Kmsraj51 की कलम से…..
♦ सरहदी बाशिंदे। ♦
मांएं रोती खून के आंसू,
बाप बेचारे बिलखाते हैं।
जब नन्हे – नन्हे बच्चे उनके,
मस्तक पर गोली खाते हैं।
घरों के उड़ते तब परखच्चे से उनके,
जब पाकिस्तानी बेवजह गोली चलाते हैं।
त्राहि-त्राहि कर छोड़ते आंगन द्वार सब,
यहां कई सैनिक भी शहीद हो जाते हैं।
सरहदी बाशिंदों की देखी वो पीड़ा मैंने,
टी वी चैनल हमें जो भी जैसा दिखाते हैं।
मौत तो आएगी जब आएगी तब ओ प्रभु!
वे इस पीड़ा में क्षण – क्षण मरते जाते हैं।
दो मुल्कों की आपसी तनातनी में,
ये दिन – रात अपना सुख चैन गवाते हैं।
कभी तवे की रहती तवे पर धरी की धरी,
चूल्हे में डाली चूल्हे में ही छोड़ जाते हैं।
बस सीज फायर का उल्लंघन करते ही उनके,
ये दौड़ – भाग कर मुश्किल से जान बचाते हैं।
इनकी तमाम उम्र का सिलसिला बस यही है,
ये दहशत में जीते हैं और दहशत में मर जाते हैं।
दोनों मुल्कों में हालात बराबर यही है,
क्योंकि हम भी जबावी गोली चलाते हैं।
गोली तो गोली ही होती है बेरहम, निर्दय,
लग जाती है, जो उसके सामने आते हैं।
वह देखो बरसी फिर से है गोली,
मोर्टार, गजब जोर के धमाके हैं।
वे सरहदी बाशिंदे दौडे – भागे,
वे जवान ही शहीद हो जाते हैं।
तिरंगे की लेकर ओट ये बांकुरे,
देश पर कुर्बानी अपनी चढ़ाते हैं।
दे कर आंसू तब हमारी आंखों में,
वे हममें राष्ट्रप्रेम पुनः जगाते हैं।
भूली तब उन्होंने जावानी भी अपनी,
सब भूला दिये रिश्ते और नाते हैं।
सरहदी सीमाओं की रक्षा करते करते,
उनको बस अपने फर्ज ही याद आते हैं।
धन्य – धन्य ओ जननी! कोख है तेरी,
जिसने ऐसे अद्भुत अदम्य वीर जनाए हैं।
उन्होंने दागी गोली कि आतंक फैलाएं,
इन्होंने छाती पर ही वार सब खाए हैं।
बच्चों को छोड़ते रोते बिलखते,
देशभक्ति की कसम जो खाई है।
मां – बाप रुलाए खून के आंसू,
सधवाएं विधवाएं क्षण में बनाई हैं।
♦ हेमराज ठाकुर जी – जिला मण्डी, हिमाचल प्रदेश ♦
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- “हेमराज ठाकुर जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से बखूबी समझाने की कोशिश की है – सरहद पर बसने वाले “सरहदी बाशिंदे” पर जब-जब सीज फायर का उल्लंघन करते ही उनके, ये (देश के वीर जवान) दौड़ – भागकर मुश्किल से जान बचाते हैं। दो मुल्कों की आपसी तनातनी में ये दिन-रात अपना सुख चैन गवाते हैं। वह देखो बरसी फिर से है गोली, मोर्टार, गजब जोर के धमाके हैं। वे सरहदी बाशिंदे दौडे – भागे, वे जवान ही शहीद हो जाते हैं। तिरंगे की लेकर ओट ये बांकुरे, देश पर कुर्बानी अपनी चढ़ाते हैं। देकर आंसू तब हमारी आंखों में, वे हममें राष्ट्रप्रेम पुनः जगाते हैं।
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यह कविता (सरहदी बाशिंदे। ) “हेमराज ठाकुर जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।
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