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26 जनवरी की पावन बेला।

Kmsraj51 की कलम से…..

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    • ♦ 26 जनवरी की पावन बेला। ♦
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♦ 26 जनवरी की पावन बेला। ♦

जिन सूरमाओं ने रक्तिम रंग से, खेली क्रांति की होली थी।
भारत की स्वतंत्रता खातिर, खाई वक्ष स्थल में गोली थी।
इंकलाब की जिनके मुंह में, रहती सदा एक ही बोली थी।
वह नर के वेश में नारायण की, अवतरी भारत में टोली थी।
इतिहास छुपाया सच न बताया, इज्ज़त, माटी में रोली थी?

जेल गए वे तख्त चढ़े, कलई अंग्रेजों की उन्होंने खोली थी।
हर वार सहे हर प्रहार सहे पर, उफ तक न उन्होंने बोली थी।
शूर वीर उन महारथियों की, एक नियत, एक ही तो बोली थी।
इंकलाब ज़िंदाबाद, गुलामी की बेड़ी उन्होंने ही खोली थी।
इतिहास छुपाया सच न बताया, इज्जत, माटी में रोली थी?

सरताज तिरंगा भारत का बनाने हेतु, दुश्मनी तब मोली थी।
जुर्म सहे लाख अत्याचार भी, जो कोड़े खा खाल खोली थी।
निज लहू के पावन जन जल से, गुलामी की कीच धो ली थी।
फिरंगी को भगाकर भारत से, भारत मां की जय बोली थी।
इतिहास छुपाया सच न बताया, इज्जत, माटी में रोली थी?

26 जनवरी की पावन बेला, यूं ही तो न भारत में आई थी।
इस दिन को देखने खातिर, पूर्वजों ने लड़ी कड़ी लड़ाई थी।
15 अगस्त को आजादी पाकर, संविधान सभा बनाई थी।
तब जाकर 26 जनवरी की, यह सद पावन बेला आई थी।
किताबी ज्ञान में नेता जी की, असलियत काहे छुपाई थी?

आजाद हुआ फिर भारत धन्य, संविधानी पोथी बनाई थी।
26 जनवरी1950 को तब, नियमावली भी लागू कराई थी।
इस बीच फिरंगी ने अपनी, फूट डालो की चाल चलाई थी।
भारत के टुकड़े करने हेतु, हिन्दू मुस्लिम में डाली लड़ाई थी।
किताबी ज्ञान में नेता जी की, असलियत काहे छुपाई थी।

नई पीढ़ी के लोग क्या जाने, कि ये घड़ियां कैसे आई थी?
पुरखों ने घड़ियां पाने खातिर, खून की नदियां जो बहाई थी।
कई कोखें उजड़ी, मांगे उजड़ी, तब जाकर आजादी आई थी।
छुप छुप कर गोरों से लड़े भिड़े, तब जाकर आजादी पाई थी।
किताबी ज्ञान में नेता जी की, असलियत काहे छुपाई थी।

♦ हेमराज ठाकुर जी – जिला मण्डी, हिमाचल प्रदेश ♦

—————

  • “हेमराज ठाकुर जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से समझाने की कोशिश की है — कड़वा है मगर सत्य है… जिन सूरमाओं ने अपने रक्तिम रंग से खेली क्रांति की होली थी। भारत की स्वतंत्रता खातिर, खाई वक्ष स्थल में गोली थी। सदैव ही इंकलाब की जिनके मुंह में, रहती सदा एक ही बोली थी। वह नर के वेश में नारायण की, अवतरी भारत में टोली थी। इतिहास छुपाया सच न बताया, इज्ज़त, माटी में रोली थी? यह राष्ट्रीय पर्व हमें देश की एकता और गौरव को बनाये रखने की प्रेरणा देता है। हम सभी को संविधान के सभी नियमों का पालन करना चाहिए। 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान पूर्ण रूप से लागू हो गया था। भारत का संविधान विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है। 26 जनवरी के दिन ही भारत को गणराज्य का सर्वोत्तम दर्जा प्राप्त हुआ। 26 जनवरी के दिन दिल्ली में इंडिया गेट से राष्ट्रपति भवन तक परेड निकाली जाती है। जिस वतन ने हमें प्यार, मां का आंचल, समरसता, रंग रूप भेष भाषा सभी को मिलता मान दिया उस वतन पे हमें नाज है। जिस वतन का सबसे बड़ा संविधान लोकतंत्र जिसकी शान वो भारत देश महान वो भारत देश महान। वतन हमारी आन हमारा सम्मान है उस मां को हमारा सलाम वंदे मातरम् वंदे मातरम् वंदे मातरम्॥

—————

यह कविता (26 जनवरी की पावन बेला।) “हेमराज ठाकुर जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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