Kmsraj51 की कलम से…..
♦ मेरे वतन की मिट्टी की खुशबू। ♦
मेरे वतन की माटी की खुशबू, सुबह – शाम जिसे जब आती है।
मन हो उठता है बाग – बाग सा, रूह होती तब मदमाती है।
यह भक्ति – मुक्ति की पावन धरा है, राम -कृष्ण को जनाती है।
गंगा – यमुनी तहजीबों को, यह भूमि खुद पर ही तो बहाती है।
धर्म अनेक यहां नाना भाषाएं, कई कुल कुनबे, कई जाति है।
सीधा सादा मानुष यहां का, विश्व पटल पर जिसकी ख्याति है।
दादुर, म्यूर, पपिहरा के शोर और कोयल काली मीठा जब गाती है।
भारत देश की धरती सचमुच, हर्षित हो फूली न तब समाती है।
शीतल पवन जब हवा के झोंको से, धूल धारा से अम्बर में उड़ाती है।
यूं लगता है मानो भारत की भूमि, मस्ती में होली का पर्व मनाती है।
रिमझिम बारिश की शीतल बूंदें, सिंचित करती यहां की जब माटी है।
उग आती है तब नाना फसलें, भारत की जनता उन्हें तब खाती है।
छा जाए कभी संकट के बादल तो, वीर बिरादरी सर अपना जब चढ़ाती है।
बुंदेले हर बोलों की भांति फिर गौरव गाथा, जनता उनकी तब गाती है।
प्रेम करुणा की प्रवाहक यह भूमि, हमेशा विश्व में शान्ति ही चाहती है।
नाहक इसको छेड़े जो कोई, फिर तो दुश्मन की ईंट से ईंट बजाती है।
जय बोलो भाई जय बोलो सब, मां भारती के पावन आंचल की।
जय बोलो भाई जय बोलो सब, उतर, दक्षिण, पश्चिम और पूर्वांचल की।
♦ हेमराज ठाकुर जी – जिला – मण्डी, हिमाचल प्रदेश ♦
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- “हेमराज ठाकुर जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — मेरे वतन की मिट्टी की खुशबू का क्या कहना, सुबह – शाम जिसे जब भी आती है, मन हो उठता है बाग – बाग सा, रूह होती तब मदमाती है। यह वही पवित्र भूमि है जहाँ पर भक्ति – मुक्ति की पावन धारा सदैव ही बहती है, राम – कृष्ण को जनाती है यह भूमि। यही पर माँ गंगा, यमुना सरस्वती नदियों को यह भूमि खुद पर ही तो बहाती है। यहां पर धर्म अनेक यहां नाना भाषाएं, कई कुल कुनबे, कई जाति है, सीधा सादा मानुष यहां का, विश्व पटल पर जिसकी ख्याति है। रिमझिम बारिश की शीतल बूंदें जब सिंचित करती यहां की माटी को तब उग आती है तब नाना फसलें, भारत की जनता उन्हें तब खाती है। प्रेम व करुणा की प्रवाहक रही है सदैव से ही यह भूमि, हमेशा विश्व में शान्ति ही चाहती है, नाहक इसको छेड़े जो कोई भी, फिर तो दुश्मन की ईंट से ईंट बजाती है। जय बोलो भाई जय बोलो सब, मां भारती के पावन आंचल की। जय बोलो भाई जय बोलो सब, उतर, दक्षिण, पश्चिम और पूर्वांचल की।
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यह कविता (मेरे वतन की मिट्टी की खुशबू।) “हेमराज ठाकुर जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।
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