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Prakriti Ke Rang | प्रकृति के रंग।
फिर से वही मौसम आया,
जिसने प्रकृति को खुशनुमा बनाया।
सतरंगी रंगों की छटा बिखेरी है इस कदर,
जिसे देख नई नवेली दुल्हन भी शर्माए।
कहीं पर खेतों में गेहूं की दुधिया बाली,
पवन संग इठलाती झूम~झूम जाए।
कहीं पर दिखाई दे पत्तों से ज्यादा फूल,
अपनी खुशबू की बाहें फैलाए।
आम के पेड़ तो हरे~हरे बौर से,
धरती को गले मिलने आए।
कोयल भी अब तैयार होकर,
मस्त कुहू ~कुहू के स्वर सुनाए।
चिड़िया भी भोर होने से पहले ही,
ची~ची करती मधुर सुर सजाए।
जिधर देखो उधर ही इस बसंत ने,
अपने खूबसूरत पांव है फैलाए।
हर पेड़ की डाली पर नई कोपलें,
पेड़ से निकल दुनिया देखना चाहे।
धरा भी वही आसमां भी वही है,
प्रकृति भी बसंत में अपना रूप दिखाए।
इस प्रकृति में छिपे हैं वो रंग हजार,
जिसे अपनाकर इंसान हर पल मुस्कराए।
♦ सुशीला देवी जी – करनाल, हरियाणा ♦
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- “श्रीमती सुशीला देवी जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — वसंत ऋतु फूलों और त्योहारों का मौसम है, इस प्रकार यह बहुत सी खुशियाँ और आनंद लाता है। रंग-बिरंगे और सुन्दर फूल पूरी तरह से दिल जीत लेते हैं और हरी घास हमें टहलने के लिए अच्छा मैदान देती है। सुबह या शाम को सुन्दर तितलियाँ प्रायः हमारे ध्यान को खिंचती है। दिन और रात दोनों ही बहुत सुहावने और ठंडे होते हैं। ऐसा लगता है आम के पेड़ तो हरे~हरे बौर से, धरती को गले मिलने आए। कोयल भी अब तैयार होकर, मस्त कुहू ~कुहू के स्वर सुनाए।चिड़िया भी भोर होने से पहले ही, ची~ची करती मधुर सुर सजाए। जैसे पेड़ों पर पतझड़ आता है उसी तरह इंसान के जीवन में भी बहुत उतार – चढ़ाव आता है, अगर दुःख है तो, बहुत जल्द ही सुखी समय भी आएगा।
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यह कविता (प्रकृति के रंग।) “श्रीमती सुशीला देवी जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।
आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—
मेरा नाम श्रीमती सुशीला देवी है। मैं राजकीय प्राथमिक पाठशाला, ब्लॉक – घरौंडा, जिला – करनाल, में J.B.T.tr. के पद पर कार्यरत हूँ। मैं “विश्व कविता पाठ“ के पटल की सदस्य हूँ। मेरी कुछ रचनाओं ने टीम मंथन गुजरात के पटल पर भी स्थान पाया है। मेरी रचनाओं में प्रकृति, माँ अम्बे, दिल की पुकार, हिंदी दिवस, वो पुराने दिन, डिजिटल जमाना, नारी, वक्त, नया जमाना, मित्रता दिवस, सोच रे मानव, इन सभी की झलक है।
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