Kmsraj51 की कलम से…..
♦ बारिश के नए – नए रूप। ♦
बारिश के नए नए रूप … बारिश का नाम लेते ही उन ठंडी फुहारों की अकस्मात याद आ जाती है तो टप-टप करके काले आसमान से गिरना प्रारंभ करती है और कुछ देर में ही सब जगह पानी से वातावरण को इस कदर खुशनुमा बना देती है; जैसे अभी-अभी प्रकृति नहा कर आई हो।
लेकिन आजकल तो कुछ अलग ही नजारा होता है बारिश का।
थोड़ी सी बारिश ने अपना रंग दिखाया नही की सब तरफ पानी ही पानी हो जाता है। स्वच्छता और सफाई में अव्वल आने वाले शहरों का गलियों और सड़कों पर भी पानी इस कदर जमा हो जाता है जैसे ये कोई जगह नही बल्कि गंदे नाले या जोहड़ हैं।
फिर बारिश की उन प्यारी बूंदों को ही हम कोसने लगते है जिनके बगैर इस धरा पर जीवन का कोई भी अस्तित्व नही है।
जब बारिश से प्राकृतिक आपदा आती है तो, वो तो अपने हाथ नही। लेकिन जब नगरों और महानगरों में थोड़ी सी बारिश पर सब लबालब हो जाता है, तो इसमें बारिश का कोई कुसूर नही। बल्कि हम सबका ही कुसूर है कि इस पानी की निकासी का समुचित प्रबंध नही किया जाता और जो वर्षा-जल-संचय के लिए प्रबंध होते है वो सब खानापूर्ति करते ही नजर आते है।
इन सभी छोटी-छोटी बातों की ओर हम सभी नागरिकों का सहयोग प्रशासन के साथ हो और प्रशासन को भी इन सभी बातों के लिए मानसून आने से पहले ही उचित कदम उठाने होंगे; ताकि बारिश के आते ही उसका ये रूप कहीं भी न दिखाई दे और प्रकृति के इस अनमोल उपहार का पूरा आनंद ले सके।
♦ सुशीला देवी जी – करनाल, हरियाणा ♦
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- “श्रीमती सुशीला देवी जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस लेख के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — जब बारिश के पानी का निकासी सही तरीके से व सही जगह पर हो तब जाकर जल जमाव की समस्या समाप्त हो। मात्र बोलने भर से ही कभी भी किसी समस्या का समाधान नहीं होता हैं, इसलिए जो इसके लिए जिम्मेवार है वर्षा से पहले ही पानी के निकासी का सही प्रबंध करें। जब बारिश से प्राकृतिक आपदा आती है तो, वो तो अपने हाथ नही। लेकिन जब नगरों और महानगरों में थोड़ी सी बारिश पर सब लबालब हो जाता है, तो इसमें बारिश का कोई कुसूर नही। बल्कि हम सबका ही कुसूर है कि इस पानी की निकासी का समुचित प्रबंध नही किया जाता और जो वर्षा-जल-संचय के लिए प्रबंध होते है वो सब खानापूर्ति करते ही नजर आते है।
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यह लेख (बारिश के नए – नए रूप।) “श्रीमती सुशीला देवी जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।
आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—
मेरा नाम श्रीमती सुशीला देवी है। मैं राजकीय प्राथमिक पाठशाला, ब्लॉक – घरौंडा, जिला – करनाल, में J.B.T.tr. के पद पर कार्यरत हूँ। मैं “विश्व कविता पाठ“ के पटल की सदस्य हूँ। मेरी कुछ रचनाओं ने टीम मंथन गुजरात के पटल पर भी स्थान पाया है। मेरी रचनाओं में प्रकृति, माँ अम्बे, दिल की पुकार, हिंदी दिवस, वो पुराने दिन, डिजिटल जमाना, नारी, वक्त, नया जमाना, मित्रता दिवस, सोच रे मानव, इन सभी की झलक है।
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