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Magh’s Sun | माघ का सूरज।
माघ का सूरज क्यूं इतना इतराता है,
आश लगाए बैठा हूं,
कभी आता है कभी जाता है।
सर्द हवाओं का झोंका लेकर,
क्यूं इतना इठलाता है,
तेरी गर्मी कहां गई,
क्यूं इतना तड़पाता है।
आने दे जेष्ठ का महीना,
तू खुद पछताएगा,
लोग बैठेंगे छांव में,
तेरा मोल क्या रह जाएगा,
तेरी आंखों का पानी मरा,
मरी शर्म और लाज।
तू कैसा मालिक जगत का,
कैसा तेरा राज,
बच्चे, बूढ़े बिलख़ रहे,
कहां तेरा दया, धरम, ईमान।
सर्द हवाओं ने ले ली
अब तक हज़ारों जान,
पूछता हूं, कहां है भगवान,
ए पत्थर दिल इंसान।
मैं पूजता रहा पत्थर में
छुपे भगवान को,
देख लो लगाता हूं
हर रोज छप्पन भोग।
क्यूं मर जाते फूटपाथ पर,
नंगे, कांपते, भूखे लोग,
पाखण्ड ही पाखंड है,
अंधकार है हर ओर।
दिखावा करता इंसान,
मचा – मचा कर शोर,
कड़ाके की सर्दी है,
थोड़ी सी भी धूप नहीं।
तन पर कपड़ा नहीं,
बिन चादर बैठी बूढ़ी माई,
मानवता हुई शर्मसार,
देखो अबला कैसे कांप रही।
♦ भोला शरण प्रसाद जी – सेक्टर – 150 / नोएडा – उत्तर प्रदेश ♦
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- “भोला शरण प्रसाद जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस लेख के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — माघ का सूरज क्यूं तू इतना इतराता है, आश लगाए बैठा हूं, कभी आता है तो कभी जाता है। सर्द हवाओं का झोंका लेकर, क्यूं इतना इठलाता है, तेरी गर्मी कहां गई, क्यूं इतना तड़पाता है।भूल ना जाओ, आने दे जेष्ठ का महीना, तू खुद पछताएगा, लोग बैठेंगे छांव में, तेरा मोल क्या रह जाएगा, तेरी आंखों का पानी मरा, मरी शर्म और लाज। सच्ची सेवा तो मानव सेवा है कब समझेगा आज का इंसान। इंसान होकर भी यदि जरूरतमंद की मदद ना कर पाए तो भला ऐसे जन्म का क्या फायदा? कोशिश सदैव यही करो की मानव सेवा को अपना परम धर्म बनाओ।
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यह कविता (माघ का सूरज।) “भोला शरण प्रसाद जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख/कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।
आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—
मैं भोला शरण प्रसाद बी. एस. सी. (बायो), एम. ए. अंग्रेजी, एम. एड. हूं। पहले केन्द्रीय विघालय में कार्यरत था। मेरी कई रचनाऍं विघालय पत्रिका एंव बाहर की भी पत्रिका में छप चूकी है। मैं अंग्रेजी एंव हिन्दी दोनों में अपनी रचनाऍं एंव कविताऍं लिखना पसन्द करता हूं। देश भक्ति की कविताऍं अधिक लिखता हूं। मैं कोलकाता संतजेवियर कालेज से बी. एड. किया एंव महर्षि दयानन्द विश्वविघालय रोहतक से एम. एड. किया। मैं उर्दू भी जानता हूं। मैं मैट्रीकुलेशन मुजफ्फरपुर से, आई. एस. सी. एंव बी. एस. सी. हाजीपुर (बिहार विश्वविघालय) बी. ए. (अंग्रेजी), एम. ए. (अंग्रेजी) बिहार विश्वविघालय मुजफ्फरपुर से किया। शिक्षा से शुरू से लगाव रहा है। लेखन मेरी Hobby है। इस Platform के माध्यम से सुधारात्मक संदेश दे पाऊं, यही अभिलाषा है।
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