Kmsraj51 की कलम से…..
Prem Adhoora Hee Hai | प्रेम अधूरा ही है।
प्रेम अन्त अभिलाषा है जीवन की,
पर मिला वह सबको अधूरा ही है।
राम – कृष्ण की कहानी को सुन लो,
उनमें भी कौन सा वह पूरा ही है?
यह रही दास्तां यूं ही है जीवन की,
हर युग में और हर जिंदगानी में।
राधा – कृष्ण का मेल हुआ कहां?
राम – सिया भी बिछुड़े नादानी में।
हुआ मुक्कमल न स्वपन किसी का,
प्रेम की चाहें ही सबकी अधूरी रही।
भले ही प्रेयसी राधा थी या सीता थी,
अधूरेपन की पीड़ा तो है सबने सही।
मूर्तिमान हुआ प्रेम किसका कहां है?
जिसकी अभिलाषा हम सब करते हैं।
अधूरा सा मिला है जो भी हम सबको,
उसे खोने से भी सब कितना डरते हैं?
जी लेते हैं जिंदगी हम पूरी हर रिश्तों में,
पर हर रिश्ते में देखे तो प्रेम अधूरा ही है।
कई – कई विवाहों से भी कहां प्यास बुझी?
अवतारों के जीवन में भी प्रेम कहां पूरा है?
जिन्दगी जद्दोजहद है प्रेम और वासनाओं की,
लोग सकून कहां किसी को यहां लेने देते हैं?
यह संसार तो है बीहड़ घाटी नित कर्मों की,
यहां अवतारों की भी परीक्षा लोग ले लेते हैं।
यह सच है कि प्रेम जरूरत है हर जीवन की,
भाषा प्रेम की पशु – पक्षी को भी समझ आती है।
जिन्दगी के तमाम उम्र के सिलसिले में हर सम्भव,
प्रेम के अधूरेपन का दर्द हमेशा सबको सताता है।
♦ हेमराज ठाकुर जी – जिला – मण्डी, हिमाचल प्रदेश ♦
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- “हेमराज ठाकुर जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — सच्चा प्रेम एक गहरा और निःस्वार्थिक भावना है जो दो व्यक्तियों के बीच संबंध को बांधती है। यह एक आत्मिक और उदार बन्धन है जो अपने आप को समर्पित करता है और एक-दूसरे के हित में संयम बनाए रखता है। सच्चा प्रेम अपने आप को व्यक्त करने और स्वयं को स्वीकार करने की क्षमता वाला होता है। सच्चा प्रेम कठिनाइयों, आपत्तियों और चुनौतियों के बावजूद टिकता है। यह दूसरे व्यक्ति को निर्मल रूप से स्वीकार करता है, उनकी गलतियों और कमियों के बावजूद उन्हें सच्चा प्यार करता है। सच्चा प्रेम समर्पित, आदर्शवादी, और सहानुभूतिपूर्ण होता है। सच्चा प्रेम आपके साथी की सफलता, खुशी और प्रगति के लिए चिंतित रहता है और उनके सपनों और उच्चतम OUTPUT की प्रोत्साहना करता है। यह समर्पण, विश्वास, सम्मान, संयम और सम्पूर्ण समर्पण का एक गहरा बंधन होता है। सच्चा प्रेम आपके और आपके साथी के बीच एक संतुलित और आनंदमय संबंध स्थापित करता है। यह सच है कि प्रेम जरूरत है हर जीवन की, भाषा प्रेम की पशु – पक्षी को भी समझ आती है। जिन्दगी के तमाम उम्र के सिलसिले में हर सम्भव, प्रेम के अधूरेपन का दर्द हमेशा सबको सताता है। जब भी करो प्रेम तो सच्चा प्रेम ही करो, वरना दिखावे के प्रेम करने का कोई फायदा नहीं है।
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यह कविता (प्रेम अधूरा ही है।) “हेमराज ठाकुर जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दों में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।
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