Kmsraj51 की कलम से…..
Samarpan | समर्पण।
जब रोते हुए आए संसार में,
कलेजे का टुकड़ा समझ, माँ ने गोद में उठाया।
माँ ने चलना सिखाया, नया जीवन दिया।
सासु माँ भी कम नहीं, जीवन साथी दिया।
माँ ने मुस्करा कर दिल जीतना सिखाया,
सास ने समाज में उठना बैठना सिखाया।
माँ ने रोटी बनाना सिखाया,
सास ने घर चलाना सिखाया।
जन्म के समय कोमल कली थी,
माँ ने अपने आंचल में छुपाकर सम्भाला।
सास ने अपनी ज़मीन पर विशाल पेड़ बनाया,
माँ ने मुस्कान का मतलब बताया।
सास ने विपत्ति में भी मुस्करा कर जीना सिखाया,
माँ की तुलना ईश्वर से करूँ, सास भी गुरु समान है।
किसी का भी निरादर मानवता का अपमान है,
जब भी रोई बचपन में, माँ ने मुझे गले लगाया।
माँ की छवि सास में देखी,
जब सिसकती हुई बहू को ससुराल में पहली बार,
बेटी की तरह गले लगाया, यही दस्तूर है।
सासू माँ ने याद दिलाया, सास बनी माँ,
बहु को बेटी मानकर, बुढ़ापे में कुछ न चलेगी,
बहु साथ निभाएगी अपनी माँ जानकर।
♦ भोला शरण प्रसाद जी – सेक्टर – 150 / नोएडा – उत्तर प्रदेश ♦
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- “भोला शरण प्रसाद जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस लेख के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — माँ ने मुस्करा कर दिल जीतना सिखाया, सास ने समाज में उठना बैठना सिखाया। माँ ने रोटी बनाना सिखाया, सास ने घर चलाना सिखाया। जन्म के समय कोमल कली थी, माँ ने अपने आंचल में छुपाकर सम्भाला। सास ने अपनी ज़मीन पर विशाल पेड़ बनाया, माँ ने मुस्कान का मतलब बताया। सास ने विपत्ति में भी मुस्करा कर जीना सिखाया, माँ की तुलना ईश्वर से करूँ, सास भी गुरु समान है। किसी का भी निरादर मानवता का अपमान है। माँ वह है जो हमें जन्म देती है, यहीं कारण है कि संसार में हर जीवनदायनी वस्तु को माँ की संज्ञा दी गयी है। यदि हमारे जीवन के शुरुआती समय में कोई हमारे सुख-दुख में हमारा साथी होता है तो वह हमारी माँ ही होती है। माँ हमें कभी इस बात का एहसास नही होने देती की संकट के घड़ी में हम अकेले हैं। बहू के साथ सासू मां का रिश्ता थोड़ा मीठा, तो थोड़ा तीखा होता है। मैं बहुत खुशनसीब हूँ की मुझे मेरी सासु माँ मेरी माँ जैसी ही मिली। मुझे बहुत बार ये अहसास होता है कि ये बात तो मेरी मम्मी भी ऐसी ही कहती थी, ये काम तो मेरी मम्मी भी ऐसे ही करती थी। मुझे मेरी सास में माँ का प्रतिबिम्ब ही नज़र आता है। मैं भगवान् से यही प्रार्थना करती हूँ की मेरी सास जैसी सास हर लड़की को मिले। कुछ महिलाएं अपनी सास को “माँ” कहती हैं क्योंकि वे उसके बहुत करीब महसूस करती हैं।
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यह कविता (समर्पण।) “भोला शरण प्रसाद जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख/कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।
आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—
मैं भोला शरण प्रसाद बी. एस. सी. (बायो), एम. ए. अंग्रेजी, एम. एड. हूं। पहले केन्द्रीय विघालय में कार्यरत था। मेरी कई रचनाऍं विघालय पत्रिका एंव बाहर की भी पत्रिका में छप चूकी है। मैं अंग्रेजी एंव हिन्दी दोनों में अपनी रचनाऍं एंव कविताऍं लिखना पसन्द करता हूं। देश भक्ति की कविताऍं अधिक लिखता हूं। मैं कोलकाता संतजेवियर कालेज से बी. एड. किया एंव महर्षि दयानन्द विश्वविघालय रोहतक से एम. एड. किया। मैं उर्दू भी जानता हूं। मैं मैट्रीकुलेशन मुजफ्फरपुर से, आई. एस. सी. एंव बी. एस. सी. हाजीपुर (बिहार विश्वविघालय) बी. ए. (अंग्रेजी), एम. ए. (अंग्रेजी) बिहार विश्वविघालय मुजफ्फरपुर से किया। शिक्षा से शुरू से लगाव रहा है। लेखन मेरी Hobby है। इस Platform के माध्यम से सुधारात्मक संदेश दे पाऊं, यही अभिलाषा है।
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