Kmsraj51 की कलम से…..
Matlabi Duniya | मतलबी दुनिया।
बड़ी अदब से झुक कर,
दुआ मांगता था अपने लिए।
लोगों की बेरुखी इतनी बढ़ी,
कम हो गई दुआएं मेरे लिए।
मैं मुस्कुराना भूल गया,
बद्दुआ असर करने लगा।
हर नजर देखती है,
तीखी नजरों से मुझे,
बात करने को तरसता हूँ।
हर जुबां खंजर हो गई मेरे लिए,
कभी दोस्तों की भरमार थी।
सभी गले मिलते थे खुशी से मेरे,
वक़्त बहुत बदल गया।
आज राम -राम कहने की,
फुर्सत नहीं मेरे लिए।
जिन पर भरोसा था मुझे,
जो दुआ मांगते थे मेरे लिए,
आज बेख़ौफ़ बद्दुआ माँग रहे मेरे लिए।
जो मेरे अपने थे वे भी शामिल हो गए,
कहीं दोस्त नजर नहीं आते,
सभी दुश्मन बन बैठे मेरे लिए।
किससे करूँ बात,
सभी ग़द्दार निकल गए।
कभी जो बाहें सहारा बनतीं थी,
सभी हथियार निकल गए।
कुछ राज़ सीने में,
दफन थी वो सब जान गए।
सामने मुस्कराते रहे,
पीठ पीछे अखबार निकल गए।
जब तक आंख खुली मैं लूट चूका था।
किस किस को दोषी मानूं,
कोई फर्क़ नहीं पड़ता।
सभी अजनबी हो गए,
मौत को बुलाते हैं अपने पास।
हर दिल को शकुन मिले,
मेरे जाने के बाद।
हर आश टूट गई,
जिन्दगी बेवफ़ा हो गई मेरे लिए।
♦ भोला शरण प्रसाद जी – सेक्टर – 150 / नोएडा – उत्तर प्रदेश ♦
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- “भोला शरण प्रसाद जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस लेख के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — आजकल देखने में आता है कि रिश्ते स्वार्थ की बुनियाद पर टिके होते हैं। आधुनिक रूप में रिश्तों में किसी न किसी निजी स्वार्थ की तलाश की जा रही है और किसी निश्चित हेतु (उद्देश्य) साधने तक खूब आत्मीयता प्रकट की जाती है फिर अपना काम निकलने के बाद पहचानते भी नहीं है। इंसान के मन में जब स्वार्थ की वृद्धि होने लगे यदि उसी समय मन को शांत किया जाए तो सहजता से शांत किया जा सकता है अन्यथा इंसान का स्वार्थ पोषित होकर जीवन को विनाश के मार्ग पर ले जाता है एवं इंसान को परिणाम भुगतने के समय जब अहसास होता है तब तक बहुत देर हो जाती है। जीवन में यह समझना आवश्यक है कि स्वार्थ द्वारा भौतिक सुख तो जुटाए जा सकते हैं कितु सम्मान उस स्वार्थी व्यक्ति का धीरे-धीरे समाप्त हो जाता है उसका सामाजिक पतन निश्चित होता है यदि सम्मान चाहिए तो स्वार्थ से दूर रहना आवश्यक है वरना यह आपका पतन कर देगा। “स्वार्थी लोग अपने लाभ के लिए झूठ बोलते है, बिना बात तारीफ करते है। आपसे प्रभावित होने का नाटक करते है। उनका स्वार्थ आपसे फलीभूत न हो तो आपके ऊपर गलत आक्षेप करके निंदा करने की कोशिश करते है। इन लक्षणों से पहचाना जा सकता है।”
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यह कविता (मतलबी दुनिया।) “भोला शरण प्रसाद जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख/कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।
आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—
मैं भोला शरण प्रसाद बी. एस. सी. (बायो), एम. ए. अंग्रेजी, एम. एड. हूं। पहले केन्द्रीय विघालय में कार्यरत था। मेरी कई रचनाऍं विघालय पत्रिका एंव बाहर की भी पत्रिका में छप चूकी है। मैं अंग्रेजी एंव हिन्दी दोनों में अपनी रचनाऍं एंव कविताऍं लिखना पसन्द करता हूं। देश भक्ति की कविताऍं अधिक लिखता हूं। मैं कोलकाता संतजेवियर कालेज से बी. एड. किया एंव महर्षि दयानन्द विश्वविघालय रोहतक से एम. एड. किया। मैं उर्दू भी जानता हूं। मैं मैट्रीकुलेशन मुजफ्फरपुर से, आई. एस. सी. एंव बी. एस. सी. हाजीपुर (बिहार विश्वविघालय) बी. ए. (अंग्रेजी), एम. ए. (अंग्रेजी) बिहार विश्वविघालय मुजफ्फरपुर से किया। शिक्षा से शुरू से लगाव रहा है। लेखन मेरी Hobby है। इस Platform के माध्यम से सुधारात्मक संदेश दे पाऊं, यही अभिलाषा है।
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