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इस उम्र के

इस उम्र के…।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ इस उम्र के…। ♦

काव्य  : बीत गये दिन।

माह बरस पखवाड़े के ये पल,
देखो चले गये बीत गये ये दिन।
पल-पल यूँ बीत रहे खामोशी से चलते,
दौड़ लगाते भागते बीत गये ये दिन।

सोच रहे थाम लेगें,
फिर इसे जकड़ कर बांध लेगें।
रेत की तरह फिसल रहे,
दौर काल सब मुट्ठी से निकल रहे।

सदियों तक से तप किये,
गलियों पगडंडियों को नाप लिये।
साँसों के बंधन बांधने को,
देवस्त देवालय से नाता जोड़ लिये।

हिमाद्री के हिम की तरह पिघल रही,
शिशिर की तरह गिर रही।
चरमरा कर मर्मर बन चमक रही,
ये जिंदगी रेत की तरह फिसल रही।

आशाओं इच्छाओं की लड़ियाँ बुनते,
चाहत कामनाओं को संभाले।
लड़ रहे जीवन प्राणों की,
रोज-रोज इक नयी पिपासाओं को संभाले।

माह बरस पखवाड़े के ये पल,
देखो चले गये बीत गये ये दिन।
पल-पल यूँ बीत रहे खामोशी से चलते,
दौड़ लगाते भागते बीत गये ये दिन।

♦ सतीश शेखर श्रीवास्तव `परिमल` जी — जिला–सिंगरौली, मध्य प्रदेश ♦

—————

  • “सतीश शेखर श्रीवास्तव `परिमल`“ जी ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — मानव जीवन के सात चरण जानिए कौन सी उम्र में कौन सी अवस्था। मनुष्य के जीवन में अवस्थाएं क्रमशः गर्भावस्था, शैशवावस्था, बाल्यावस्था, किशोरावस्था, युवावस्था, प्रौढ़ावस्था एवं वृद्धावस्था होती हैं। हर अवस्था में शरीर का विकास, मानसिक विकास, सीखने, सोचने – समझने, दिखने के अलग अलग तरीके होते हैं। हर चरण का विकास एक विशेष तरीके से होता है। हर अवस्था में मनुष्य के अलग नियम, कर्तव्य और सावधानियां होती हैं। शारारिक और मानसिक विकास के लिए इन सभी का पालन करना भी जरूरी होता है, वरना परेशानियां होती हैं। बुढ़ापा का समय 65 वर्ष की उम्र से शुरू होता है। मानव का अवसत उम्र 70 से 85 वर्ष का होता है लेकिन ये स्वास्थ पर निर्भर करता है। कुछ लोगो का निधन 65 वर्ष उम्र से पहले ही हो जाता है। लेकिन कुछ लोगो का निधन 85 वर्ष के बाद होता है और यही पर मानव जीवन चक्र समाप्त होता है।

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यह कविता (इस उम्र के…।) “सतीश शेखर श्रीवास्तव ‘परिमल’ जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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Filed Under: 2022-KMSRAJ51 की कलम से, हिंदी कविता, हिन्दी-कविता Tagged With: Human Activity in Seven Stages, Poems of Satish Shekhar Srivastava 'Parimal', Satish Shekhar Srivastava 'Parimal' poems, The Seven Stages of Human Life, आयु अवस्था, इस उम्र के, किशोरावस्था, गर्भावस्था, प्रौढ़ावस्था एवं वृद्धावस्था, बाल्यावस्था, मनुष्य का जीवन चक्र, मानव जीवन चक्र के चरण, युवावस्था, शैशवावस्था, सतीश शेखर श्रीवास्तव - परिमल

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