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छोटे बच्चों को पढ़ाने का आसान तरीका।

Kmsraj51 की कलम से…..

Table of Contents

  • Kmsraj51 की कलम से…..
    • ♦ छोटे बच्चों को पढ़ाने का आसान तरीका। ♦
    • ⇒ Easy way to teach Small children.
    • `या`  – छोटे बच्चों को पढ़ाने हेतु आवश्यक बातें।
    • Or – बच्चों को पढ़ाने का सही तरीका।
      • बच्चे की पढ़ाई में माता पिता की भूमिका।
      • • Role of parents in child‘s studies
        • ⇒ माता-पिता का संयमी होना – Be sober parents
        • ⇒ पढ़ाई का दबाव न बनाएं – Do not pressure study
        • ⇒ उम्र के अनुसार पठन कार्य – Reading according to age
        • ⇒ हफ्ते-दस दिन में घूमने का कार्यक्रम – In a Week or ten days roaming program
        • ⇒ खिलौने/किताबों का प्रयोग – Toys/use of books
        • ⇒ अत्यधिक डांटने से दूर रहे – Stay away from excessive scolding
        • ⇒ सवालों के जवाब दें – Answer the questions
        • ⇒ खेलने के अवसर – Play opportunities
        • ⇒ गृहकार्य अवश्य कराएं – Make sure – Homework do it
        • ⇒ इंटरनेट की मदद – Internet help
        • ⇒ पढ़ाई का समय निर्धारित करें – Set study time
        • ⇒ बच्चे को समझे – Understand the child
        • ⇒ टीवी का प्रयोग कम – Less use of TV
        • ⇒ माता-पिता स्वयं कुछ नया सीखें – Parents learn something new
      • ♦ बच्चे की पढ़ाई में शिक्षक की भूमिका।
      • ⇒ Role of teacher in child’s studies
        • ⇒ छात्रों को पढ़ने के लिए तैयार करना – Preparing students for reading
        • ⇒ पिछले दिन के कार्य का पुनरावलोकन करवाएं – Get a review of the previous day’s work
        • ⇒ पाठ पढ़ते समय बच्चों को समझने में मदद करें – Helping kids understand the lesson
        • ⇒ समझ की जांच – Comprehension check
        • ⇒ बच्चों की जिज्ञासा शांत करें – Calm the curiosity of the children
        • ⇒ अच्छे उत्तर पर प्रशंसा करें या शाबाशी दे – Appreciate or applaud the good answer
        • ⇒ धैर्य का गुण विक्षित करें – Keep the qualities of patience
      • नंदिता शर्मा जी के लिए मेरे विचार:
    • Please share your comments.
    • आप सभी का प्रिय दोस्त
      • ———– © Best of Luck ® ———–
    • Note:-
      • “सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

CYMT-KMSRAJ51-4

♦ छोटे बच्चों को पढ़ाने का आसान तरीका। ♦

⇒ Easy way to teach Small children.

`या`  – छोटे बच्चों को पढ़ाने हेतु आवश्यक बातें।

Or – बच्चों को पढ़ाने का सही तरीका।

kids-ko-padane-ka-saral-tarika-hindi-kmsraj51.pngसर्वप्रथम बच्चा अपने परिवार से सीखता है। माता पिता अपने बच्चे के प्रथम शिक्षक होते है। वही उन्हें सबसे पहले अच्छे बुरे, सही गलत से अवगत कराते हैं। लेकिन आज की भागदौड़, कार्यस्थल पर काम के दबाव आदि के होने से जीवन बहुत व्यस्त हो गया है, और इसी व्यस्तता के चलते शायद माता-पिता बच्चे की तरफ पूर्ण रूपेण ध्यान नहीं दे पाते। जिसके कारण बच्चों को कुछ असुविधा हो सकती है। परन्तु यदि माता-पिता आदर्श माता-पिता की भूमिका अदा करें तो अपने बच्चे के रोल मॉडल बनकर उनकी न केवल पढ़ाई बल्कि सम्पूर्ण व्यक्तित्व को निखार सकते हैं।

बच्चे की पढ़ाई में माता पिता की भूमिका।

• Role of parents in child‘s studies

निः संदेह माता-पिता बच्चे के प्रथम गुरु हैं। अपने बच्चे को न केवल पढ़ाना बल्कि उनकी परवरिश की पूरी ज़िम्मेदारी उन्हीं पर है। अतः बच्चे को पढ़ाते समय कुछ बातों पर ध्यान देना ज़रूरी है।

⇒ माता-पिता का संयमी होना – Be sober parents

माता-पिता को अपने अंदर धैर्यता का विकास करना होगा। धैर्य ही केवल बच्चे को सही ढंग से सीखा सकता है क्योंकि बार-बार की डाँट-फटकार बच्चे के अंदर डर पैदा करती है जो कि कदापि सही नहीं है।

