Kmsraj51 की कलम से…..
♦ कर्मों का फल जन्म जन्मों तक। ♦
एक सन्यासी ने भगवान की भक्ति करते – करते जीवन के तीन पड़ाव गुजार दिए, चौथे पड़ाव में वो भ्रमण पर निकल पड़े, रास्ते मे भयंकर जंगल था जिसमें डाकुओं का राज था।
कुछ दूर जाने पर साधु ने देखा कि डाकुओं ने पीछा शुरू कर दिया है। लेकिन सन्यासी ने सोचा, मेरे पास क्या है जो छीन लेंगे और अपनी मस्ती से चलते रहे। डाकुओं ने भी देख लिया कि यह एक सन्यासी है, इसके पास कुछ नही मिलेगा।
जैसे ही वो डाकू सन्यासी के पास से गुजरे उन्हें जमीन पर पड़ी अठमाशी दिखाई दी, ठीक उसी समय सन्यासी के पैर में भयंकर कांटा लगा। सन्यासी ने भगवान को याद किया, इसलिए नहीं कि डाकुओं को आठमाशी मिली और ना ही इसलिये कि भक्ति का फल क्या मिला, पर इसलिए कि डाकुओं के सामने यह घटना घटी।
साधु भगवान को याद कर ही रहे थे कि भगवान जी ने दर्शन दिए और कहा, हे, साधु, चिंतित मत हो। यह सब कर्मों का फल है। पूर्व जन्म में आपके कर्म इतने खराब थे कि आपको यहां फांसी लगनी थी पर इस जन्म के कर्मों से केवल कांटे में टल गई और जो ये डाकू है इनके पूर्व जन्म के कर्म इतने अच्छे थे, इन्हें यहां राज्य सिंहासन मिला था जो इस जन्म के कर्मों के कारण केवल आठमाशी में टल गया।
जैसे कि पानी मे फेंकी गई कंकर से उठी लहर आखिरी किनारे तक पहुँचती है। उसी तरह कर्मों का फल भी जन्म जन्मों तक चलता है। अच्छे कर्म करे व अच्छा फल पाए।
♦ दौलत राम गर्ग जी – जींद – हरियाणा ♦
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— Conclusion —
- “दौलत राम गर्ग जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस लघु कथा में समझाने की कोशिश की है — आपकी कोशिश यही हो की आपकी वजह से कभी भी किसी को कोई दुःख न पहुंचे। इसलिए सदैव ही अच्छे कर्म करे जिससे आपका वर्तमान और भविष्य दोनों अच्छा हो। जैसे कि पानी मे फेंकी गई कंकर से उठी लहर आखिरी किनारे तक पहुँचती है। उसी तरह कर्मों का फल भी जन्म जन्मों तक चलता है। अच्छे कर्म करे व अच्छा फल पाए।
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यह लघु कथा (कर्मों का फल जन्म जन्मों तक।) “दौलत राम गर्ग जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें / लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से।
आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—
मेरा जन्म — जींद – हरियाणा, तहसील सफीदों, गांव खातला में हुआ, मैट्रिक तक शिक्षा गांव में ही प्राप्त की फिर पानीपत S D College से B. Com में डिग्री प्राप्त की। 2 वर्ष तक इसी कॉलेज में कार्यरत रहा। 1977 में बैंक की नौकरी शुरू की और 2014 में Sr. Manager की पोस्ट से रिटायर हुआ। इस दौरान कलकत्ता, फरीदाबाद, उदयपुर, दिल्ली, चंडीगढ़, हिसार व रोहतक स्थानों में सेवा का मौका मिला। 1977 से ही गांव छोड़ दिया था। 1987 से दिल्ली में ग्रस्थ आश्रम है। अब रिटायरमेंट जीवन गुजार रहे है।
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