Kmsraj51 की कलम से…..
ϒ मैंने तो सिर्फ आपसे प्यार करना चाहा था। ϒ
🙂 दिल की गहराइयों तक जो उतर जाये – वही शब्द असल में ग़ज़ल कहलायें – मैंने तो सिर्फ आपसे प्यार करना चाहा था।
मैंने तो सिर्फ आपसे प्यार करना चाहा था।
ख़ाहिश-ए-ख़लीक़ इज़हार करना चाहा था।
धुएँ सी उड़ा दी आरज़ू पल में यार ने मिरि।
तिरा इस्तिक़बाल शानदार करना चाहा था।
भले लोगो की बातें समझ न आईं वक़्त पे।
मैंने तो हर लम्हा जानदार करना चाहा था।
तिरे काम आ सकूँ इरादा था बस इतना सा।
तअल्लुक़ आपसे आबदार करना चाहा था।
इंतिज़ार क्यूँ करें फ़स्ल-ए-बहाराँ सोचकर।
चमन ये ‘राहत’ खुशबूदार करना चाहा था।
डॉ. रूपेश जैन ‘राहत’ – हैदराबाद, तेलंगाना ®
हम दिलसे आभारी है – डॉ. रूपेश जैन ‘राहत’ जी के, हिंदी में ग़ज़ल शेयर करने के लिए। KMSRAJ51.COM के Author Team पैनल में तहेदिल से स्वागत है – आपका।
डॉ. रूपेश जैन ‘राहत’ जी के लिए मेरे विचार:
♣ “डॉ. रूपेश जैन ‘राहत’ जी” ने “मैंने तो सिर्फ आपसे प्यार करना चाहा था।…“ काे ग़ज़ल के माध्यम से बखूबी समझाने की कोशिश की है – इक – इक शब्द दिल की गहराइयों तक उतरते है। आपके लेखन की खासियत है की बिलकुल खुले मन से लिखते है, आपके लेख के हर एक शब्द दिल को छूने वाले होते है। हर एक शब्द अपने आप में एक पूर्ण सुझाव देता है, फिर चाहे वो नज़्म, गज़ल हो या कवितायें हो या अन्य लेख। जो भी इंसान इनके लेख को दिल से समझकर आत्मसात करेगा उसका जीवन धन्य हो जायेगा।
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