Kmsraj51 की कलम से…..
♦ पैसे की अहमियत। ♦
Or, Importance of money.
या जीवन में पैसे का महत्व।
किसी भी समाज में या किसी भी इंसान के जीवन में पैसे का अपना – अपना अलग ही महत्व है। एक कहावत है की, “किसी भी इंसान के जीवन में पैसे का महत्व उतना ही है जितना गाड़ी में पेट्रोल की।” ना इससे ज्यादा ना इससे कम। क्या आपने कभी सोचा की आखिर ये कहावत क्यों इतना अधिक प्रचलित हुआ इसका क्या मतलब है, यदि नही तो, जरा सोचे, क्यों हुआ ??
इस कहावत के प्रचलित या पॉपुलर होने का एक मुख्य कारण है, जैसा की मैं (KMSRAJ51) अक्सर अपने ट्रेनिंग में कहा करता हूँ – “किसी भी इंसान के जीवन में पैसा जरूरी है ये बात तो सत्य है, लेकिन पैसा ही सबकुछ है ये सोच नहीं होनी चाहिए, क्योंकि जहां ये सोच हुआ की पैसा ही सबकुछ है इंसान के अंदर इंसानियत नही रह जाती।” –KMSRAJ51
किसी भी इंसान के अंदर जहां ये सोच हुआ की पैसा ही सबकुछ है इंसान के अंदर इंसानियत नहीं रह जाती। वह इंसानी शरीर में एक शैतान बन जाता है। क्योंकि जिस पल उसके अंदर का इंसानियत मर जाता है, उसके सारे कर्म इंसान को व इंसानियत को नुकसान पहुंचाने वाले होते है। उसका बुद्धि सही व गलत का निर्णय नही कर पाता, उसे बस पैसा ही नजर आता है। उसका केवल एक ही मोटिव होता है बस पैसा आये चाहे जैसे भी आये। चाहे किसी को हानि हो या फायदा उसे पैसा मिलना चाहिए बस। क्योंकि वह अपने सोच की वजह से अपने अंदर के इंसानियत को पहले ही मार चूका है।
• जरा सोचे •
जरा सोचे किसी भी इंसान के जीवन में पैसे की वाकई में कितनी जरूरत है। उतनी ही जितने में उसकी महत्वपूर्ण जरूरते पूर्ण हो जाये। एक और पुरानी कहावत है, की इंसान की मुख्य जरूरत क्या है?? आपके हिसाब से क्या है मुझे कमेंट में जरूर बताएं।
किसी भी इंसान के जीवन में मुख्यतः केवल तीन ही जरूरत है, रोटी, कपड़ा, और रहने के लिए मकान बस इससे ज्यादा और कुछ नहीं। बेसिक जरूरतें तो केवल यह तीन ही है।
इन तीन जरूरतों के बाद और जो कुछ भी इकट्ठा करता है इंसान उसमें अपने मन के शांति व् पलभर के सुख को ढूंढता रहता है। जो उसे कभी स्थाई रूप से नहीं मिलता, क्योंकि जहां स्थाई सुख व शांति है ही नहीं वह आपको कैसे मिलेगा। कुछ पल के लिए तो खुश हो जाता है लेकिन फिर वही अशांति व दुःख-दर्द पुनः घेर लेता है।
• तात्पर्य •
मेरे कहने का तात्पर्य ये बिलकुल भी नहीं है की इन तीन जरूरतों के अलावा आप अपने जीवन में और कुछ भी इकट्ठा ना करे। मैं तो केवल इतना कहना चाहता हूँ की “कभी भी किसी को किसी तरह का तकलीफ पहुँचाकर कुछ भी इकट्ठा ना करें।”
कमाई व सुख – सुविधा के लिए चीजे इकट्ठा करे लेकिन सही नीयत से। आपका नियत ऐसा हो जिससे किसी को कभी भी किसी तरह का कोई तकलीफ ना पहुंचे। तब तो ठीक है, वर्ना शैतानी जीवन का क्या फायदा।
ये तब होगा जब आपका सोच पवित्र होगा – की “पैसा जरूरी है लेकिन पैसा ही सब कुछ नहीं है।” कभी भी ये सोच ना रखे की पैसा ही सब कुछ है वर्ना आप इंसानी शरीर में शैतान बने रहेंगे। जो किसी भी नजरिये से सही नहीं है।
“वह इंसान ही क्या जिसके अंदर इंसानियत ही ना हो। जो इंसानियत के लिए ना जिया उसके जीवन का क्या अर्थ।
जीना है तो इंसानियत के लिए जिए। जीवन ऐसा जिए जो इंसान के काम आये।”-KMSRAJ51
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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)
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