Kmsraj51 की कलम से…..
My Village | मेरा गाँव।
रहता हूं बहुत दूर नोएडा में,
पर मेरा गाँव याद आता है।
लहलहाते खेत की पगडण्डियाँ,
उस पर फिसलता पाँव बहुत याद आता है,
मेरा गाँव मुझे बहुत याद आता है।
भूलना मुश्किल है, एक दूसरे से सबका मिलना,
दोपहर तक दोस्तों के साथ खेलना।
माँ का ढूंढते आना, हाथ में छड़ी, आंखें लाल,
पर उसके आँचल का छांव याद आता है,
मुझे मेरा गाँव बहुत याद आता है।
तपती दोपहर के बाद,
सुहानी शाम का आना याद आता है।
ज़ुदा हो के जो न ज़ुदा हो सका,
उसका मुस्कुराना याद आता है,
मुझे मेरा गाँव बहुत याद आता है।
सुबह शाम मिलती थी खुली हवाएँ,
शुद्ध पानी, भोजन और दुआएँ।
वक़्त बहुत बदल गया,
शहरी जिन्दगी में खाता हूं ढेर सारी अँग्रेजी दवाएं।
गाँव की खुली हवा के सामने,
फेल थे सारे हकीम और उनकी दवाएं।
घर के सामने वाली पीपल की छाँव याद आता है,
मुझे और कुछ नहीं, अपना गाँव याद आता है।
मंदिर की घंटी, शंख की आवाज,
दरिया का किनारा बहुत याद आता है।
मुझे मेरा गाँव “जहांगीर पूर शाम “याद आता है।
हूं तो बहुत दूर, पर सबके दिल के करीब हैं,
सबका बुलाना, सिर झुकाना, दुआ देना।
जीते जी न भूल पाउंगा, सबका मुस्कराता चेहरा,
यहाँ बेफिक्र हैं सब देखकर, हालात मेरे दिल की।
“भोला” सब की दिलों का धड़कन था,
दिल को सब याद आता है,
मुझे मेरा गाँव बहुत याद आता है।
♦ भोला शरण प्रसाद जी – सेक्टर – 150 / नोएडा – उत्तर प्रदेश ♦
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- “भोला शरण प्रसाद जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस लेख के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — गांव में बिताया हुआ बचपन की यादें कभी भूलती नहीं है। गाँव महत्वपूर्ण है क्योंकि यह हमारे देश के लिए कृषि उत्पादन का प्राथमिक क्षेत्र है । गाँव भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। यह पर्यावरण के पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखने में भी प्रमुख भूमिका निभाता है। गाँव अधिकतर पेड़-पौधों से आच्छादित होते हैं। मेरे गांव का मुख्य कार्य कृषि है यहां के अधिकतर लोग खेती का काम करते हैं और खेती में तेजी से हमारा गांव विकास कर रहा है और इसका मुख्य वजह यहां के मेहनती किसान है। गाँव का जीवन शांत और शुद्ध माना जाता है क्योंकि गाँवों में लोग प्रकृति के अधिक निकट होते हैं। हालांकि, इसकी चुनौतियां भी हैं। गाँव के इलाकों में रहने वाले लोग शांतिपूर्ण जीवन जीते हैं लेकिन वे कई आधुनिक सुविधाओं से रहित होते हैं जो जीवन को आरामदायक बनाते हैं। शहर में लोग आधुनिक सुविधाओं के बीच तो रहते है लेकिन अत्यधिक प्रदुषण के कारण, ज्यादा बीमार भी होते है, और दवाइयाँ खा-खाकर जीवन बिताने को मज़बूर होते है।
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यह कविता (मेरा गाँव।) “भोला शरण प्रसाद जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख/कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।
आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—
मैं भोला शरण प्रसाद बी. एस. सी. (बायो), एम. ए. अंग्रेजी, एम. एड. हूं। पहले केन्द्रीय विघालय में कार्यरत था। मेरी कई रचनाऍं विघालय पत्रिका एंव बाहर की भी पत्रिका में छप चूकी है। मैं अंग्रेजी एंव हिन्दी दोनों में अपनी रचनाऍं एंव कविताऍं लिखना पसन्द करता हूं। देश भक्ति की कविताऍं अधिक लिखता हूं। मैं कोलकाता संतजेवियर कालेज से बी. एड. किया एंव महर्षि दयानन्द विश्वविघालय रोहतक से एम. एड. किया। मैं उर्दू भी जानता हूं। मैं मैट्रीकुलेशन मुजफ्फरपुर से, आई. एस. सी. एंव बी. एस. सी. हाजीपुर (बिहार विश्वविघालय) बी. ए. (अंग्रेजी), एम. ए. (अंग्रेजी) बिहार विश्वविघालय मुजफ्फरपुर से किया। शिक्षा से शुरू से लगाव रहा है। लेखन मेरी Hobby है। इस Platform के माध्यम से सुधारात्मक संदेश दे पाऊं, यही अभिलाषा है।
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