Kmsraj51 की कलम से…..
♦ माँ तेरी प्रीत निराली। ♦
अम्बे माँ, सदैव तेरी ही प्रीत की डोरी से बँधी रहूँ।
तेरे दिव्य अनुपम दर्शनों के अथाह सागर में बहूँ॥
तेरे आशीष के अमृतधारा से, ये प्यास बुझती रहे।
नैनों को तृप्त करने वाली, तेरी सलोनी सूरत सजती रहे॥
माँ, सदैव तेरा ही रूप सजा रहे, मेरे दिल के दर्पण में।
जिन्दगी में सर्वस्व तूही है, परम् आनंद है, तेरा तुझें समर्पण में॥
माँ तुझे और तेरे साकार रूप के चरणों में सब कुछ न्यौछावर।
अर्ज बस यही, ताउम्र इस नाचीज़ को लगाये रखना अपने दर॥
माँ, तेरा दुलार हमें इस कदर दीवाना कर गया।
तेरा प्रेम हमें बस इतना ही मस्ताना कर गया॥
कोई क्या कहेगा, नही होती अब इस बात की फिक्र।
अब हर कर्म में होता, बस एक तेरे नाम का जिक्र॥
जैसे मदमस्त हो, शमां के पास आकर परवाना।
कदम-कदम पर तेरे आशीष के शुकराने में, झूमें दिल मस्ताना॥
तेरी पावन वाणी से आशीष निकले, वो पूरा हो जाता है।
तेरे वरहस्त के वरों से ये जीवन सफल हो जाता है॥
हे जगदाती माँ!
तेरी कृपादृष्टि की छत्रछाया में सदैव हमारा बसेरा हो।
हे जगदाती तेरे नाम की ज्योति से, मेरा हर सवेरा हो॥
♦ सुशीला देवी जी – करनाल, हरियाणा ♦
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- “श्रीमती सुशीला देवी जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — आज हम बात कर रहे हैं हमारे देश के सनातन धर्म (हिन्दू धर्म) द्वारा मनाये जाने वाले नवरात्रि त्यौहार की, इस त्यौहार को बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। नवरात्रि में लोग 9 दिन व्रत रखते हैं और आखिरी दिन मां की पूजा करके नौ कन्याओं को भोजन कराते हैं। यह त्यौहार अलग-अलग जगह पर अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। काफी जगह इस दिन लोग गरबा और डांडिया भी खेलते हैं। यह त्यौहार असत्य पर सत्य की जीत को दर्शाता है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि साल में दो बार मनाया जाता है। नवरात्रि नौ दिनों के लिए निरंतर चलता है जिसमे देवी माँ के अलग-अलग स्वरूपों की लोग भक्ति और निष्ठा के साथ पूजा करते है। भारत में नवरात्रि अलग-अलग राज्यों में विभिन्न तरीको और विधियों के संग मनाई जाती है।
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यह कविता (माँ तेरी प्रीत निराली।) “श्रीमती सुशीला देवी जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।
आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—
मेरा नाम श्रीमती सुशीला देवी है। मैं राजकीय प्राथमिक पाठशाला, ब्लॉक – घरौंडा, जिला – करनाल, में J.B.T.tr. के पद पर कार्यरत हूँ। मैं “विश्व कविता पाठ“ के पटल की सदस्य हूँ। मेरी कुछ रचनाओं ने टीम मंथन गुजरात के पटल पर भी स्थान पाया है। मेरी रचनाओं में प्रकृति, माँ अम्बे, दिल की पुकार, हिंदी दिवस, वो पुराने दिन, डिजिटल जमाना, नारी, वक्त, नया जमाना, मित्रता दिवस, सोच रे मानव, इन सभी की झलक है।
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