Kmsraj51 की कलम से…..
♦ सुर और वाणी। ♦
काव्य : जीवन में मेधा।
घेरे हुये शूल हैं हर दल बन फूल,
ग्रहण लगे जीवन में मेधा इंदुरेख।
आध्या और आलोक की फणी अरिष्ट,
पल-पल उद्दीप्त हो गर्हित नम्यता और सोच।
तुच्छता से कर गये क्षुद्र और छिछोर,
कुम्हलाये तरुवर जीवन के जोत।
मुरझाई डाली रसहीन रहे प्रभुभोज,
भरे नयन निहारे बागवां अनम्भ।
हृदय शिखाओं में पनपे पल्लव ज्वाल,
फूटी वाणी सुर की हो – होकर उत्कल।
♦ सतीश शेखर श्रीवास्तव ‘परिमल‘ जी — जिला–सिंगरौली, मध्य प्रदेश ♦
—————
यह कविता (सुर और वाणी।) “सतीश शेखर श्रीवास्तव ‘परिमल’ जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।
—————
अपने विचार Comments कर जरूर बताये, और हमेशा नए Post को अपने ईमेल पर पाने के लिए – ईमेल सब्सक्राइब करें – It’s Free !!
Please share your comments.
आप सभी का प्रिय दोस्त
©KMSRAJ51
———– © Best of Luck ®———–
Note:-
यदि आपके पास हिंदी या अंग्रेजी में कोई Article, Inspirational Story, Poetry, Quotes, Shayari etc. या जानकारी है जो आप हमारे साथ Share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी ID है: kmsraj51@hotmail.com पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!!
“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)
____ अपने विचार Comments कर जरूर बताएं ____
Leave a Reply