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करवा चौथ पर कविता

करवा चौथ।

Kmsraj51 की कलम से…..

Karwa Chauth | Karva Chauth| करवा चौथ।

Karva Chauth - wife fasts for the long life and happiness of her husband.

करवाचौथ की पावन बेला में, भव्य भारत देश की शोभा है।
सजना की दीर्घायु का, व्रत रखती सजनी का जो योद्धा है।

निर्जल दिनभर रहती नारी, चन्द्र दर्शन पर ही जल पीती है।
सचमुच इस पर्व से लगता है, वह पति के खातिर जीती है।

वह साल भर का लगाई – झगड़ा, बदलता आज की पूजा में।
मेरी जिन्दगी में बस तुम ही हो सजना, और कोई न दूजा है।

वह छलनी से चांद को देखना, पति प्रेम का घूंट भर पानी है।
चेहरे से पत्नी के झलकता कि, वह तो पति की दीवानी है।

अरे जन्मना – मरना लड़ना – झगड़ना, जीवन की कहानी है।
करवाचौथ की रसम से आती, पति-पत्नी में फिर जवानी है।

हार – शृंगार से सजती सजनी, सजना भी भेंट कुछ लाता है।
विदेशी सभ्यताएं क्या जाने, भारत दाम्पत्य कैसे निभाता है?

♦ हेमराज ठाकुर जी – जिला – मण्डी, हिमाचल प्रदेश ♦

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  • “हेमराज ठाकुर जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — कविता करवाचौथ के पर्व की पवित्रता और उसकी सांस्कृतिक महत्ता को दर्शाती है। यह त्योहार भारत की दाम्पत्य परंपरा का प्रतीक है, जहाँ पत्नी अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए उपवास रखती है। दिनभर बिना जल ग्रहण किए वह चंद्र दर्शन के बाद ही जल और भोजन करती है, जिससे उसकी पति के प्रति प्रेम और समर्पण झलकता है।कविता यह भी बताती है कि पति-पत्नी के बीच छोटे-छोटे झगड़े और खटपट साल भर चलते रहते हैं, लेकिन करवाचौथ के इस विशेष दिन पर दोनों के बीच प्रेम और जुड़ाव का नया एहसास जागता है। छलनी से चाँद को देखने और पति से पहला घूंट पानी पीने की रस्म में नारी का प्रेम झलकता है।इसके अलावा, कविता में यह संदेश भी दिया गया है कि भारतीय दाम्पत्य जीवन की गहराई को पश्चिमी सभ्यताएं नहीं समझ सकतीं। इस पर्व के माध्यम से जीवन में फिर से प्रेम की ताजगी आ जाती है और पति-पत्नी एक-दूसरे के प्रति अपने प्रेम को नये सिरे से अभिव्यक्त करते हैं।

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यह कविता (करवा चौथ।) “हेमराज ठाकुर जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दों में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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ध्यान – साधना करवा चौथ में।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ ध्यान – साधना करवा चौथ में। ♦

विचार के मुक्ताकाश विचरण में,
मैं और तुम सदा समभाव संगी।
हम एक हृदय, आत्म-भावी पथिक,
हैं ज्ञात तुम्हें है, प्रेयसी तुम्हारी।

क्षीणकाय, जा रही बार्धक्य दिश,
बोले डाक्टर,” गुर्दे तुम्हारे अस्वस्थ।
निर्जल – व्रत है शत्रु वत् उसके हित,”
धर्म की परिभाषा बदल रही सतत।

परंपरा होती परिशोधित पर्यावरण से,
मेरा आज है मानस का ध्यान – व्रत।
प्रार्थना तुम्हारे दीर्घ जीवन की, हर,
क्षण, तुम्हारी आत्मोन्नति ही एक।

नव अनुभूति है, न होना तुम,
म्लान-मुख, सम्यक् ध्यान, प्रार्थना।
की शक्ति उच्चतर है, हूं, अव्रती,
मैं आज, निज स्वास्थ्य हित में।

ध्यान ध्वनि से परम प्रबुद्ध तुम,
शुभकामना करवा चौथ की।

♦ प्रो• मीरा भारती जी – पुणे, महाराष्ट्र  ♦

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  • “प्रो• मीरा भारती जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से बताने की कोशिश की है — करवा चौथ व्रत के दौरान अपनी अंतर साधना के लिए उपयुक्त समय होता है। करवा चौथ के व्रत को एक सामान्य व्रत की जगह साधनामय दिन की तरह व्यतीत करें। अपने आंतरिक सुषुप्त आंतरिक शक्तियों का स्मरण कर उन्हें जागृत करें। इन आंतरिक शक्तियों का उपयोग कर जीवन के हर क्षेत्र में विकास करें।

