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उफ! ये मौसम।

Kmsraj51 की कलम से…..

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    • ♦ उफ! ये मौसम। ♦
      • आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—
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♦ उफ! ये मौसम। ♦

उत्तरी भारत में सर्दी ने क्या सितम है ढाया।
इस मौसम के जर्रे-जर्रे ने बर्फ है बरसाया॥

लगता है सूर्यदेव भी कुछ खफा हो गया हमसे।
तभी तो दर्शन नही दे रहे हमें एक पखवाड़े से॥

पानी ने भी अपनी ठंडक चरम सीमा पर पहुँचाई।
पानी में हाथ डालते ही आँखों ने नीर की गंगा बहाई॥

हे सूर्यदेव! मकर संक्रांति पर तेरे दर्शनों की हमने आस लगाई।
पर उस दिन भी तेरी किरणों ने गरमाहट नही पहुँचाई॥

ए ख़ुदा! मौसम खुशनुमा नही लगता अब।
बता दे अब तो, तू खुशगवार बनेगा कब॥

ए मौसम! अब तो सितम ढाना कर दे बंद।
ठंड से अब सभी जरूरी कार्य हुए मंद॥

अलाव ने भी अब तो गर्मी पहुँचाने का छोड़ा अहसास।
अब तो सबकी सूर्यदेव की किरणों पर टिकी है आस॥

लगता है ये सितमगर ठंड जम गई अब कण-कण में।
हे सूर्यदेव! अपनी ऊर्जा का संचार कर जन-जन में॥

♦ सुशीला देवी जी – करनाल, हरियाणा ♦

—————

  • “श्रीमती सुशीला देवी जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — ये ठंडी का मौसम, जिसमे सूर्यदेव का दर्शन भी हुआ दुर्लभ। ठंडा इस कदर बढ़ गया की जिधर स्पर्श करो ठंड ही ठंड चाहे व्यक्ति हो या वस्तु। इस ठंड के कारण हर कार्य मंद हो गया, चाहे वह कोई भी कार्य क्यों न हो। अलाव ने भी अब तो गर्मी पहुँचाने का छोड़ा अहसास। अब तो सबकी सूर्यदेव की किरणों पर टिकी है आस। इस ठंड के कारण सभी के अंदर आलस्य का विस्तार हो गया। हे सूर्यदेव! अपनी ऊर्जा का संचार कर दो जन-जन में, सभी के मुरझाए हुए चेहरे फिर खिल उठे। पानी ने भी अपनी ठंडक चरम सीमा पर पहुँचाई। पानी में हाथ डालते ही आँखों ने नीर की गंगा बहाई। उत्तरी भारत में सर्दी ने क्या सितम है ढाया। इस मौसम के जर्रे-जर्रे ने बर्फ है बरसाया।

—————

यह कविता (उफ! ये मौसम।) “श्रीमती सुशीला देवी जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम श्रीमती सुशीला देवी है। मैं राजकीय प्राथमिक पाठशाला, ब्लॉक – घरौंडा, जिला – करनाल, में J.B.T.tr. के पद पर कार्यरत हूँ। मैं “विश्व कविता पाठ“ के पटल की सदस्य हूँ। मेरी कुछ रचनाओं ने टीम मंथन गुजरात के पटल पर भी स्थान पाया है। मेरी रचनाओं में प्रकृति, माँ अम्बे, दिल की पुकार, हिंदी दिवस, वो पुराने दिन, डिजिटल जमाना, नारी, वक्त, नया जमाना, मित्रता दिवस, सोच रे मानव, इन सभी की झलक है।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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Comments

  1. Kusum Gaur says

    January 18, 2022 at 6:57 pm

    Nice 👌 and cool Cool poem ✍✍🙏🙏🌹🌹

    Reply
  2. Anurag Thardak 😍 says

    January 20, 2022 at 9:22 am

    अति उत्तम कविता मेडम जी

    Reply
    • kmsraj51 says

      January 20, 2022 at 8:10 pm

      Thanks for comments Ji

      Reply

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