता है कि कब उसके खाने का कोटा पूरा हो गया। ऐसी आदत है तो अपने पास उतनी ही चीज रखें जितनी आपको खानी चाहिए।
5. डिनर हो सबसे खास
भारतीय घरों में डिनर सबसे बड़ा मील होता है। करना यह चाहिए कि दोपहर में हल्का-फुल्का खाना लें और रात में सोने से दो घंटे पहले लो कैलरी वाली डाइट जैसे सब्जियां, फ्रूट सलाद, जूस या दूध लें।
6. डिनर के बाद फौरन सोना
सोने से ठीक पहले खाना सेहत के लिए खतरनाक है। ऐसा करने वालों के शरीर में कैलरी बर्न नहीं हो पाती, जिसे बॉडी लॉक कहते हैं। ऐसे में मोटापा तेजी से बढ़ता है। रात में शरीर आराम में आ जाता है और कैलरी बर्न होने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है।
7. ईटिंग फैमिली स्टाइल
आमतौर पर लोग डाइनिंग टेबल पर बड़े सविंर्ग बाउल में खाना सर्व करते हैं और लोग अपनी जरूरत के हिसाब से उसमें से प्लेट में लेते हैं। इसके बजाय परंपरागत फैमिली स्टाइल डिनर परोसना बेहतर है, जिसमें सबकी प्लेट में नियंत्रित मात्रा में सारी चीजें परोस दी जाती हैं।
8. टेबल पर नमक रखना
मोटापा बढ़ाने में नमक की भी भूमिका होती है। टेबल पर नमक रखने की आदत आपके डाइट रिजीम को प्रभावित कर सकती है। नमक हाई ब्लड प्रेशर और खाने के स्वाद की वजह बनता है। इससे बचने के लिए नमक को खाने की टेबल से दूर रखें।
9. तेल का दोबारा इस्तेमाल
भारतीय घरों में तेल के दोबारा इस्तेमाल की आदत बेहद आम है। यह आदत सेहत के लिए खराब है। कितना भी अच्छा तेल क्यों न हो, एक बार इस्तेमाल के बाद वह खाने योग्य नहीं बचता। उसे इस्तेमाल न करें।
10. खाने के बाद टहलना
आम भारतीय घरों में खाना खाने के बाद ईवनिंग वॉक पर जाने की आदत आम है। डॉक्टरों के मुताबिक, कोई भी एक्सरसाइज, वॉकिंग, जॉगिंग खाने से पहले करना ही बेहतर है। खाने के चार घंटे बाद तक ऐसा नहीं करना चाहिए।
एक्सर्पट्स पैनल
डॉ. समीर श्रीवास्तव, डायरेक्टर (काडिर्यॉलजी), फोटिर्स एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टिट्यूट
डॉ. आर. एन. कालरा, सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट, कालरा हॉस्पिटल
डॉ. एल. के झा, इंदप्रस्थ अपोलो हॉस्टिल
डॉ. ऋषि गुप्ता, एशियन इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज
खुद संभालें सेहत
अगर वजन नॉर्मल है, कमर का घेरा महिलाओं में 32 इंच और पुरुषों में 36 इंच या इससे कम है, बीएमआई 23 तक हो, सिगरेट और अल्कोहल नहीं लेते हों, खानपान ठीक हो, तनाव कम से कम हो और रेग्युलर एक्सरसाइज करते हों तो आपको दिल की बीमारी होने का खतरा काफी कम हो जाता है।
अचानक दर्द उठे तो…
अगर छाती में अचानक दर्द हो, पसीना आए और घबराहट हो तो हार्ट अटैक का दर्द हो सकता है। हालांकि कई बार गैस दर्द में भी यही लक्षण होते हैं। सबसे पहले मरीज के कपड़े ढीले कर दें। उसे ज्यादा चलाएं-फिराएं नहीं। खुद धीरज न खोएं। अगर पहले से दिल के मरीज हैं तो एक गोली सॉरबिट्रेट (5 मिग्रा.) की दें। एस्पिरिन (ब्रैंड नेम डिस्प्रन आदि) भी ले सकते हैं। 300 मिग्रा एस्पिरिन की गोली चबा लेने से जान जाने का जोखिम नहीं रहता। अगर नहीं जानते कि दिल का दर्द है या कुछ और, तो भी ये गोली दे सकते हैं। अल्सर है तो एस्पिरिन न दें, फौरन डॉक्टर के पास जाएं।
