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♦ आज के समय में शिक्षक का महत्व। ♦
सभी जानते हैं कि बच्चे किसी भी देश का भविष्य होते हैं। और इस भविष्य का निर्माण करने वाला अध्यापक होता है। अतः वही भविष्य का निर्माता है।
शिक्षक ईश्वर का दिया हुआ वह उपहार है जो हमेशा से ही बिना किसी स्वार्थ और भेद-भाव रहित व्यवहार से बच्चों को सही-गलत और अच्छे-बुरे का ज्ञान कराता है। प्रत्येक समाज में अध्यापक की भूमिका महत्वपूर्ण होती है क्योंकि समाज उन्हीं बच्चों से मिलकर बनता है जिनको परिपक़्व कर समाज में श्रेष्ठ इंसान बनाने की ज़िम्मेदारी अध्यापक की ही मानी जाती है। अतः शिक्षक बच्चों के व्यक्तित्व निर्माण की एक महत्वपूर्ण कड़ी है।
अध्यापक के कार्य — Teacher’s duties
एक अध्यापक ही बच्चों को अपनी ज्ञान रुपी गंगा में स्नान करा कर अच्छा नागरिक बनाने की दिशा में प्रयास करता है। वह उसे अच्छा नागरिक तो बनाता ही है साथ ही में जीवन-उपयोगी बातें भी समझाता है। इतिहास इस बात का साक्षी है कि सफल व्यक्तित्व के पीछे गुरु का महान हाथ होना अनिवार्य है। महाभारत के अर्जुन इस बात का उदाहरण है जिन्होंने गुरु के सहयोग और आशीर्वाद से से ही सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर की उपाधि प्राप्त की। ऐसे अनेक उदाहरण हैं जो गुरु की महिमा का गुणगान करते हैं। यह गुरु ही हैं जो बच्चों का मार्गदर्शन कर उन्हें उनके व्यक्तित्व से परिचित कराकर, उनमे छिपे अवगुणों को दूर करते हुए उनके समस्त गुणों को पहचान कर बाहर निकालते है और उन्हें प्रोत्साहित कर सर्वहित की दिशा में मोड़ने का महान कार्य करते हैं।
अध्यापक का स्थान — Teacher’s position
वास्तव में देखा जाये तो गुरु को ईश्वर के समान ही दर्ज़ा प्राप्त है। उनका स्थान सदैव सम्माननीय ही रहेगा। भारतीय धर्म में तीन प्रकार के ऋणों का उल्लेख पाया गया है- प्रथम पितृ ऋण, ऋषि ऋण और देव ऋण। इनमे से पितृ ऋण से मुक्ति माता-पिता की सेवा करके तथा ऋषि ऋण शिक्षा अध्ययन कर अपने माता-पिता और अध्यापक को सम्मान देकर ही चुकाया जा सकता है।
प्राचीन काल में विद्यार्थी गुरुकुल से शिक्षा प्राप्त करके, सभी प्रकार से सफल और परिपक्व होने के पश्चात गुरु दक्षिणा देकर गुरुकुल से लौटते थे। यह वही समय था जब इन विद्यार्थियों को वेद, शास्त्र, पुराण, मानव-मूल्य, सामजिक जीवन का ज्ञान सिखाया जाता था। लेकिन समय के बदलने के साथ-साथ स्थिति में भी बदलाव आते गए। आज स्थिति बिलकुल अलग है। आज विद्यार्थी को केवल कुछ पाठ्यक्रम पर आधारित ज्ञान देकर परीक्षा उत्तीर्ण करने के पश्चात परिपक्व मान लिया जाता है। बाकी के कुछ नैतिक जीवन से सम्बंधित मूल्य वे अपने परिवार से भी सीखते हैं। इस प्रकार माता-पिता भी तो उनके शिक्षक ही तो हैं।
अध्यापक के कर्तव्य — Duties of Teacher
शिक्षक की भूमिका विद्यार्थी जीवन में बहुत महत्वपूर्ण है। इसी बात को समझते हुए अध्यापक के कुछ उत्तरदायित्व हैं जिन्हे निभाना उनकी एक आवश्यक ज़िम्मेदारी है।
जैसे — बच्चों का हृदय बहुत कोमल और नाज़ुक होता है। वे न केवल शिक्षक बल्कि अपने आस-पास के वातावरण से भी काफी कुछ सीखतें हैं।
वे इस बात का ध्यान देते हैं कि शिक्षक के हाव-भाव किस प्रकार के होते हैं। उनके बोलने का लहज़ा भी उन्हें प्रभावित करता है। उनका भाषा प्रयोग अपने आप में बच्चों पर अमिट छाप छोड़ने वाला होता है। उनकी मृदु वाणी उन्हें सदैव आकर्षित करती है। अतः अध्यापक को अपने क्रौध,अहंकार,और लोभ को बच्चों के समक्ष कभी प्रदर्शित नहीं करना चाहिए, क्योंकि ये मानव के सबसे बड़े शत्रु कहलाते हैं।
