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अंधविश्वास

अंधविश्वास।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ अंधविश्वास। ♦

मानव समाज युगों-युगों से अंधविश्वास की कड़ियों में जकड़ा हुआ है। धर्म की आड़ में इन्सान के सोचने की शक्ति खत्म हो जाती है। इस धरती पर कई महापुरुष, ज्ञानी, संत, अवतरित हुए, समाज में प्रचलित अंधविश्वास, कुरीतियों को दूर करने के लिए। श्री राजाराम मोहन राय, श्री स्वामी विवेकानन्द, श्री महर्षि महेश योगी, श्री परमहंस योगानन्द जी, श्री महर्षि दयानन्द सरस्वती, श्री गुरु नानक देव जी वगैरह ने मानव समाज को अंधविश्वास से मुक्ति दिलाने का प्रयास किया।

• अंधविश्वास का बोलबाला •

आज भी समाज में अंधविश्वास का बोलबाला है चाहे इन्सान कितना भी शिक्षित हो जाए, किसी भी धर्म का अनुयायी हो; अंधविश्वास उसका पीछा कभी नहीं छोड़ता। कुछ ऐसे बंधन हैं जो इन्सान को कभी मुक्त नहीं होने देता।

स्वार्थ एंव वर्चस्व की लड़ाई में जघन्य अपराध का समर्थन करते हैं, बच्चों की बलि देना, जानवरों की बलि देना, अपने ही समाज के कमजोर महिला को लाक्षंन लगाकर अपमानित करना, श्राध्द के नाम पर शोषण करना, अंधविश्वास के प्रमाण हैं।

भूत-प्रेत, डायन, काली-बिल्ली, विधवा औरत का अलग ही महत्व है। पूरी दुनिया में अंधविश्वास फैलाने में बिल्लियों का बड़ा योगदान है। क्या आप जानते हैं- “काली बिल्ली के प्रति अंधविश्वास” भारतवर्ष में शादी से पहले काली बिल्ली देखना खुशनसीबी मानी जाती है।

• बिल्ली एक, अंधविश्वास अनेक •

स्काटलैण्ड में अगर काली बिल्ली बरामदे में धूमती नजर आती है, इसका मतलब कोई मुसीबत आने वाली है। इग्लैण्ड में अगर काली बिल्ली अपने कान के पीछे सफाई करती नजर आए तो बारिश जरुर होगी। आयरलैण्ड में अगर बिल्ली चन्द्रमा की रौशनी में रास्ता काट दे तो किसी की मौत महामारी से होगी।

फ्रांस में यदि बिल्ली दिखाई दे नदी के पास, तो लोग पानी में नहीं जाते। तुर्की में यदि काली बिल्ली दिखाई दे तो लोग अपने बालों को पकड़ लेते हैं, अन्यथा बदनसीबी आ जायेगी। अमेरिका में यदि एक ऑंख की काली बिल्ली दिखाई पड़ती है तो लोग अपने एक हाथ के अंगूठे को दूसरे हथेली पर कसकर दबाते हैं और मुराद मांगते हैं। बिल्ली एक, अंधविश्वास अनेक।

• वैज्ञानिक युग में भी लोगों का विचार पुर्ववत •

इस वैज्ञानिक युग में भी लोगों का विचार पुर्ववत, भिन्न-भिन्न हैं। विद्वता, शिक्षा का कोई प्रभाव नहीं। जापान में लोग आमदनी बढाने के लिए अपने पर्स में सांप की केचुली रखते हैं और अंक चार शुभ माना जाता हैं।

ताइवान में सुबह-सुबह काला कौआ देखना अशुभ माना जाता हैं। तुर्की में दो व्यक्ति यदि एक नाम वाले एक साथ खड़े हों तो उनके बीच में खड़े होने से मन्नत पूरी होती हैं। वेनेजुएला में लोग रुमाल का उपहार नहीं लेते। कोरिया में लोग परीक्षा के दिन बाल नहीं धोते, चीन में दीवाल घड़ी तोहफा में नहीं लेते।

रुस में यदि कुछ लेने के लिए लौटते हैं तो बिना आईना देखे घर से वापस नहीं जाते। चाहे कोई भी देश कितना भी विकसित हो, अंधविश्वास को मानने वाले की कभी नहीं हैं। विधवा औरत को शादी के रस्म से दूर रखा जाता हैं।

जन्म और मृत्यु किसी भी दिन, किसी भी मुहुर्त्त में होती हैं फिर भी इंसान शुभ मुहुर्त्त के पीछे जीवन भर भागता हैं। शादी शुभ मुहुर्त्त में विद्वान पंडित करवाते हैं सभी बड़े आशीर्वाद देते हैं फिर भी औरत विधवा हो जाती हैं और पुरुष विधुर। जिम्मेदार कौन है- कोई नहीं। अगर लड़की पैदा होती है या शादी के बाद लड़की के ससुराल में किसी की मृत्यु हो जाती है तो लड़की (दुल्हन) अशुभ मानी जाती हैं।

अगर गंगा में नहाने से पाप धूल जाता तो गंगा पुत्र भीष्म वाण की शैया पर प्राण नहीं त्यागते। मछली और अन्य जीव-जन्तु को मोक्ष मिलता। गंगा की कोई जिम्मेदारी नहीं हैं। वह तो सब कुछ समुद्र को दे देती हैं। समुद्र वाष्प बनाकर आसमान में भेज देती हैं फिर बादल बनकर धरती पर पानी के रुप में आ जाता है।

