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♦ कार्तिक मास का आध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक पक्ष। ♦
आध्यत्मिक ऊर्जा एवं शारीरिक शक्ति संग्रह करनें में कार्तिक मास का विशेष महत्व है। इसमें सूर्य एवं चन्द्र की किरणों का पृथ्वी पर पड़ने वाला प्रभाव मनुष्य के मन मस्तिक को स्वस्थ रखता है।
कुछ रोचक तथ्य —
उत्सवों और त्योहारों का मास – कार्तिक मास —
हिन्दु पंचांग के अनुसार वर्ष का आठवां महीना *’कार्तिक मास‘* के नाम से जाना जाता है। पुरे माह में ब्रह्म मुहुर्त में स्नान, पाठ, तुलसी पूजन, व्रत कथा श्रवण दीपदान आदि का महात्मय बताया गया है। इसी मास में अधिकतम त्यौहार आते हैं जैसे:—
- शरद पूर्णिमा
- करवा चौथ
- अहोई अष्टमी
- रमा एकादशी
- गोवत्स द्वादशी
- नरक चर्तुदशी
- तुलसी विवाह
- हनुमान जयंति
- दीपावली पर्व
- अन्नकूट महोत्सव
- गोवर्धन पूजा
- भैया दूज
- कार्तिक छठ पूजा
- देवोत्थान एकादशी
जहाँ *’स्कंद पुराण‘* में इसे सबसे अच्छा महीना माना गया है वहीं *’पद्म पुराण‘* में कार्तिक मास को धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष एवं भक्ति देने वाला मास कहा गया है।
• 7 नियम • —
पुराणों में कहा गया है कि भगवान नारायण ने ब्रह्मा जी को, ब्रह्मा जी ने नारद जी को और नारद जी ने राजा पृथु को कार्तिक मास के सर्वगुण संपन्न माहात्म्य के संदर्भ में बताया है। कार्तिक मास में 7 नियम प्रधान माने गए हैं।
• दीपदान • —
धर्म शास्त्रों के अनुसार कार्तिक मास में सबसे प्रमुख नियम दीप दान करना बताया गया है। इस महीने में नदी, पोखर, तालाब, मन्दिर एवं शयन कक्ष में दीपदान किया जाता है। ऐसा करने से जीवन से अज्ञानरूपी अंधकार दूर होता है एवं भक्ति, सुख, वैभव एवम् लक्ष्मी का शुभ आगमन होता है।
• श्री तुलसी पूजा • —
*श्री कृष्ण प्रेयसी* के नाम से भी सम्बोधन किया जाता है तुलसी जी को। वैसे तो हर महीने तुलसी जी की पूजा करनी चाहिए। परन्तु विशेष रूप से इस महीने में तुलसी जी की वन्दना और पूजा करने से इसका फल कई गुणा हो जाता है एवं *निश्चित ही श्री कृष्ण प्रेम की प्राप्ति होती है।* श्री तुलसी वन्दन, श्री तुलसी परिक्रमा एवं श्री कृष्ण नाम संकीर्तन तुलसी जी के पास बैठ कर उच्च स्वर से गान करने से तुलसी मैया अति प्रसन्न होती है।
• भूमि पर शयन • —
भूमि पर शयन-कार्तिक मास का तीसरा मुख्य नियम हैं। इससे मन में कोमलता आती है। अहम् का नाश होता है। विकार समाप्त होते हैं।
• तेल और दालें वर्जित • —
- कार्तिक महीनें में केवल एक बार नरक चतुर्थी (कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी) के दिन ही तेल सेवन किया जाता है। कार्तिक मास में अन्य दिनों में तेल पकाना और लगाना दोनों नहीं किये जाते।
- दलहन (दालों) खाना निषेध: कार्तिक महीने में द्विदलन अर्थात उड़द, मूंग, मसूर, चना, मटर, राई, तथा बैंगन नहीं खाना चाहिए।
• ब्रह्मचर्य का पालन • —
कार्तिक मास में ब्रह्मचर्य का पालन अति आवश्यक बताया गया है। इसका पालन नही करने पर पति – पत्नि को दोष लगता है और इसके अशुभ फल भी प्राप्त होते हैं।
• संयम रखें • —
कार्तिक मास का व्रत करने वालों को चाहिए कि वह तपस्वियों की भांति व्यवहार करें। कम बोलें, किसी की निंदा नहीं करें विवाद नहीं करें। मन पर संयम रखें।
इन सभी उपरोक्त नियमों से अलग “नित्य से कम से कम दुगना भजन, कथा श्रवण एवं वे सभी क्रियाएँ जिससे ठाकुर जी के प्रति प्रीति बढ़े एवं उनका स्मरण सभी पहर बना रहें। करते रहना चाहिए। प्रिया लाल जी को इस मास में भजन अत्यधिक प्रिय है।”
॥श्री राधारमण समर्पण॥
इन्ही शुभकामनाओं के साथ — शुभमस्तु।
♦ डॉ विदुषी शर्मा जी – नई दिल्ली ♦
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- ” लेखिका डॉ विदुषी शर्मा जी“ ने अपने इस लेख से, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से बखूबी समझाने की कोशिश की है — “कार्तिक मास” यह साल के 12 मासों में उत्तम मास माना गया है। इस महीने में की गई प्रार्थना और पूजन सीधे भगवान विष्णु तक पहुंचती है। इस महीने की सबसे अच्छी बात यह है कि इस माह में भगवान विष्णु धरती पर जल में निवास करते हैं। इसलिए प्राचीन काल से परंपरा रही है कि लोग सूर्योदय से पूर्व ही नदी या तालाब में जाकर स्नान करते हैं और वहीं पर तिल के तेल या घी से दीपक जलाकर भगवान विष्णु की पूजा करके दीप को दोने में रखकर जल में प्रवाहित कर देते हैं। यह सुंदर नजारा आज भी गांवों में देखने को मिल जाता है। आपके आस-पास नदी-तालाब नहीं है तो आप घर पर भी सूर्योदय पूर्व स्नान करते भगवान विष्णु की पूजा करें और दीप जलाएं। इससे भी पुण्य के भागी बनेंगे।
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यह लेख (कार्तिक मास का आध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक पक्ष।) “डॉ विदुषी शर्मा जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख / कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।
आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—
मेरा नाम डॉ विदुषी शर्मा, (डबल वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर) है। अकादमिक काउंसलर, IGNOU OSD (Officer on Special Duty), NIOS (National Institute of Open Schooling) विशेषज्ञ, केंद्रीय हिंदी निदेशालय, उच्चतर शिक्षा विभाग, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार।
ग्रंथानुक्रमणिका —
- डॉ राधेश्याम द्विवेदी — भारतीय संस्कृति।
- प्राचीन भारत की सभ्यता और संस्कृति — दामोदर धर्मानंद कोसांबी।
- आधुनिक भारत — सुमित सरकार।
- प्राचीन भारत — प्रशांत गौरव।
- प्राचीन भारत — राधा कुमुद मुखर्जी।
- सभ्यता, संस्कृति, विज्ञान और आध्यात्मिक प्रगति — श्री आनंदमूर्ति।
- भारतीय मूल्य एवं सभ्यता तथा संस्कृति — स्वामी अवधेशानंद गिरी (प्रवचन)।
- नवभारत टाइम्स — स्पीकिंग ट्री।
- इंटरनेट साइट्स।
ज़रूर पढ़ें — साहित्य समाज और संस्कृति।
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