दिल की बीमारी और गैस
सीने में दर्द होने पर अक्सर यह कन्फ़्यूज़न रहता है कि इसके पीछे गैस जिम्मेदार है या कोई दिल की बीमारी हो गई है। एक्सर्पट्स का कहना है कि इस तरह के कन्फ़्यूज़न में कई बार लोगों की जान भी चली जाती है। ऐसे में अगर किसी को पता है कि उसे हार्ट की बीमारी है तो वह एस्पिरिन की गोली अपने पास रखे। सीने में दर्द होने पर जुबान के नीचे एस्पिरिन की गोली रखें, लेकिन जिन्हें नहीं पता है, वे इसे अपनी मर्जी से बिल्कुल न लें क्योंकि इससे उनका ब्लड प्रेशर तेजी से गिर जाता है।
सीने में दर्द के मामले में कुछ लक्षणों पर गौर करें, मसलन अगर एग्जर्शन की वजह से दर्द हो रहा है तो इसके दिल से संबंधित होने के चांस ज्यादा हैं। आराम करते समय होने वाला सीने का दर्द जो कुछ सेकंड में गायब हो जाता है, वह एसिडिक हो सकता है, लेकिन यह ध्यान रखें कि आराम के समय होने वाला सीने का दर्द भी अगर जबड़े और बायीं बांह तक पहुंच रहा है तो यह हार्ट से संबंधित है। लक्षणों को लेकर जरा सा भी कन्फ़्यूज़न हो तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें और ईसीजी टेस्ट कराकर सही वजह का पता लगाएं।
सेक्सुअल लाइफ पर असर
दिल की बीमारी से पीडि़त लोगों के दिमाग में अक्सर यह सवाल उठता है कि क्या अब वह पहले की तरह अपने जीवनसाथी के साथ अंतरंग संबंध बना सकेंगे। एक्सर्पट्स का मानना है कि सावधानी न बरतने पर ऐसा करना जानलेवा भी हो सकता है। इसके कई उदाहरण सामने आए हैं। अगर व्यक्ति को पहले से दिल की बीमारी है और उसका इलाज नहीं हुआ है, तो बेहतर है कि वह संबंध बनाने से बचे।
अगर बीमारी का इलाज हो चुका है तो वह सामान्य जिंदगी जी सकता है, लेकिन इससे पहले यह जरूर देख लें कि आप ऐसा करने के लिए फिट हैं या नहीं। इसके लिए एक ट्रेडमिल टेस्ट होता है। अगर कोई 5 मिनट से अधिक समय ट्रेडमिल टेस्ट बिना सांस उखड़े या बिना दर्द के कर सकता है तो वह फिट है। मगर ऐसे लोगों को वायग्रा जैसी दवाएं नहीं लेनी चाहिए, खासतौर से तब जब वे नाइट्रेट की कैटिगरी की कोई दवा ले रहे हों क्योंकि सिल्डेनालिल कैटिगरी की दवा लेने से दिल के कई मरीजों की सेक्स करते वक्त अचानक हुए हार्ट अटैक से मौत के मामले सामने आ चुके हैं। इस बारे में अपने डॉक्टर की सलाह लें।
हार्ट अटैक आने या हार्ट संबंधी बीमारी के इलाज के बाद पहले दो हफ्ते तक सेक्स करने से परहेज बताया जाता है। इसके बाद ट्रेडमिल टेस्ट पास करने वाले को सामान्य ऐक्टिविटी की इजाजत दी जाती है। इसके बाद भी सेक्स के दौरान अगर सीने में दर्द या प्रेशर महसूस हो, थकान, बेहोशी, सांस लेने में तकलीफ, पल्स तेज होने या सिर चकराने जैसे लक्षण दिखें तो समझ जाएं कि आपके दिल को कठिनाई हो रही है। अपने डॉक्टर से सलाह लें।
About Author – कृष्ण मोहन सिंह
शुद्ध आत्मा – कृष्ण मोहन सिंह
मेरा नाम: कृष्ण मोहन सिंह
मैं एक आध्यात्मिक आत्मा हूँ!!
मैं एक आध्यात्मिक लेखक हूँ !!
मैं हमेशा सकारात्मक विचारक हूँ !!
मेरा उद्देश्य => मैं सभी मानवता को पूर्ण सकारात्मक सोच प्रदान करना चाहता हूँ !!
जो इस पृथ्वी पर रहते है!!
=> प्रयोग करें मन के भीतर का पावर , तब कुछ भी आप के लिए संभव है.!!