⇒ पढ़ाई का दबाव न बनाएं – Do not pressure study

माता -पिता को चाहिए कि वे बच्चे पर पढ़ाई को लेकर कोई दबाव न डाले बल्कि सुनियोजित ढंग से पढ़ाएं या फिर थोड़ा-थोड़ा समझाकर कहानी, कविता आदि के रूप में कराएं। गिनती (अंक) आदि को कविता के रूप में लें जैसे – एक-दो – चलो मुंह धो लाे, तीन-चार – हो जाओ तैयार आदि।

⇒ उम्र के अनुसार पठन कार्य – Reading according to age

यदि बात दो-चार वर्ष के बच्चे की हो तो माता-पिता को चाहिए की वे पठन कार्य हेतु तस्वीरों वाली किताब का चुनाव करें। अल्फाबेट्स के लिए वीडियो आदि की सहायता ले सकते हैं।

  • प्रथम गुरु माता।  ….. जरूर पढ़े।

⇒ हफ्ते-दस दिन में घूमने का कार्यक्रम – In a Week or ten days roaming program

बच्चे के अंदर बोरियत काे कम करने के लिए उन्हें घूमने ले जाया जा सकता है, उन्हें आस-पास की चीज़ें दिखा कर उनके विषय में बात की जा सकती है। जिससे उनके मन के अंदर की बोरियत खत्म होगी, और वह प्रसन्न चित्त होंगे।

⇒ खिलौने/किताबों का प्रयोग – Toys/use of books

आजकल बाज़ार में ऐसे खिलौने आते हैं जिनके माध्यम से पढाना आसान हो गया है। ऐसी श्रृंखला में कुछ किताबे भी ली जा सकती हैं।

⇒ अत्यधिक डांटने से दूर रहे – Stay away from excessive scolding

बच्चे को बहुत अधिक डांटना सही नहीं है। थोड़ी बहुत डाँट बच्चे को सीखने के लिए आवश्यक है परन्तु बहुत अधिक बच्चे में डर उत्पन्न करती है और बच्चा पढ़ाई से कटाव महसूस करने लगता है।

⇒ सवालों के जवाब दें – Answer the questions

छोटे बच्चे अक्सर ढेर सारे सवाल पूछते हैं। एक प्रश्न के बाद उनके कई अन्य प्रश्न तैयार रहते हैं। खीझ खा कर और परेशान होकर माता-पिता उन्हें टालने लगते हैं। इस अवस्था को उत्पन्न न होने दें। बल्कि उनकी बातों का जवाब दें।

⇒ खेलने के अवसर – Play opportunities

बच्चों को घर में कैद करके न रखे। उन्हें अन्य बच्चों के साथ खेलने का मौका दें क्योंकि बच्चा अपने साथ के बच्चों से भी काफी कुछ सीखता है।

⇒ गृहकार्य अवश्य कराएं – Make sure – Homework do it

बच्चे को गृहकार्य अवश्य कराना चाहिए। न केवल इतना ही बल्कि स्कूल में कराये गए कार्य की घर में पुनरावृति से अच्छे परिणाम प्राप्त किये जा सकते हैं।

⇒ इंटरनेट की मदद – Internet help

आजकल बच्चों को पढ़ाने के लिए इंटरनेट की सहायता ली जा सकती है जिसमें बच्चों को मनोरंजन भी प्राप्त होता है और पढ़ाई भी की जा सकती है।

⇒ पढ़ाई का समय निर्धारित करें – Set study time

हर समय बच्चे को पढ़ाने की आदत माता-पिता को अपने अंदर विकसित नहीं होने देनी चाहिए। एक शेड्यूल बनाएं और उसी के आधार पर कार्य करवाएं।

⇒ बच्चे को समझे – Understand the child

बच्चे को समझने का प्रयास करें कि वह किस प्रकार चीज़ों को ग्रहण करता है? _ देखकर, सुनकर या अभ्यास से। उसी के आधार पर पढ़ाई को अंजाम दें।

⇒ टीवी का प्रयोग कम – Less use of TV

टीवी का प्रयोग एक सीमा तक होना चाहिए। नहीं तो इसका प्रभाव बच्चे की पढ़ाई पर पड़ सकता है। (TV should be used to a limit. Otherwise, it can affect the child’s education.).