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यह कविता (ध्यान – साधना करवा चौथ में।) “प्रो• मीरा भारती जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं से नई पीढ़ी को बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम मीरा भारती (मीरा मिश्रा/भारती) है। मैंने BRABU Muzaffarpur, Bihar, R.S College में प्राध्यापिका के रूप में 1979 से 2020 तक सक्रिय चिंतन और मनन, अध्यापन कार्य किया, आनलाइन शिक्षण कार्यक्रम से वर्तमान में भी जुड़ी हूं, मेरे द्वारा प्रशिक्षित बच्चे लेखनी का सुंदर उपयोग किया करते हैं। मैंने लगभग 130 कविताएं लिखी है, जिसमें अधिक प्रकाशित हैं, कई आलेख भी, लिखे हैं। दृढ़ संकल्प है, कि लेखन और अध्यापन से, अध्ययन के सामूहिक विस्तारण से समाज कल्याण – कार्य के कर्तृत्व बोध में वृद्धि हो सकती है। अधिक सकारात्मक परिणाम आ सकते हैं।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

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करवा चौथ और चाँद।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ करवा चौथ और चाँद। ♦

करवा चौथ व्रत से पहले दिन बाजारों की देखो शान,
मेहंदी लगवाने बैठी है सुहागिनें बाजार में लार-पतार।

साड़ी, सूट और लंहगा, चूनी लाल, हरे रंग से दुकानों की बढ़ा रहे हैं शान,
बाजार शोभा लगती है न्यारी जैसे स्वर्ग से अप्सरा है आई उतर।

अगले दिन सुबह सरगी खाकर व्रत का करती है अनुष्ठान,
सारा दिन कुछ न खाकर भजन कीर्तन से मौज मस्ती करती है सारी।

सज – संवर कर कथा सुनती है सास के चरणों में दिल कर अर्पन,
शिव – पार्वती और गणेश की पूजा कर फिर करती है आरती सारी।

सबको खिला – पिला कर राह तके चांद की लगा टकटकी आसमान,
ए चांद कहां छुपे हो इक झलक दिखला जाओ सुहागिनें करती है गुहार।

इक चांद पलकों में है इक बादलों में लुका – छिपी कर करता है परेशान,
ए – चांद – चांदनी को चंद लम्हे करो अर्पण सुहागिनें उतारे आरती तिहारी।

कहां छिपे हो निर्मोही दर्शन की बाट लिए थक गए हैं हमारे नयन,
चांद का दिल पसीज आता है सुन सुहागिनों की पुकार।

खुश हो सुहागिनें सारी चांद की करती है पूजा अर्चना पति के संग,
पति के हाथों से जल ग्रहण करती है चांद की आरती उतार।

हां पिया ही तो है उसकी खुशियों का सारी भू-धरा और असमान,
लंबी आयु की दुआ मांगे भावुकता से हो भाव विभोर।

उसके लिए तो बस पिया ही है दुनिया में दोनो जहान,
करवाचौथ का व्रत है सभी सुहागिनों का प्यारा – प्यारा त्यौहार।

॥ आप सभी बहनों को करवाचौथ पर — हार्दिक शुभकामनाएं ॥

♦ विजयलक्ष्मी जी – झज्जर, हरियाणा ♦

—————

  • “विजयलक्ष्मी जी“ ने, बिलकुल ही सरल शब्दों का प्रयोग करते हुए समझाने की कोशिश की हैं — पति-पत्नी के पवित्र रिश्ते को और अधिक मजबूती देने वाले पर्व करवा चौथ के बारे में विस्तार से बताया है। तेरी चंद्र कलाओं से भी सुंदर, सजने का इनका सलीका होगा। चाँद और नारी के गुणों व पति के प्यार संग सोलह श्रृंगार का सुंदर मधुर वर्णन किया है। पति-पत्नी एक दूसरे के पूरक होते है इसलिए संगनी का आधार, पिया का गुरुर, बनाता संबंध मजबूत। एक दूसरे का कर सम्मान, अर्धनारीश्वर यही कराता भान, जीवन संगनी के प्यार से संघर्षमय जीवन, हो जाता आसान।