• इविल आई •

गंगा स्नान से पाप धूल जाएगा यह आग लगने पर स्वतः बरसात हो जाएगी, के समान हैं। काला टीका लगाकर नजर उतारी जाती हैं। मिश्र में काटों की ऑंख का लाकेट पहनने से देखने वाली हर बुरी निगाह का उल्टा असर होता है। मिश्र एंव तुर्की से आई “इविल आई” का सारी दुनिया में प्रचलन है।

• टोटका या अंधविश्वास •

समाज में कुछ लोग वहम, टोटका या अंधविश्वास को हवा देते रहते हैं। आज के वैज्ञानिक युग में सच्चाई में ही विश्वास करना चाहिए, न कि अंधविश्वास में। अंधविश्वास हमें पूर्वजों से विरासत में मिली है।

वक्त के साथ जब हम पोशाक बदल रहे हैं, नई-नई प्रथाऍं समाज में स्वतः अपनायी जा रही है तो फिर अंधविश्वास में विश्वास क्यों, हर शिक्षित व जागरुक व्यक्ति का यह धर्म है कि वह समाज को अंधविश्वास से मुक्त करे।

अंधविश्वास के जंजीर को तोड़ना ही, विज्ञान की उपलब्धि होगी। श्री राजा राम मोहन राय अपशब्द सुनकर भी भारतीय समाज को सती प्रथा से मुक्त किया। इन्हीं की प्रेरणा से वैशाली जिले के महनार तहसील के जहॉंजीरपुर शाम में कुछ बुध्दिजीवियों ने गॉंव को अंधविश्वास से मुक्त किया, आज सभी खुशहाल हैं।

—♥—

दुःख में सब को सिखाए मुस्कुराना,
अंधविश्वास तो धोखा है, सत्य ही अपनाना।
चाहे दुनिया कुछ भी कहे, मुझे आवाज लगाना,
अगर देर हो गई, गुजर जाएगा जमाना।

जिन लोगों ने समाज सेवा के साथ साथ,
अंधविश्वास के खिलाफ लोगों को,
जागृत किया, उन्हें गॉंव के लोग,
बच्चा-बच्चा उनके अच्छे कर्मों के,
लिए आज भी याद करता है।

डा. शम्भु शरण अपने अच्छे कार्यो,
के लिए अमर हो गए, गॉंव का हर
व्यक्ति अपने में सुधार लाने की,
प्रतिज्ञा करता हैं, समाज उन लोगों
का ऋणी होता है जो समाज के उत्थान,
के लिए अपने को समर्पित कर देते हैं।

आज इस गॉंव में साक्षरता बढ़ गई,
आज हर सपना साकार होता हुआ नजर आता हैं।
“जब तक अंधविश्वास रहेगा,
इन्सान भय त्रस्त और परेशान रहेगा।

पहले घर में करो उजाला,
फिर मंदिर में दीप जलाओ।
मानव-मानव में भेद नहीं,
सब को अपने गले लगाओ।

जैसे किसी के द्वारा प्रार्थना किए,
बिना ही सूर्य कमल-समूह को,
विकसित करता हैं, जैसे चन्द्रमा,
कैरव-समूह को प्रफुल्लित करता हैं।

तथा जिस प्रकार मेघ बिना मांगे,
ही प्राणियों को जल देता हैं।
उसी प्रकार महापुरुष स्वाभाविक,
स्वंय ही परहित में लगे रहते हैं,
ताकि समाज की बुराइयां,
स्वतः दूर हो जाए।

“कोपरनिकस” ने कहा पृथ्वी गोल हैं,
यह वैज्ञानिक खोज धार्मिक तथ्यों से,
अलग होने के कारण, कोपरनिकस को
मौत मिली, अंधविश्वास से मुक्ति
तभी मिलेगी जब सोच वैझानिक हो।

♦ भोला शरण प्रसाद जी – सेक्टर – 150/नोएडा – उत्तर प्रदेश ♦

—————

  • “भोला शरण प्रसाद जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस लेख के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — वक्त के साथ जब हम पोशाक बदल रहे हैं, नई-नई प्रथाऍं समाज में स्वतः अपनायी जा रही है तो फिर अंधविश्वास में विश्वास क्यों, हर शिक्षित व जागरुक व्यक्ति का यह धर्म है कि वह समाज को अंधविश्वास से मुक्त करे। अंधविश्वास के जंजीर को तोड़ना ही, विज्ञान की उपलब्धि होगी।

—————

यह लेख (अंधविश्वास।) “भोला शरण प्रसाद जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख/कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मैं भोला शरण प्रसाद बी. एस. सी. (बायो), एम. ए. अंग्रेजी, एम. एड. हूं। पहले केन्द्रीय विघालय में कार्यरत था। मेरी कई रचनाऍं विघालय पत्रिका एंव बाहर की भी पत्रिका में छप चूकी है। मैं अंग्रेजी एंव हिन्दी दोनों में अपनी रचनाऍं एंव कविताऍं लिखना पसन्द करता हूं। देश भक्ति की कविताऍं अधिक लिखता हूं। मैं कोलकाता संतजेवियर कालेज से बी. एड. किया एंव महर्षि दयानन्द विश्वविघालय रोहतक से एम. एड. किया। मैं उर्दू भी जानता हूं। मैं मैट्रीकुलेशन मुजफ्फरपुर से, आई. एस. सी. एंव बी. एस. सी. हाजीपुर (बिहार विश्वविघालय) बी. ए. (अंग्रेजी), एम. ए. (अंग्रेजी) बिहार विश्वविघालय मुजफ्फरपुर से किया। शिक्षा से शुरू से लगाव रहा है। लेखन मेरी Hobby है। इस Platform के माध्यम से सुधारात्मक संदेश दे पाऊं, यही अभिलाषा है।

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