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Himachal Ki Rajdhani Shimla | हिमाचल की राजधानी “शिमला“।
कोठियों पर कोठियां, बनकर हुई यहां सवार है।
हिमाचल की राजधानी, शिमला का यह बाजार है।
पहाड़ी की टेकरी पर बसा, हुआ यह निर्माण है।
इन्हीं में प्रबन्धित शहर की, आबादी तमाम है।
देवदार के हरे पेड़ों की, बड़ी घनी यहां छांव है।
चारों ओर को कस्बे हैं, दूर दूर बसे कई गांव हैं।
कह रहा है यह पहाड़ अब, कमजोर मेरे पांव है।
रोक दो निर्माण अब मुझ पर, नहीं तो व्यवधान है।
पर शहरीकरण की होड़ में, सुनता इसकी कौन है?
लोग किए जा रहे हैं निर्माण, बेचारा रहता मौन है।
बरसात में चेताता है कभी, “भाई दरकते पहाड़ है।”
अभी भी वक्त है “समझो”, वरना, आगे बड़ा बिगाड़ है।
विकास की अंधेरी दौड़ें में, शहरों की होड़ में इंसान है।
उसे कोई लाख समझाए, भले मकान पर बना मकान है।
कुदरत की पीड़ा न समझेगा, फिर तो उठाना तूफान है।
इंसान को भी समझना चाहिए, कि वह नहीं भगवान है।
♦ हेमराज ठाकुर जी – जिला – मण्डी, हिमाचल प्रदेश ♦
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- “हेमराज ठाकुर जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — यह कविता प्राकृतिक सुंदरता और अंधाधुंध शहरीकरण के बीच के संघर्ष को दर्शाती है। इसमें शिमला शहर के विस्तार और निर्माण कार्यों के कारण प्राकृतिक संतुलन के बिगड़ने की ओर ध्यान आकर्षित किया गया है। कवि बताते हैं कि शिमला की पहाड़ियों पर लगातार कोठियों और इमारतों का निर्माण हो रहा है, जिससे यह क्षेत्र भौतिक रूप से तो विकसित हो रहा है, लेकिन इसका प्राकृतिक सौंदर्य और संतुलन प्रभावित हो रहा है। देवदार के घने पेड़, कस्बे और दूर-दराज के गांव इस क्षेत्र की सुंदरता बढ़ाते हैं, लेकिन पहाड़ अब खुद को कमजोर महसूस करने लगे हैं। वे संकेत दे रहे हैं कि अगर यह निर्माण कार्य नहीं रुका, तो भविष्य में प्राकृतिक आपदाओं का खतरा बढ़ जाएगा। बारिश के मौसम में पहाड़ दरकने लगते हैं, यह चेतावनी देता है कि यदि समय रहते समझदारी नहीं दिखाई गई, तो भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। कवि यह संदेश देते हैं कि विकास की अंधी दौड़ में लोग प्रकृति की चेतावनियों को अनदेखा कर रहे हैं। अगर इंसान ने कुदरत की शक्ति को नहीं समझा, तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। इंसान भगवान नहीं है, इसलिए उसे प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाकर चलना चाहिए।
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यह कविता (हिमाचल की राजधानी “शिमला”।) “हेमराज ठाकुर जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दों में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।
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