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यह कविता (करवा चौथ और चाँद।) “विजयलक्ष्मी जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम विजयलक्ष्मी है। मैं राजकीय प्राथमिक कन्या विद्यालय, छारा – 2, ब्लॉक – बहादुरगढ़, जिला – झज्जर, हरियाणा में मुख्य शिक्षिका पद पर कार्यरत हूँ। मैं पढ़ाने के साथ-साथ समाज सेवा, व समय-समय पर “बेटी बचाओ – बेटी पढ़ाओ” और भ्रूण हत्या पर Parents मीटिंग लेकर उनको समझाती हूँ। स्कूल शिक्षा में सुधार करते हुए बच्चों में मानसिक मजबूती को बढ़ावा देना। कोविड – 19 महामारी में भी बच्चों को व्हाट्सएप ग्रुप से पढ़ाना, वीडियो और वर्क शीट बनाकर भेजना, प्रश्नोत्तरी कराना, बच्चों को साप्ताहिक प्रतियोगिता कराकर सर्टिफिकेट देना। Dance Classes प्रतियोगिता का Online आयोजन कराना। स्वच्छ भारत अभियान के तहत विद्यालय स्तर पर कार्य करना। इन सभी कार्यों के लिए शिक्षा विभाग और प्रशासनिक अधिकारी द्वारा और कई Society द्वारा बार-बार सम्मानित किया गया।

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चौथ के चाँद।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ चौथ के चाँद। ♦

प्रिय चौथ के चाँद,

हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी मैं आपका तहे दिल से धन्यवाद प्रदान करती हूं। कि कार्तिक माह की चतुर्थी को यदि उषा की स्वर्णिम किरणे जीवन के अनंत रूपों की पर्याय हैं। तो निशाकर की शीतलता और पवित्र किरणें एक बार फिर मेरे जीवन में प्रेम का उदय कर रही है। तो इसलिए एक बार फिर से तहे दिल से धन्यवाद प्रदान करती हूं।

अब आप यह प्रश्न मत उठाना कि पहले क्या जीवन में प्रेम नहीं था। प्रेम था, प्रेम है, प्रेम रहेगा। लेकिन आप की उपस्थिति में मुझे मेरा चाँद अति प्रिय लगता है। आप तो जानते ही हैं ना कि एक स्त्री का जीवन कितना भागदौड़ वाला होता है। अगर पूरे वर्ष में से एक दिन वह इत्मीनान से अपने चाँद का दीदार करना चाहती है। तो उसके लिए आपकी उपस्थिति अति आवश्यक है। परस्पर विश्वास, त्याग और समर्पण को आप की शीतल छाया में और भी मजबूती मिलती है। और हां सुनो देह की सुंदरता को तो सभी निहारते हैं।

लेकिन आज तो मेरी रूह नवयौवन के भाँति श्रृंगार कर फिर से दुल्हन जो बनती है उसके लिए आपका शुक्रिया। ना जाने पूरे वर्ष कितने ही ऐसे पूरे और अधूरे वादे होते हैं जो प्रेम की रंगीन छाया में पलना चाहते हैं।

लेकिन किन्ही कारणों वश वह पूरे नहीं हो पाते हैं ऐसे ही कुछ पूरे ओर अधूरे वादों को मैं आज आपकी चांदनी किरणों से बांधकर अपने चाँद के समक्ष उर में समाहित कर उन्हें समर्पण की दहलीज़ पर रखूंगी। और विश्वास की रंगीन मौली में बांधकर उन्हें मन की चौखट पर नजरबट्टू के साथ टाँग दूँगी ताकि उसे किसी की भी नजर न लगे। औऱ हाँ जब सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक मेरे निर्जल व्रत को जब आप कि शीतल छाया में मेरा चाँद मेरे अधरों को अमृत रूपी जल से तृप्त करता है तो वो वह मात्र मेरी प्यास ही तृप्त नहीं करता करता अपितु मेरी आत्मा तक को संतृप्त कर देता है।

जिस प्रकार मेहंदी का अर्थ “रंग” नहीं “रचना” होता है ठीक उसी प्रकार करवाचौथ सिर्फ एक साधारण व्रत न होकर सृष्टि की सर्वोत्तम रचनाओं को एक करने का पवित्र बंधन होता है।

जो अपने सुहाग की लंबी उम्र के लिए प्रतिपल कामना करता है।
हे चौथ! के चांद बस आपसे यही कामना है आप अपना स्नेह व प्यार सभी करवाओ पर बनाये रखे और सप्त-पदी के संकल्प को सात जन्मों के साथ वाले इस अनुष्ठान को पूरा करना का सभी को सामर्थ्य प्रदान करे।