न केवल इतना ही अध्यापक को चाहिए कि वह बच्चों को उनके उत्तम स्वास्थय का ज्ञान कराये, उनसे खेल-कूद, व्यायाम आदि से सम्बंधित बाते करें। अध्यापक को चाहिए कि वह बच्चों को अपने अंदर-बाहर तथा आस-पास की सफाई के प्रति जागरूक बनाये। साफ़ कपडे पहनना, साफ़ जूते पहनना, नाख़ून काटना, आदि छोटी-छोटी बातें बताकर एक परिपक्व व्यक्ति का निर्माण करना उसका आवश्यक दायित्व है।
इन सबके अतिरिक्त अपने देश, धर्म, संस्कृति, संगीत, संध्या, हवन, राष्ट्रिय-धार्मिक त्योहारों का ज्ञान देकर ही उन्हें अच्छा नागरिक बनाना भी अध्यापक का कार्य ही है। उन्हें भाषाओं का सम्मान करना सिखाना भी आवश्यक है। उनके अंदर हिंदी के प्रति लगाव की भावना जागृत करना भी एक ज़रूरी कार्य है।
आदर्श अध्यापक के गुण — Qualities of an ideal Teacher
आज हमारे समक्ष ऐसे अनेक उदाहरण है जो अध्यापक की परिभाषा को पूर्ण करने में भूमिका अदा करते हैं। इन अध्यापकों में अच्छे और श्रेष्ठ गुणों का भण्डार होता है। यह समय का सदुपयोग करते हैं। इनके लिए समय अमूल्य होता है और इसलिए ये समय का पालन करते हुए अपना प्रत्येक कार्य योजनानुसार करते हैं। ये समय की उपयोगिता को ध्यान में रखकर अपना ज्ञान प्रदान करते हैं। इनमें नम्रता और श्रद्धा के भाव भरे होते है। क्रौध और घृणा इनके लिए उचित नहीं है। यह सहनशीलता, सही व्यवहार को अपनाकर बच्चों को सही शिक्षा प्रदान कर उनका मार्गदर्शन करते हैं। ये उनके भविष्य को उज्ज्वल बनाते हुए उन्हें बेहतर इंसान बनाते हैं। ये अनुशासन प्रिय बनते हुए बच्चे को अनुशासन का महत्व सिखाते हैं।
अच्छे शिक्षक की आवश्यक शर्तें — Good Teacher prerequisites
शिक्षक का पद अपने आप में महत्वपूर्ण तो है ही, इसके साथ-साथ चुनौतीपूर्ण और कठिन भी है परन्तु किसी भी स्थिति में असंभव कदापि नहीं है। अच्छा शिक्षक बनने के लिए कुछ आवश्यक शर्ते होती हैं जिनको पूरा करके ही अच्छा शिक्षक बना जा सकता है।
जैसे- संयम, सदाचार, विवेक, सहनशीलता, सृजनशीलता, शुद्ध उच्चारण, शोध वृत्ति, प्रभावशाली वक्ता एवं सुन्दर लेखन आदि अनेक ऐसी बातें हैं जो किसी भी शिक्षक को अच्छा शिक्षक बना सकती हैं। शिक्षक ज्ञान का वह पुंज होता है
जो बच्चों का सच्चा दोस्त बनकर उनकी समृद्धि के लिए प्रयासरत है। वह ज्ञान और प्रकाश का अद्भुत स्त्रोत है। उसका सकारत्मक व्यवहार, रवैया और स्पष्ट दृष्टिकोण उसके व्यक्तित्व की आवश्यक शर्त है।
वर्तमान समय में शिक्षक — Teachers at the present time
वैसे तो शिक्षक हमेशा से ही सर्वोपरि रहे हैं। आज भी वे सभी के लिए आदर्श और माननीय हैं। उनका महत्व इसी बात से पता चलता है कि वे बच्चों के ऐसे पथ प्रदर्शक हैं जो अपने परिश्रम और तप से बच्चों के चरित्र निर्माण की क्षमता रखते हैं। वे बच्चों के प्रेरक हैं जो उन्हें कुछ कर दिखाने की प्रेरणा देते हैं। उनमें श्रद्धा और विवेक की अखंड ज्योति होती है जो चारों ओर अपने प्रकाश से उजियारा फैलाती है। ये ही बच्चों को राम, लक्ष्मण, जीसस आदि महापुरुषों के गुणों से अवगत कराकर उनमें ज्ञान का संचार करते हैं। ये अपने छात्रों को अपमानित न करके बल्कि उचित-अनुचित का निर्णय करना सिखाते हैं।
शिक्षक के लिए महापुरुषों के विचार — Thoughts of great men for teacher
आज हमारे समक्ष काफी उदाहरण हैं जिन्होंने गुरु को सबसे महान बताया है। उनके अनुसार केवल शिक्षक ही अपने राष्ट्र के लिए एक बेहतरीन और सबसे सफल भविष्य की पीढ़ी उपलब्ध कराने की क्षमता रखते हैं। उनकी उचित शिक्षा ही इस कार्य को सफल बनाती है।
कबीर जी का प्रसिद्ध दोहा —
”गुरु गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पाय।
बलिहारी गुरु आपने गोविन्द दियो बताय॥”
गुरु के महत्व को और शक्तिशाली बना देता है क्योंकि इनके अनुसार गुरु और भगवान (गोविन्द) यदि एक साथ खड़े हों तो किसे प्रणाम करना चाहिए ? गुरु या गोविन्द को ?
