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परिवर्तन।

Kmsraj51 की कलम से…..

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    • ♦ परिवर्तन। ♦
      • आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—
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♦ परिवर्तन। ♦

संसार में बच्चों से लेकर बूढों तक सब बदलाव चाहे।
परिवर्तन प्रकृति का मूल जो जीव-जगत सबको भाये॥

एक ही कार्य करते रहने से नीरसता आती।
मन चंचल है इसको सरसता ही भाती॥

तभी हमारी संस्कृति भी विविधता लिए होती।
मौसम परिवर्तन में त्यौहारों की रंगत होती॥

पतझड़ के बाद का बसंत जीवन-राग सुनाए।
बेजान हुई प्रकृति को वो सजीव कर जाए॥

अब तो कोयल ने भी ये परिवर्तन सहर्ष लिया अपना।
कोयल को अब आम का बाग दिखता एक सपना॥

किसी भी पेड़ की टहनी पर कोयल बैठकर कुहू-कुहू गाये।
लगने लगा उसको ऐसा कि हर पेड़ ही संग गुनगुनाये॥

गर्मी की रुत में रेत भरा आँधी-तूफान सबको डराए।
फिर तेज बारिश की बौछारें दिल हर्षित कर जाए॥

समय-परिवर्तन के संग खेतों में अलग-अलग फसल लहलहाए।
ये परिवर्तन ही इंसान को आगे बढ़ने की प्रेरणा देता जाए॥

♦ सुशीला देवी जी – करनाल, हरियाणा ♦

—————

  • “श्रीमती सुशीला देवी जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — परिवर्तन प्रकृति का नियम है। जो परिवर्तन को और अनित्यता को समझता है, वस्तुत: वही ज्ञानी है। जीव, जगत और ब्रह्म को सही तरीके से परिभाषित करने की क्षमता भी ज्ञानी-ध्यानी, ऋषि-मुनियों में ही होती है। इस संसार में कुछ भी अपरिवर्तनशील नहीं है। जीव जंतुओं से लेकर मानव जाति तक सभी का परिवर्तन होता रहता है।

—————

यह कविता (परिवर्तन।) “श्रीमती सुशीला देवी जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम श्रीमती सुशीला देवी है। मैं राजकीय प्राथमिक पाठशाला, ब्लॉक – घरौंडा, जिला – करनाल, में J.B.T.tr. के पद पर कार्यरत हूँ। मैं “विश्व कविता पाठ“ के पटल की सदस्य हूँ। मेरी कुछ रचनाओं ने टीम मंथन गुजरात के पटल पर भी स्थान पाया है। मेरी रचनाओं में प्रकृति, माँ अम्बे, दिल की पुकार, हिंदी दिवस, वो पुराने दिन, डिजिटल जमाना, नारी, वक्त, नया जमाना, मित्रता दिवस, सोच रे मानव, इन सभी की झलक है।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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Filed Under: 2022-KMSRAJ51 की कलम से, सुशीला देवी जी की कविताएं।, हिंदी कविता, हिन्दी-कविता Tagged With: leadership poems in hindi, sushila devi poems, कवयित्री सुशीला देवी, परिवर्तन, परिवर्तन कितने प्रकार के होते हैं?, परिवर्तन के नियम क्या है?, परिवर्तन प्रकृति का नियम है यह कथन किसका है?, सुशीला देवी, सुशीला देवी की कविताएं, सुशीला देवी जी की कविताएं

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Comments

  1. Abhay kumar sharma says

    May 27, 2022 at 10:43 pm

    बेहतरीन

    Reply

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