Kmsraj51 की कलम से…..
♦ महाराजा पृथु अभिषेक। ♦
पृथु – अभिषेक आयोजन हुआ।
अभिनंदन वेदमयी ब्राह्मणों ने किया।
पृथ्वी, नदी, गौ, समुद्र, पर्वत, स्वर्ग,
सब ने अर्पण उपहार किया।
उपहार मिला सब तटका – टटका
हूं कवि मैं सरयू – तट का।
गंधर्व ने मिल किया गुणगान,
सिद्धों ने मिल पुष्प वर्षा कर बढ़ाया मान।
समवेत स्तुति ब्राह्मणों ने किया करके,
दिया मुक्त मन से समुचित ज्ञान।
दीया ज्ञान सब ने दस – दस का
हूं कवि मैं सरयू तट का।
विश्वकर्मा ने दिया सुंदर रथ।
चंदा ने अश्व दिये अमृत मय।
सुदृढ़ धनुष दिया अग्नि ने।
सूर्य ने बाण दिया तेजोमय।
शत्रु को करारा दे जो झटका,
कवि हूं मैं सरयू तट का।
सुदर्शन चक्र दिया विष्णु ने।
लक्ष्मी ने दी संपत्ति अपार।
अंबिका चंद्राकार चिन्हों की ढाल।
रूद्र दे दिए चंद्राकार तलवार।
काम जो करे सरपट सरपट का,
हूं कवि मैं सरयू – तट का।
पृथ्वी दी योगमयि पादुकाएं।
आकाश ने नित्य पुष्प मालाएं।
सातों समुद्र ने दिया शंख।
पर्वत नदियों ने हटाई पथ बालाएं।
बना दिया आपको जीवट का,
हूं कवि मैं सरयू – तट का।
जल – फुहिया जिससे प्रतिपल झ,
वरुण ने छत्र – छत्र श्वेत चंद्र – सम।
धर्म ने माला वायु दो चंवर दिया।
मुकुट इंद्रने ब्रह्मा ने वेद कवच का दम।
संपूर्ण सृष्टि का माथा ठनका,
हूं कवि मैं सरयू – तट का।
सुंदर वस्त्रों – अलंकारों से,
हुये सुसज्जित श्री पृथु राज।
स्वर्ग – सिंहासन विराजमान,
आभार अग्नि की जस महाराज।
पहुंचे सभी न कोई अटका,
हूं कवि मैं सरयू – तट का।
सूत – माधव बंदीजन गाने लगे।
सिद्ध गंधर्व आदि नाचने बजाने लगे।
प्रीति को मिली अंतर्ध्यान शक्ति।
महाराज को सभी बहलाने लगे।
दे दे करके लटकी – लटका,
हूं कवि मैं सरयू – तट का।
गुण कर्मों का बंदीजन गुणगान किया।
महाराज ने सभी को मुक्त भाव से दान दिया।
मंत्री पुरोहित पुरवासी सेवक का मान किया।
चारों वर्णों का महाराज ने सम्मान किया।
गुंजाइश नहीं किसी खटपट का,
कवि हूं मैं सरयू – तट का ।
♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦
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- “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से, कविता के माध्यम से बखूबी समझाने की कोशिश की है – इस कविता में कवि ने राजा पृथु के अभिषेक का मनोरम सुन्दर दृश्य का सटीक वर्णन किया है। बहुत ही सरल शब्दों में बताया है, की किस किस दैवी शक्ति ने कौन – कौन सा अस्त्र दिया महाराजा पृथु को। इस कविता को पढ़ते समय आप महाराजा पृथु के दरबार की अनुभूति करेंगे।
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यह कविता (महाराजा पृथु अभिषेक।) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से।
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ज़रूर पढ़ें: पृथु का प्रादुर्भाव।
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