Kmsraj51 की कलम से…..
♦ ना मांगा मैं धन दौलत। ♦
ना मांगा मैं धन दौलत,
ना मांगा तुमसे हार सनम।
ना मांगा मैं हीरे मोती,
ना कोई उपहार सनम।
एक तेरी बोली सुनने को,
हरदम मैं बेताब सनम।
दिन – रात सोते जाग बस,
देखूं तेरा ख़्वाब सनम।
क्यों गई ना पता मुझे,
थी क्या खता तू बता मुझे।
होगी कुछ मजबुरी फिर,
या नापसंद था बता मुझे।
तू अभागीन किस्मत की,
या मेरे प्यार की कमी सनम।
मेरे हंसते नैनों में,
क्यों छोड़ गई तू नमी सनम।
एक तेरे जाने से जानम,
गया मैं फिर से हार सनम।
नाम तेरा लेकर सब मुझको,
करते हैं दुत्कार सनम।
नाम तेरा लेकर सब मुझको,
करते हैं दुत्कार सनम….
♦ अमित प्रेमशंकर जी — एदला-सिमरिया, जिला–चतरा, झारखण्ड ♦
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Conclusion
- “अमित प्रेमशंकर“ जी ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से समझाने की कोशिश की है — एक प्यार करने वाला सदैव ही अपनी प्रेमिका से केवल सच्चा प्रेम ही चाहता है। जब भी इंसान किसी से बेहद प्यार करते, जो दिल के बहुत करीब होते है और वो अपना बनने वाला होता है, लेकिन अपना बनने से पहले ही हमसे दूर चला जाता है उस समय मन की क्या परिस्थिति, मन में क्या उथल – पुथल चलता है, इसका बहुत सटीक वर्णन किया है।
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यह कविता (ना मांगा मैं धन दौलत।) “अमित प्रेमशंकर जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। आपकी ज्यादातर कविताएं युवा पीढ़ी को जागृत करने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।
आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—
नाम: अमित प्रेमशंकर
पता: एदला – सिमरिया
जिला: चतरा (झारखण्ड)
सम्प्रति: कवि, गीतकार व ढोलक वादक।
प्रकाशित पुस्तकें: आत्म सृजन, काव्य श्री, एक नई मधुशाला १, एक नई मधुशाला २, भावों के मोती, व अक्षर पुरूष।
प्रकाशित रचनाएं: देश के अलग-अलग पत्र पत्रिकाओं मे लगभग दो सौ रचनाएं प्रकाशित व समय समय पर सामाचार पत्रों के माध्यम से पत्राचार।
विशेष: “सीता माता सी कोई नहीं” तथा “आज राम जी आएंगे” महाराष्ट्र के वरिष्ठ साहित्यकार श्री ओ. सी. पटले द्वारा पोवारी भाषा में अनुवाद।
प्राप्त सम्मान: काव्य श्री साहित्य सम्मान, आत्म सृजन साहित्य सम्मान, सरदार भगतसिंह साहित्य सम्मान, सुमित्रानंदन पंत कृति सम्मान, साहित्य कर्नल सम्मान, रैदास साहित्य सम्मान, द फेस ऑफ इंडिया सम्मान, दिल्ली युथ डेवलपमेंट से सम्मानित।
प्रकाशनार्थ: मन की धारा
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