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मैं धीर भरी सुख की बदली।

Kmsraj51 की कलम से…..

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    • ♦ मैं धीर भरी सुख की बदली। ♦
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♦ मैं धीर भरी सुख की बदली। ♦

मैं धीर भरी सुख की बदली।
बदली दुनिया मैं भी बदली।

हो पीर भले चाहे जितनी।
जीना अब मैंने सीख लिया।
जो शूल बिछे पथ में मेरे,
वो शूल हटाना सीख लिया।

कंटक पथ पर, उर साहस भर।
मासूम कली मैं चल निकली।
मैं धीर भरी सुख ………
बदली दुनिया मैं ………

नैनों से चाहे नीर बहे।
हिय से अनुराग बहाती हूँ।
यूँ ही नहीं मैं इस सृष्टि की,
अनुपम रचना कहलाती हूँ।

असुरों का वध करने को अब,
खुद आयुध लेकर चल निकली।
मैं धीर भरी सुख ……..
बदली दुनिया मैं ……..

नीरव नीरस गृह को मैं ही,
मधुर सुरों से भर देती हूँ।
निर्जीव खड़ी दीवारों की,
जड़ता सारी हर लेती हूँ।

कण – कण घर का महके ऐसे,
मानो सुवासित बयार चली।
मैं धीर भरी सुख ……..
बदली दुनिया मैं ………

केवल भीतों के आयत से,
होता है निर्मित सदन नहीं।
गृहलक्ष्मी बन कर आ जाऊँ।
बस जाता है फिर भवन वहीं।

मंगल गायन उत्सव पूजा,
लगती हैं सको बहुत भली।
मैं धीर भरी सुख की ……..
बदली दुनिया मैं ………..

हो जाऊँ मैं पल भर ओझल।
अनुपस्थिति मेरी बहुत खले।
दृष्टि पड़े जब भी मुझ पर तो,
मुख पर सबके मुस्कान खिले।

केवल मेरे होने से ही।
सूरत सबकी है खिली – खिली।
मैं धीर भरी सुख की बदली।
दुनिया बदली मैं भी बदली।

औरों की गलती पर मैंने,
अब नीर बहाना छोड़ दिया।
नभ तक परचम फहराया है।
धारा का रुख़ ही मोड़ दिया।

निज सक्षमता के बल पर ही,
लाचारी पीछे छोड़ चली।
मैं धीर भरी सुख की बदली।
दुनिया बदली मैं भी बदली।

♦ वेदस्मृति ‘कृती’ जी – पुणे, महाराष्ट्र ♦

—————

  • “वेदस्मृति ‘कृती’ जी“ ने, बिलकुल ही सरल शब्दों में समझाने की कोशिश की हैं – “नारी तू नारायणी” एक नारी से ही घर का रौनक है, वही है जो हरेक हालात, में घर को व घर के सभी सदस्यों का देखभाल करती हैं। “नीरव नीरस गृह को मैं ही मधुर सुरों से भर देती हूँ, निर्जीव खड़ी दीवारों की जड़ता सारी हर लेती हूँ। हो जाऊँ मैं पल भर ओझल, अनुपस्थिति मेरी बहुत खले, दृष्टि पड़े जब भी मुझ पर तो, मुख पर सबके मुस्कान खिले।”

—————

यह कविता (मैं धीर भरी सुख की बदली।) ” वेदस्मृति ‘कृती’ जी “ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूँ ही चलती रहे जनमानस के कल्याण के लिए।

साहित्यिक नाम : वेदस्मृति ‘कृती’
शिक्षा : एम. ए. ( अँग्रेजी साहित्य )
बी.एड. ( फ़िज़िकल )
आई आई टी . शिक्षिका ( प्राइवेट कोचिंग क्लासेज़)
लेखिका, कहानीकार, कवियित्री, समीक्षक, ( सभी विधाओं में लेखन ) अनुवादक. समाज सेविका।

अध्यक्ष : “सिद्धि एक उम्मीद महिला साहित्यिक समूह”
प्रदेश अध्यक्ष : अखिल भारतीय साहित्य सदन ( महाराष्ट्र इकाई )
राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान बिहार प्रान्त की महिला प्रकोष्ठ,
श्री संस्था चैरिटेबल ट्रस्ट : प्रदेश प्रतिनिधि ( महाराष्ट्र )
अंतर्राष्ट्रीय हिंदी परिषद में – सह संगठन मंत्री, मुंबई ज़िला, महाराष्ट्र
हिन्दी और अँग्रेजी दोनों विधाओं में स्वतंत्र लेखन।

अनेक प्रतिष्ठित हिन्दी/अँग्रेजी पत्र – पत्रिकाओं में नियमित रचनाएँ प्रकाशित।

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