Kmsraj51 की कलम से…..
O Majhi Re | ओ माझी रे।
हइया हो हइया हइया हो हइया,
ओ हो हो…3 हइया हो हइया।
चल रे माझी चलता चल,
खेव रे नईया बढ़ते चल।
घुमड़-घुमड़ आये रे बदरा,
देर न कर तू चलता चल।
हइया हो हइया हइया हो हइया,
ओ हो हो…3 हइया हो हइया।
उमड़े तो सागर सूरज ढलता जाये,
सांझ की बेला दौड़ी – दौड़ी आये।
चंदा भी जाल बिछाये,
अँधियारी की बदरी छाये।
हइया हो हइया हइया हो हइया,
ओ हो हो…3 हइया हो हइया।
छोड़ न देनाऽऽ धीरज साथी,
तोड़ न लेना मन की बाती।
ये तो बात है पल दो पल की,
आस का दामन,
चहुँ ओर निराशा।
घुमड़-घुमड़ आये बदरा,
हइया हो हइया हइया हो हइया,
ओ हो हो…3 हइया हो हइया।
♦ सतीश शेखर श्रीवास्तव ‘परिमल‘ जी — जिला–सिंगरौली, मध्य प्रदेश ♦
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यह कविता (ओ माझी रे।) “सतीश शेखर श्रीवास्तव ‘परिमल’ जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।
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