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राष्ट्रभाषा हिन्दी।

Kmsraj51 की कलम से…..

Table of Contents

  • Kmsraj51 की कलम से…..
    • ♦ राष्ट्रभाषा हिन्दी। ♦
      • ज़रूर पढ़ें — शिक्षक की महानता।
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    • Note:-
      • “सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

♦ राष्ट्रभाषा हिन्दी। ♦

ऊसर होती जमीन को, पुनः जीवन देना चाहिये;
जाती हुई भाषा को, पुनः स्थापित करना चाहिये।

आज के परिवेश में, हिन्दी का होता अपमान;
अंग्रेजियत का हो रहा बोलबाला, हिंदी को कर दरकिनार।

मिठास भरी जिसमें, जहर का नाम दे रहे;
मधुरता जिसके शब्दों में, कड़वाहट उसमें घोल रहे।

पृष्ठिभूमि जिसने बनाई, उसकी नींव हिला रहे;
सम्पूर्ण जगत में, सभ्यता संस्कृति को रखा है।

आज तक जन – जन तक, हृदय की गहराई तक बसी;
पर निगाहों से उतारी गई, भाषा हिन्दुस्तान की।

हिन्दी सम्मान है, हिन्दी अभिमान है;
हिन्दी स्वाभिमान है, भारत की जान है।

भरतखण्ड की संस्कृति है, संस्कारों की जननी है;
आत्मा जग की, विश्व भाषा की माँ है।

विश्वास जगत जनार्दन की, एक डोर में सबको है बांधती;
हर भाषा को सगी बहन समझे, भरी-पूरी हों सभी बोलियां।

यही कामना हिंदी है, यही साधना हिंदी है;
सौतन विदेशी भाषा न बने, महारानी हमारी हिन्दी ही रहे।

आन हमारी है, शान हमारी है हिन्दी;
चेतना हमारी है हिन्दी, वाणी का शुभ वरदान है हिन्दी।

वर्तनी हमारी है हिंदी, व्याकरण हमारी है हिन्दी;
संस्कृति हमारी है हिंदी, आचरण हमारी है हिन्दी।

वेदना हमारी है हिंदी, गान हमारी है हिन्दी;
आत्मा हमारी है हिन्दी, भावना का साज़ है हिन्दी।

♦ सतीश शेखर श्रीवास्तव `परिमल` जी — जिला–सिंगरौली , मध्य प्रदेश ♦

—————

ज़रूर पढ़ें — शिक्षक की महानता।

  • “सतीश शेखर श्रीवास्तव `परिमल`“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से समझाने की कोशिश की है — अंग्रेजो से आजादी के इतने वर्षों बाद भी हिंदी भाषा को राष्ट्रभाषा की मान्यता आधिकारिक रूप से क्यों दर्ज नही हुआ, हिंदी को उसका सम्मान क्यों नहीं मिला? हिन्दी राष्ट्रभाषा के महत्व, गुणों और प्रभाव को बताया है। हिन्दी हर भारतीय के दिल से निकलने वाली भाषा हैं। हिन्दी भाषा दिल को दिल से जोड़ने का कार्य करती है। एकलौती हिन्दी भाषा ही है जिसमे अपनापन है दुनिया की किसी भी अन्य भाषा अपनापन का स्थान नहीं।

—————

यह कविता (राष्ट्रभाषा हिन्दी।) “सतीश शेखर श्रीवास्तव `परिमल` जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

 

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