⇒ माता-पिता स्वयं कुछ नया सीखें – Parents learn something new

बच्चों को पढ़ाने के लिए सबसे आवश्यक है कि माता-पिता कुछ नया सीखने की कोशिश करें। तत्पश्चात उसी को लेकर अपने बच्चे को कुछ नया सीखने के लिए प्रेरित करें।

  • परीक्षा के डर से कैसे पाएं छुटकारा? ….. जरूर पढ़े।

—•—

♦ बच्चे की पढ़ाई में शिक्षक की भूमिका।

⇒ Role of teacher in child’s studies

बच्चों की पढ़ाई में जिस प्रकार माता-पिता की भूमिका महत्वपूर्ण है, उसी प्रकार शिक्षक भी अपना योगदान दे सकते हैं क्योंकि अच्छा शिक्षक ही बच्चों का भविष्य बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है। उसकी भूमिका को कुछ इस तरह लिया जा सकता है —

⇒ छात्रों को पढ़ने के लिए तैयार करना – Preparing students for reading

सबसे पहले शिक्षक को चाहिए कि वह ऐसा वातावरण बनाएं जिससे कि बच्चे पढ़ने के लिए तैयार होकर पाठ को बेहतर ढंग से समझ सके। (First of all, the teacher should prepare such an environment so that the children can understand the text better by getting ready to read.).

⇒ पिछले दिन के कार्य का पुनरावलोकन करवाएं – Get a review of the previous day’s work

इससे बच्चे को ज्ञानार्जन में सहायता मिलती है और उसका ज्ञान मजबूत और परिपक्व होता है। (This helps the child in learning and his knowledge is strong and mature.).

⇒ पाठ पढ़ते समय बच्चों को समझने में मदद करें – Helping kids understand the lesson

पढ़ाते समय बच्चों को समझने की कोशिश करें कि उन्हें पाठ ठीक से समझ आ रहा है या नहीं? (When teaching, try to understand the children that they understand the text properly or not?).

⇒ समझ की जांच – Comprehension check

यह जानने का प्रयत्न करें की बच्चों ने कितना समझा है और उसी के आधार पर आगे बढ़ें। (Try to know how much the children have understood and go ahead on the basis of that.).

⇒ बच्चों की जिज्ञासा शांत करें – Calm the curiosity of the children

शिक्षक को चाहिए कि वे बच्चों के बार-बार के प्रश्नों से परेशान न हों, क्योंकि यदि उन्हें टाला या डांटा गया तो अगली बार वे प्रश्न पूछेंगे ही नहीं और सीखने की प्रक्रिया कम हो जायेगी। (The teacher should not be disturbed by the repeated questions of children, because if they are avoided or scolded then they will not ask questions next time and the process of learning will be reduced.).

⇒ अच्छे उत्तर पर प्रशंसा करें या शाबाशी दे – Appreciate or applaud the good answer

ऐसा करके भी बच्चों को अच्छी शिक्षा दी जा सकती है। इसलिए जब भी कोई बच्चा किसी भी प्रश्न का सही उत्तर दे तो – अवश्य प्रशंसा करें या शाबाशी दे। इससे बच्चों के अंदर पढ़ने का उमंग-उत्साह बना रहता है, उनका पढ़ने में मन लगता है। (By doing this, children can be given good education. Therefore, whenever a child responds correctly to any question – be sure to praise or give thanks. It keeps the excitement of reading inside the children, they feel like reading them.).

⇒ धैर्य का गुण विक्षित करें – Keep the qualities of patience

माता-पिता की तरह शिक्षक का भी संयमी होना बहुत आवश्यक है। यह गुण बच्चे को सिखाने में काफी मददगार होता है। ज़रूरत से अधिक बच्चों को डांटना नहीं चाहिए।

अतः माता -पिता और शिक्षक यदि उपरोक्त कुछ बातों को अपने स्वभाव में ले आएं तो निश्चित रूप से बच्चों को पढ़ाना काफी सरल हो सकता है।

♦ नंदिता शर्मा जी। (नोएडा, उत्तर प्रदेश) ♦

हम दिल से आभारी हैं नंदिता शर्मा जी के “छोटे बच्चों को पढ़ाने का आसान तरीका।” विषय पर हिन्दी में Article साझा करने के लिए।

नंदिता शर्मा जी के लिए मेरे विचार:

♣ “नंदिता शर्मा जी” ने “छोटे बच्चों को पढ़ाने का आसान तरीका।” विषय पर कितना सरल सुंदर-शिक्षाप्रद व अनुकरणीय वर्णन किया हैं। बहुत ही कारगर सरल सुझाव बताया है, जो की हर किसी Small kids Student के लिए फायदेमंद है। यह सुझाव सभी छोटे बच्चों के लिए कारगर है। अगर आप इन छोटी-छोटी सुझावों का पालन करेंगे तो अवश्य ही सकारात्मक परिणाम मिलेंगे। नंदिता शर्मा जी द्वारा सुझाये गए – इन छोटी-छोटी सुझावों का पालन करके आप छोटे बच्चों के अंदर बेहतर भविष्य का बीजा रोपण करेंगे, और बच्चों का भविष्य उज्जवल होगा।

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जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्सािहत करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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