Kmsraj51 की कलम से…..
♦ हर्षाती कविता। ♦
विश्व कविता दिवस पर।
कविता तो होता जीवन का एक प्रवाह है।
होता जिसमें हर भाव ही बस वाह है॥
कविता दिल की एक सच्ची अनुभूति है।
कवि के हृदय से निकली हुई कृति है॥
न तो होती उसमें कोई भी बनावट है।
होती बस दिल के उदगारों की सजावट है॥
केवल शब्दों को लयबद्ध करना ही नही काफी है।
सार्थक अर्थ के बिना तो शब्दों के संग नाइंसाफी है॥
गहरे अर्थ लिए हुए शब्दों का इक आईना है।
जिसमें अति सुंदर होता हर शब्द का मायना है॥
प्रेम का गहरा समुद्र है, दरिया इश्क का भी।
करुणा, जज्बात का अहसास, मरहम होता अश्क का भी॥
इंसान जब इसमें खो जाए हर शह में ही कविता गुनगुनाए।
फिर जज्बातों की कलम से ह्रदय पर भाव अंकित करता जाए॥
थाम कर कलम अपने लफ्ज़ो में किसी बात को कहना चाहे।
सच मानो दोस्तों स्वतः ही तैयार हो जाये लेखन की राहें॥
फिर हर किसी का दुख, सुख अपना लगता है।
लेखन उस मुकाम पर पहुँचा दे जो सपना लगता है॥
सभी कवियों के ह्रदय का करते हैं हम अभिनन्दन।
चेहरों पर खुशी लाने वाली हर कलम को मेरा वन्दन॥
♦ सुशीला देवी जी – करनाल, हरियाणा ♦
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- “श्रीमती सुशीला देवी जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — कविता दिल की एक सच्ची अनुभूति है, जो एक कवि के हृदय की गहराई से निकली हुई कृति है। भाव स्वरूप कविता तो होता है जीवन का एक प्रवाह, जो सदैव ही प्रेरित करता है कार्यशील होने के लिए। हृदय की गहराई से निकली हुई कृति में न तो होती उसमें कोई भी बनावट, होती बस दिल के उदगारों की सजावट है। याद रखें – केवल शब्दों को लयबद्ध करना ही नही काफी होता है, सार्थक अर्थ के बिना तो शब्दों के संग नाइंसाफी होता है। गहरे अर्थ लिए हुए शब्दों का इक आईना होती है कविता, जिसमें अति सुंदर भाव के साथ-साथ होता हर शब्द का मायना है। ये कविता प्रेम का गहरा समुद्र है, दरिया इश्क का भी, जिसमें करुणा, जज्बात का अहसास, मरहम होता अश्क का भी। कहते है इंसान जब भी इसमें खो जाए तो हर शह में ही कविता गुनगुनाए, फिर जज्बातों की कलम से सदैव ही ह्रदय पर भाव अंकित करता जाए।
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यह कविता (हर्षाती कविता। – विश्व कविता दिवस पर।) “श्रीमती सुशीला देवी जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।
आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—
मेरा नाम श्रीमती सुशीला देवी है। मैं राजकीय प्राथमिक पाठशाला, ब्लॉक – घरौंडा, जिला – करनाल, में J.B.T.tr. के पद पर कार्यरत हूँ। मैं “विश्व कविता पाठ“ के पटल की सदस्य हूँ। मेरी कुछ रचनाओं ने टीम मंथन गुजरात के पटल पर भी स्थान पाया है। मेरी रचनाओं में प्रकृति, माँ अम्बे, दिल की पुकार, हिंदी दिवस, वो पुराने दिन, डिजिटल जमाना, नारी, वक्त, नया जमाना, मित्रता दिवस, सोच रे मानव, इन सभी की झलक है।
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Surinder Tuteja says
Verry Nice Thoughts
kmsraj51 says
Tahedilse Thanks for your comments, most welcome at kmsraj51.com
rajpalsharma303@gmail.com says
Very nice poems, 👌
kmsraj51 says
तहे दिल से धन्यवाद जी!
Mamta says
मैं भी आपके साथ जुड़ना चाहती हूं ओर जुड़ गई हूं अपने एहसास को शब्दों में पिरोना ओर उनको सही अर्थ देना शायद ये कविता से बेहतर कोई बयां नहीं कर सकता ,
मैं दिल से शुक्रिया अदा करती हूं कि मैं आप लोगों से जुड पाई 🙏🙏
kmsraj51 says
तहे दिल से धन्यवाद जी!