Kmsraj51 की कलम से…..
♦ नरक चतुर्दशी। ♦
मास कार्तिक कृष्ण पक्ष नरकचतुर्दशी आती है,
घर की सारी विपदाएँ रूप चौदस भगाती है।
मुरली मनोहर ने आज ही नरकासुर को मारा था,
सोलह हज़ार एक सौ बंदी कन्याओं को तारा था।
दुराचारी के अन्त पर घर – घर दीप जलाए गये,
घर के कोने – कोने से सारे तिमिर मिटाये गये॥
छोटी दीवाली पर दीप जले कहती है ये कथा,
इस दिन के व्रत पूजन से मिट जाते संताप व्यथा।
पुण्यवान एक राजा थे रंतिदेव उनका नाम था,
जीवन में कभी उन्होंने किया न पाप का काम था।
अन्त समय यमदूतों को देख रन्तिदेव चकराये,
‘किस अपराध के कारण ये लेने मुझको हैं॥
छोटी दिवाली पर दीप जले कहती है ये कथा,
इस दिन के व्रत पूजन से मिट जाते संताप व्यथा।
पुण्यवान एक राजा थे रंतिदेव उनका नाम था,
जीवन में कभी उन्होंने किया न पाप का काम था।
अन्त समय यमदूतों को देख रन्तिदेव चकराये,
‘किस अपराध के कारण ये लेने मुझको हैं आये॥
‘लौट गया था भूखा ही दर से तुम्हारे एक वामन,
क्षीण हुए हैं पुण्य तुम्हारे इस कारण हे राजन’।
एक वर्ष की अवधि लेकर नृप आये ऋषियों के पास,
पूछा उनसे ‘क्या है उपाय मिट जाये यम का पाश’।
ऋषियों ने राजा को नरक चतुर्दशी दिन बतलाया,
व्रत पूजन करवाकर ब्राह्मण भोज करवाया॥
इस पावन दिन के पूजन से उनको क्षमादान मिला,
पुण्यों के बल पर उनको परलोक में सम्मान मिला।
नरक चतुर्दशी पर दीपदान एक पुनीत कृतित्व है,
इस दिवस का पुराणों में भी बहुत विशेष महत्व है।
मालिश उबटन लगाने का इस दिन वर्णित विधान है,
श्री कृष्ण प्रसन्न मन से करते सौंदर्य प्रदान हैं॥
पूजा यम की करते हैं इस दिन होके श्रद्धा युक्त जो,
कृपा यम की मिलती है उनको होते हैं पापमुक्त वो॥
♦ वेदस्मृति ‘कृती’ जी – पुणे, महाराष्ट्र ♦
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- “वेदस्मृति ‘कृती’ जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता में समझाने की कोशिश की है — छोटी दीवाली पर दीपक जलाने की परंपरा है, इस दिन के व्रत पूजन से मिट जाते सभी तरह के संताप व्यथा। पुण्यवान एक राजा थे रंतिदेव उनका नाम था, जीवन में कभी उन्होंने किया न कोई पाप कर्म का काम था। अन्त समय यमदूतों को देख रन्तिदेव चकराये, मन में उठा एक संकल्प ‘किस अपराध के कारण ये लेने मुझको हैं आये।
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यह कविता (नरक चतुर्दशी।) ” वेदस्मृति ‘कृती’ जी “ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी मुक्तक/कवितायें/गीत/दोहे/लेख सरल शब्दों में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी दोहे/कविताओं और लेख से आने वाली नई पीढ़ी और जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूँ ही चलती रहे जनमानस के कल्याण के लिए।
साहित्यिक नाम : वेदस्मृति ‘कृती’
शिक्षा : एम. ए. ( अँग्रेजी साहित्य )
बी.एड. ( फ़िज़िकल )
आई आई टी . शिक्षिका ( प्राइवेट कोचिंग क्लासेज़)
लेखिका, कहानीकार, कवियित्री, समीक्षक, ( सभी विधाओं में लेखन ) अनुवादक. समाज सेविका।
अध्यक्ष : “सिद्धि एक उम्मीद महिला साहित्यिक समूह”
प्रदेश अध्यक्ष : अखिल भारतीय साहित्य सदन ( महाराष्ट्र इकाई )
राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान बिहार प्रान्त की महिला प्रकोष्ठ,
श्री संस्था चैरिटेबल ट्रस्ट : प्रदेश प्रतिनिधि ( महाराष्ट्र )
अंतर्राष्ट्रीय हिंदी परिषद में – सह संगठन मंत्री, मुंबई ज़िला, महाराष्ट्र
हिन्दी और अँग्रेजी दोनों विधाओं में स्वतंत्र लेखन।
अनेक प्रतिष्ठित हिन्दी/अँग्रेजी पत्र – पत्रिकाओं में नियमित रचनाएँ प्रकाशित।
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