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Saas Bahu | सास बहू।
सास बहू का रिश्ता है बड़ा पुराना,
इसकी चर्चा करता है सारा जमाना।
नई नवेली बहू जब घर में है आती,
सास रिश्तेदारों से मुलाकात है करवाती।
बहू आने की खुशी भी खूब है जताती,
आपस में हंंसी खुशी से समय बिताती।
समय की गति सदा एक जैसी नहीं रह पाती,
कभी – कभी आपस में तकरार भी हो जाती।
सास बहू को दहेज न लाने के ताने भी लगाती,
बहू माँ बाप की लाज बचाने में चुपचाप सह जाती।
वक्त बदलने में देर नहीं लगती,
अब बहू बिन दहेज खूब है जचती।
जब मैं थी बहू ये कहानी सास सुनाती,
सास के सामने हमेशा घूंघट में ही नजर आती।
अब सास, वो सास कहाँ रही,
जिनकी बहूओं ने लाख परेशानियां है सही।
आज बहू सास को माता है कहती,
सास भी बहू को बेटी की तरह है सहलाती।
सहेलियों की तरह आपस में है रहती,
अपने सुख दुःख एक दूसरे से हैं कहती।
♦ विनोद वर्मा जी / (मझियाठ बलदवाड़ा) जिला – मंडी – हिमाचल प्रदेश ♦
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- “विनोद वर्मा जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस लेख के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — यह कविता सास और बहू के रिश्ते के बदलाव को दर्शाती है। पहले सास-बहू का रिश्ता औपचारिकता और कई बार तकरार से भरा होता था, लेकिन समय के साथ इसमें सकारात्मक परिवर्तन आया है। शुरुआत में, जब नई बहू घर में आती है, तो सास उसे अपनाने का दिखावा करती है और रिश्तेदारों से परिचय करवाती है। हालांकि, समय के साथ कुछ मतभेद भी उभर आते हैं, जैसे दहेज को लेकर कटाक्ष। बहू इन तानों को सहती है, लेकिन धीरे-धीरे समाज में बदलाव आता है, और बिना दहेज वाली बहुएँ भी घर में स्वीकार की जाने लगती हैं। पहले की सासें अपनी बहुओं को घूंघट में रहने और परंपराओं का पालन करने के लिए मजबूर करती थीं, लेकिन अब समय बदल चुका है। आज की सास अपनी बहू को बेटी की तरह मानती है, और दोनों सहेलियों की तरह एक-दूसरे के सुख-दुःख में सहभागी होती हैं। कविता इस रिश्ते में आई सकारात्मकता को दर्शाती है, जहाँ अब सास-बहू का संबंध प्रेम और आपसी समझदारी पर आधारित हो गया है।
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यह कविता (सास बहू।) “विनोद वर्मा जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख/कवितायें सरल शब्दों में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।
आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—
मेरा नाम विनोद कुमार है, रचनाकार के रुप में विनोद वर्मा। माता का नाम श्री मती सत्या देवी और पिता का नाम श्री माघु राम है। पत्नी श्री मती प्रवीना कुमारी, बेटे सुशांत वर्मा, आयुष वर्मा। शिक्षा – बी. एस. सी., बी.एड., एम.काम., व्यवसाय – प्राध्यापक वाणिज्य, लेखन भाषाएँ – हिंदी, पहाड़ी तथा अंग्रेजी। लिखित रचनाएँ – कविता 20, लेख 08, पदभार – सहायक सचिव हिमाचल प्रदेश स्कूल प्रवक्ता संघ मंडी हिमाचल प्रदेश।
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