Kmsraj51 की कलम से…..
♦ क्या हार जाऊँ मैं इनसे ? ♦
एक पीड़ा सघन सक्षम।
नेत्र अश्रुओं से देती भर।
लड़ूँ जिजीविषा ले अश्रु से।
या पीड़ा के मन भाऊँ।
क्या हार जाऊँ मै इनसे ॥
चुकता जाता जीवन पल पल।
शिथिल गात अवरुद्ध उच्छवास ले।
नित संघर्षो से जूझूँ या
स्वीकार थकन बस अलस जिऊँ।
क्या हार जाऊँ मैं इनसे॥
तरु बगिया के चिड़िया चुनमुन।
बढते उड़ते, थकते नहीं पल भर।
जीते जीवन दाने चुनचुन।
नित उड़ान निज मन की भरते।
मैं कैसे समेट लूँ डैने॥
पार नभ के किस विध जाऊँ।
भवसागर में डुबा उमंगें।
विगत मोह डूबूँ उतराऊँ।
क्या मैं हार जाऊँ ?
♥ आशा सहाय ♥
♥⇔♥
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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)
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