Kmsraj51 की कलम से…..
ϒ माँ। ϒ
एक दिन मैं रात मे सोया था।
प्यारे सपने मे खोया था॥
वो आकर सिर सहलाती थी।
लोरी गाकर वो सुनाती थी॥
वो रात बहुत ही प्यारी थी।
मैं चैन से बिल्कुल सोया था॥
उस ममता के आंचल मे जैसे-
मैं एकदम सा खोया था॥
पर मुझको यह एहसास नही।
मैंने किसका आंचल थामा है॥
वह कौन सी ऐसी देवी हैं।
जिस प्रीत को मैंने जाना है॥
जब हुई सुबह मेरी नींद खुली।
वह सपना नहीं हकीकत था॥
वो प्रेममयी मेरी माता थी।
और मैं तो उनका बेटा था॥
वो सारी रात ही जागी थीं।
मैं चैन से बिल्कुल सोया था॥
क्या इतना कोई करता है।
जो मां ने आज पिरोया था॥
यह प्यार भूल कर ये बच्चे।
आज मां को ही तड़पाते हैं॥
कुछ क्षणिक प्यार के चाहत में-
मां का आंचल ठुकराते हैं॥
अब शर्म करो ये घृणित समाज।
मां का कोई विकल्प नहीं॥
ये प्यार अधूरा रह जायेगा।
पर मां का प्यार है अल्प नही॥
क्षणिक लोभ के चक्कर में-
यूं मां को तुम ठुकराओ मत॥
कर मां का यूं अपमान सदा।
जीवन को नर्क बनाओ मत॥
©- अशोक सिह, – आजमगढ़, उत्तर प्रदेश। ∇
हम दिल से आभारी हैं अशोक सिह जी के प्रेरणादायक हिन्दी कविता साझा करने के लिए।
About Ashok Singh – अशोक जी के शब्दाें में – अभी मैं IAS की तैयारी कर रहा हूँ। दिल मे समाज सेवा की लौ जलाये हुए कुछ बेहतर करने को प्रयासरत हूँ और अपना सत प्रतिशत देने को तत्पर। मेरा HOBBY कविताएं लिखना , दक्षिण भारत की फिल्में देखना, क्रिकेट खेलना ,समाज से जुङे रहना, संगीत सुनना(खासकर पुराने) शामिल है।
अशोक सिह जी के लिए मेरे विचार:
♣ “अशोक सिह जी” की कविताआे के हर एक शब्द में प्राकृतिक सौंदर्य का अलाैकिक सार भरा हैं। जाे हर एक शब्द पर विचार सागर-मंथन कर हृदयसात करने योग्य हैं। कविताऐं छोटी और सरल शब्दाे में हाेते हुँये भी हृदयसात करने योग्य हैं। जाे भी इंसान इन कविताओं काे गहराई(हर शब्दाे का सार) से समझकर आत्मसात करें, उसका जीवन धन्य हाे जायें।
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Krishna Mohan Singh(KMS)
Editor in Chief, Founder & CEO
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जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं। ~Kmsraj51
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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)
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