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राम : द्वारा दुष्टों का संहार।

Kmsraj51 की कलम से…..

Table of Contents

  • Kmsraj51 की कलम से…..
    • ♦ राम : द्वारा दुष्टों का संहार। ♦
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♦ राम : द्वारा दुष्टों का संहार। ♦

राजा दशरथ के सत्य वचन की रक्षा में,
श्रीराम राज पाठ छोड़ कर वन में निकले।
वन में वे चलते चलते जब थक जाते,
हनुमान और लखन उनका पांव दबाते॥

सहन नहीं कर पाते कुमारी से पांव दबवाना,
जनक नंदिनी सुकुमारी जानकी जी को सबने माना।
श्रीराम के वक्ष: स्थल में जिसे सम्मान मिला,
उन्हें लक्ष्मी – सीता जी का ही नाम मिला है॥

लक्ष्मण द्वारा रावण की बहन सूर्पनखा का,
नाक कान काटने से,
अपनी प्रियतमा का वियोग उन्हें सहना पड़ा।
वियोग के कारण उनकी क्रोध में तनी भौहों से,
भारी समुद्र को भी भयभीत होना पड़ा॥

लंका जाने के लिए एक पुल बाधा गया,
समुद्र ऊपर पुल से सेना लंका कूंच किया।
पहले ही वीर हनुमान ने लंका को जैसे जला दिया।
जस जंगल की दावाग्नि जले वैसे ही मिटा दिया॥

सीता स्वयंबर में शिव का धनुष जिसको,
बड़ा – बड़ा वीर योद्धा भी हिला नहीं पाया।
गुरु का आदेश मिलते ही बात – बात में राम ने,
डोरी चढ़ा खींच कर दो टुकड़ा उसका कर दिया॥

पिता वचन शिरोधार्य कर स्वजन छोड़ जंगल  पयान,
योगी जैसे काया छोड़ चलता है अपने धाम।
खर दूषण, तृषिरा जैसे राक्षसों का संहार किया,
महा धनुष बाण चला कर दुष्टों पर वार किया॥

पर्ण कुटी तक स्वर्ण हिरण भेष में छुपे मरीच आया,
श्री राम ने उसको भी दौड़ा कर मार गिराया।
दक्ष प्रजापति को जैसे वीरभद्र ने मारा था,
उसी तरह श्री राम ने उसका पीछा कर संहार किया॥

सुग्रीव का बड़ा भाई बलवान और था आतताई,
बालि हरण कर सुग्रीव की पत्नी को घर लाया।
वचन देकर सुग्रीव को श्री राम ने उसको मारा,
मार उसे राम ने वचन और मित्रता का धर्म निभाया॥

राम और रावण की सेना में भीषण युद्ध हुआ,
एक एक कर क्रमश: रावण के वीरों का संहार किया।
जब श्री राम जी के सम्मुख था रावण आया,
शिरोमणि राम ने अभिमानी को फटकार लगाया॥

मेरी अनुपस्थिति में प्राण प्रिया मेरी हर कर लाया?
काल को कोई टाल नहीं सकता तेरी सामत आई!
वज्र समान वाण चलाया, खून फेंक दिया रावण वहीं,
रावण का हृदय विदीर्ण हुआ वह हुआ धरासाई॥

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

—————

  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता में — समय समय पर रावण से लेकर खर दूषण, तृषिरा जैसे राक्षसों का संहार किया – मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम जी ने, बहुत ही खूबसूरत वर्णन किया है।

—————

sukhmangal-singh-ji-kmsraj51.png

यह कविता (राम: द्वारा दुष्टों का संहार।) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें / लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से।

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“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

 

 

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