कई साल किराये पर रहने के बाद आज उसने नया मकान खरीद ही लिया था।‘चलो आज ईश्वर की कृपा से घर भी बन गया।’ माँ ने प्रसन्नता जाहिर की।
सबके बड़े-बड़े कमरे थे। माँ का कमरा भी काफी बड़ा था।
‘हाँ, इस कोने में मैं अपना मन्दिर बनाऊँगी’ माँ ने कमरे के एक कोने की ओर इशारा करते हुए कहा।
बीवी भी अपनी विशाल और अति सुंदर रसोई देख कर खुश थी।कुछ दिन बाद पति-पत्नी को लगा की रसोई पकाने से रसोई खराब हुई जाती है और पूजा करने के कारण माँ वाले कमरे की छत काली पड़ी जा रही है। समस्या का हल निकाला गया। क्यों ना रसोई गैरेज में ही पकाई जाए और माँ का मंदिर भी वहीं बना दिया जाए।
रसोई गैरेज में पकने लगी और मंदिर भी माँ की इच्छा के विरूद्ध गैरेज में स्थापित कर दिया गया।
अब रसोई साफ-सुथरी थी और माँ का कमरा भी मंदिर बाहर लगाने से और बड़ा लगने लगा था।
बड़े घर में आने पर माँ को बेटे-बहू का दिल छोटा-छोटा दिखने लगा था।
Thanks to – रोहित कुमार ‘हैप्पी’ for sharing Motivational Short Hindi Story.
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