ऐसी स्थिति में इन्होने कहा है कि हमें गुरु के चरण स्पर्श करने चाहिए क्योंकि इन्हीं की कृपा से हमें भगवान् गोविन्द जी के दर्शन करने का सौभाग्य मिल पाया है।
इसी प्रकार आचार्य चाणक्य ने भी कहा है —
“शिक्षक कभी साधारण नहीं होता, प्रलय और निर्माण उसकी गोद में खेलते हैं।”
आदि ऐसे अनेक विचार हैं जो विभिन्न महापुरुषों ने शिक्षकों के लिए दिए हैं। इनसे सिद्ध होता है कि शिक्षक वास्तव में सभी के लिए पूजनीय है।
शिक्षक और बच्चे — Teachers and children
देखा जाए तो बच्चे संसार रुपी बगिया के फूल हैं जो अपनी सुगंध से सबकुछ सुगन्धित कर डालते हैं। और शिक्षक उस माली के समान है जो अपनी देख-रेख में पौधे लगाकर उन फूलों के सर्वागीण विकास की दिशा में कार्य करते हैं। अतः शिक्षक को ऐसा पथ प्रदर्शक बनकर रहना होगा जो केवल किताबी ज्ञान ही न देकर बल्कि इन बच्चों को जीवन जीने की कला सीखा दे। और अपने आप में हमेशा के लिए एक उदाहरण बन जाए।
♦ नंदिता शर्मा जी। – नोएडा, उत्तर प्रदेश ♦
♦ अध्यापिका – बिलाबोंग हाई इंटरनेशनल स्कूल, नोएडा, उत्तर प्रदेश ♦
लेखिका नंदिता शर्मा जी अभी अध्यापिका के पद पर कार्यरत है — बिलाबोंग हाई इंटरनेशनल स्कूल, नोएडा, उत्तर प्रदेश में। नंदिता शर्मा जी KMSRAJ51.COM की सीनियर लेखक टीम पैनल की सदस्य भी है। (Nandita Sharma Ji, is also a member of the Senior Writers Team Panel of KMSRAJ51.COM.)
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- “नंदिता शर्मा जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कारगर लेख में बताया है की — शिक्षक को ऐसा पथ प्रदर्शक बनकर रहना होगा जो केवल किताबी ज्ञान ही न देकर बल्कि इन बच्चों को जीवन जीने की कला सीखा दे। और अपने आप में हमेशा के लिए एक उदाहरण बन जाए। आचार्य चाणक्य ने भी कहा है – “शिक्षक कभी साधारण नहीं होता, प्रलय और निर्माण उसकी गोद में खेलते हैं।”
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यह लेख (आज के समय में शिक्षक का महत्व।) “नंदिता शर्मा जी।“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख/कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे। हम दिल से आभारी हैं नंदिता शर्मा जी के “आज के समय में शिक्षक का महत्व।” विषय पर हिन्दी में Article साझा करने के लिए।
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Vandna says
Super bahut achchhe pr isme ek point or add hona chahiye tha shikshhak k kshhetra Kya hona chahiye ye v hme Janna h
Ramesh Kumar says
I want to use the article with name of Nandita ji आज के समय में शिक्षक का महत्व
kmsraj51 says
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Vedsmriti Kritee says
बहुत सुन्दर लेख।