Kmsraj51 की कलम से…..
Father| पिता।
पिता होते है
घर की शान,
इनकी छत्र छाया में
हंसता खिलता है जहांन।
शाम को थके हारे जब
घर में प्रवेश करते,
सारे घर को
खुशियों से भर देते।
घर में कोई समस्या
जब है आती,
हल ढूंढने तक चैन
भी चली जाती।
संतान की पढ़ाई लिखाई के
खातिर करता मेहनत मजदूरी,
उनकी हर ख्वाहिश को
करता जैसे तैसे पूरी।
संतान तो उनके लिए
संतान है होती,
चाहे वो खुशियां लाती
या दुःख है देती।
संतान के पालन पोषण में
नहीं छोड़ता कोई कसर,
अपने स्वास्थ्य पर क्यों न
पड़ जाए चाहे विपरीत असर।
इतना कुछ करने पर पिता
को कई बार खरी खोटी सुनना है पड़ता,
बस यही बातें उन्हें
जल्दी बुढ़ापे में है जकड़ती।
संतान कई बार पिता के
त्याग को भूल है जाती,
इन्हीं बातों पर पिता को
वृद्धाश्रम की राह नज़र है आती।
♦ विनोद वर्मा जी / (मझियाठ बलदवाड़ा) जिला – मंडी – हिमाचल प्रदेश ♦
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- “विनोद वर्मा जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — यह कविता पिता के त्याग, संघर्ष और परिवार के प्रति उनके अटूट प्रेम को भावपूर्ण ढंग से प्रस्तुत करती है। कवि बताते हैं कि पिता घर की शान होते हैं, जिनकी छाया में पूरा परिवार सुकून और खुशियों से भर जाता है। पिता दिनभर मेहनत करने के बाद जब शाम को घर लौटते हैं, तो अपने साथ मुस्कान और ऊर्जा लेकर आते हैं। वे परिवार की हर समस्या का समाधान ढूंढ़ने में लगे रहते हैं, और विशेष रूप से अपनी संतान की पढ़ाई, ज़रूरतों और ख्वाहिशों को पूरा करने के लिए हर प्रकार की मेहनत और त्याग करते हैं — भले ही इसका असर उनके अपने स्वास्थ्य पर क्यों न पड़े। फिर भी, कई बार उन्हें संतानों से तिरस्कार या कठोर बातें सुननी पड़ती हैं। यह उपेक्षा और अपमान उन्हें भीतर से तोड़ देती है और उन्हें जल्दी बुढ़ापे की ओर धकेल देती है। कविता अंत में एक दर्दनाक सच्चाई को उजागर करती है — कि अक्सर संतान अपने पिता के बलिदानों को भूल जाती है, और यही उपेक्षा उन्हें वृद्धाश्रम तक पहुँचा देती है।
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यह कविता (पिता।) “विनोद वर्मा जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख/कवितायें सरल शब्दों में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।
आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—
मेरा नाम विनोद कुमार है, रचनाकार के रुप में विनोद वर्मा। माता का नाम श्री मती सत्या देवी और पिता का नाम श्री माघु राम है। पत्नी श्री मती प्रवीना कुमारी, बेटे सुशांत वर्मा, आयुष वर्मा। शिक्षा – बी. एस. सी., बी.एड., एम.काम., व्यवसाय – प्राध्यापक वाणिज्य, लेखन भाषाएँ – हिंदी, पहाड़ी तथा अंग्रेजी। लिखित रचनाएँ – कविता 20, लेख 08, पदभार – सहायक सचिव हिमाचल प्रदेश स्कूल प्रवक्ता संघ मंडी हिमाचल प्रदेश।
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