Kmsraj51 की कलम से…..
♦ लो जी अब तपतपाती गर्मी आ गई। ♦
लो जी अब तपतपाती गर्मी आ गई।
बाजारों में कोल्ड ड्रिंक्स की हुई भरमार।
विज्ञापनों में भी दिखें बस इनसे ही प्यार॥
लो जी अब तपतपाती गर्मी आ गई।
बाजारों में देसी शीतल पेय दिखता नहीं।
क्योंकि वो अब धड़ल्ले से बिकता नहीं॥
लो जी अब तपतपाती गर्मी आ गई।
ठंडे विदेशी पेय की बाजारों में धूम मची।
जगह-जगह बोतलों की दुकान सजी है॥
लो जी अब तपतपाती गर्मी आ गई।
क्यों अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार रहें?
क्यों हमें बोतल बंद शीतल पेय से प्यार रहें?
लो जी अब तपतपाती गर्मी आ गई।
आओं कुछ स्वदेशी ठंडक वाला पीते है।
गन्ने का जूस पीकर पहले की जिंदगी जीते है॥
लो जी अब तपतपाती गर्मी आ गई।
ठंडे पेय के असली देसी गुणों पर आए।
क्यों बाहरी चमक पर हम जी ललचाये?
लो जी अब तपतपाती गर्मी आ गई।
होता गुणों का भंडार मटके का ठंडा पानी।
सुनी है इसकी कहानी बड़ों की जुबानी॥
लो जी अब तपतपाती गर्मी आ गई।
चलों गर्मी में जल – जीरे का स्वाद भी चखते है।
धूप में सुबह से खड़े उस रेहड़ी का मान रखते है॥
लो जी अब तपतपाती गर्मी आ गई।
नींबू वाले मटके के पेय का स्वाद कुछ निराला है।
बाजार का मसाले वाला सलाद भी मतवाला है॥
लो जी अब तपतपाती गर्मी आ गई।
स्वदेशी पेय की महक भी दिल पर छा गयी।
इनके आगे तो सब कोल्ड ड्रिंक्स शरमा गयी॥
लो जी अब तपतपाती गर्मी आ गई।
♦ सुशीला देवी जी – करनाल, हरियाणा ♦
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- “श्रीमती सुशीला देवी जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — नींबू पानी और काले नमक का कॉम्बिनेशन पाचन से जुड़ी समस्याओं को दूर करता है। इसका सेवन करने से अपच की समस्या नहीं होती है। नींबू पानी के साथ काले नमक का सेवन करने से एसिडिटी, स्किन रोग और अर्थराइटिस की समस्या नहीं होती है। काला नमक भोजन से अधिक मात्रा में पोषक तत्वों को अवशोषित करता है। गन्ने में कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन, फास्फोरस और पोटेशियम जैसे पोषक तत्व होते हैं, ऐसे में ये हमारी इम्यूनिटी को भी मजबूत करता है। गन्ने में अल्कलाइन की अच्छी खासी मात्रा होने की वजह से यह शरीर को कैंसर जैसी घातक बीमारी से भी बचाता है। गन्ने का जूस पीने से स्तन, पेट और फेफड़ों के कैंसर का खतरा कम हो सकता है।
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यह कविता (लो जी अब तपतपाती गर्मी आ गई।) “श्रीमती सुशीला देवी जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।
आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—
मेरा नाम श्रीमती सुशीला देवी है। मैं राजकीय प्राथमिक पाठशाला, ब्लॉक – घरौंडा, जिला – करनाल, में J.B.T.tr. के पद पर कार्यरत हूँ। मैं “विश्व कविता पाठ“ के पटल की सदस्य हूँ। मेरी कुछ रचनाओं ने टीम मंथन गुजरात के पटल पर भी स्थान पाया है। मेरी रचनाओं में प्रकृति, माँ अम्बे, दिल की पुकार, हिंदी दिवस, वो पुराने दिन, डिजिटल जमाना, नारी, वक्त, नया जमाना, मित्रता दिवस, सोच रे मानव, इन सभी की झलक है।
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Beautiful Poem
Very nice poem 👍
वैसे तो तपतपाती गर्मी आई है
परंतु आपकी इस कविता से हृदय में शीतलता आई है
🙏🙏🙏🙏🙏🙏
जैसे तड़पाती गर्मी आई वैसे आपकी तपतपाती कविता से तपतपाी शरीर में एक बहुत ही भावनात्मक ठंडक लाई
तहे दिल से धन्यवाद जी!