बस एक अंतिम बात थोड़ा जल्दी निकल आना॥
॥ शुभ करवा चौथ ॥

♦ कविता पाल जी – नई दिल्ली ♦

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  • “कविता पाल जी“ ने, बिलकुल ही सरल शब्दों का प्रयोग करते हुए उदाहरण के माध्यम से समझाने की कोशिश की हैं — स्त्री (नारी) और प्रकृति अनंत ऊर्जा से संपन्न है। स्त्री की गोद में उत्थान और पालन होता है नई पीढ़ी का। पति-पत्नी के पवित्र रिश्ते को और अधिक मजबूती देने वाले पर्व करवा चौथ के बारे में विस्तार से बताया है। तेरी चंद्र कलाओं से भी सुंदर, सजने का इनका सलीका होगा। चाँद और नारी के गुणों व पति के प्यार संग सोलह श्रृंगार का सुंदर मधुर वर्णन किया है। पति-पत्नी एक दूसरे के पूरक होते है इसलिए संगनी का आधार, पिया का गुरुर, बनाता संबंध मजबूत। एक दूसरे का कर सम्मान, अर्धनारीश्वर यही कराता भान, जीवन संगनी के प्यार से संघर्षमय जीवन, हो जाता आसान।

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यह लेख (चौथ के चाँद।) ” कविता पाल जी “ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/गीत/दोहे/लेख सरल शब्दों में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी दोहे/कविताओं और लेख से आने वाली नई पीढ़ी और जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूँ ही चलती रहे जनमानस के कल्याण के लिए, माता रानी की कृपा से।

नाम : कविता पाल
शिक्षा : पुस्तकालय विज्ञान में D.LIS, B.LIS, और M.LIS
PG Diploma in YOGA.

शौक : अध्यापन, लेखन, समाज सेवा द्वारा महिलाओं की स्थिति में जागरूकता लाना।

— अपने बारे में कुछ शब्द साहित्यिक गतिविधियां काव्य लेखन, गद्य लेखन एवं फेसबुक के विभिन्न साहित्यिक समूहों में सक्रिय सहभागिता रहती है अतः सक्रिय लेखक सम्मान एवं पुरस्कार भी प्राप्त हुए हैं।
— मेरे द्वारा फेसबुक पर अनमोल अल्फाज नामक पेज का संचालन भी किया जाता है। जिसका एकमात्र उद्देश्य समाज में मेरी कविताओं द्वारा महिलाओं एवं अन्य क्षेत्र में जागरूकता का कार्य करना है।

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करवा चौथ।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ करवा चौथ। ♦

भले सारी दुनिया के लिए आम हूँ मैं,
मगर कोई है जिसके लिए ख़ास हूँ मैं।
लगाई है मेंहदी उनके नाम की आज मैंने,
जिनकी धड़कनों में बसा अहसास हूँ मैं।

मेरा दिन भर भूखे रहना उनके लिए सजा है,
किन्तु मेरे लिए इस भूख का अपना मज़ा है।
ये मेरे निश्चल प्रेम की अभिव्यक्ति का है ढंग,
इसलिए मेरी रजा में ही शामिल उनकी रजा है।

मेरा दिन भर कुछ न खाना – पीना भाता नहीं उन्हें,
अपने तर्कों से बार – बार व्रत की समीक्षा वो करते हैं।
शाम ढलते ही टकटकी लगाकर देखते हैं आसमान को,
मुझसे ज़्यादा आतुरता से चाँद की प्रतीक्षा वो करते हैं।

सुहागिनों के गजरे को छूकर बयार महक जाती है,
देख सँवरी सजनी सजना की तबियत बहक जाती है।
चूड़ी खनके, पायल छनके, माथे पर दमके बिंदिया,
पंछी सम कलरव कर सनम की चाहत चहक जाती है।

♦ वेदस्मृति ‘कृती’ जी – पुणे, महाराष्ट्र ♦

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  • “वेदस्मृति ‘कृती’ जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस मुक्तक/कविता में समझाने की कोशिश की है — पति-पत्नी के पवित्र रिश्ते को और अधिक मजबूती देने वाले पर्व करवा चौथ के बारे में विस्तार से बताया है। तेरी चंद्र कलाओं से भी सुंदर, सजने का इनका सलीका होगा। चाँद और नारी के गुणों व पति के प्यार संग सोलह श्रृंगार का सुंदर मधुर वर्णन किया है। पति-पत्नी एक दूसरे के पूरक होते है इसलिए संगनी का आधार, पिया का गुरुर, बनाता संबंध मजबूत। एक दूसरे का कर सम्मान, अर्धनारीश्वर यही कराता भान, जीवन संगनी के प्यार से संघर्षमय जीवन, हो जाता आसान। सुहागिनों के गजरे को छूकर बयार महक जाती है, देख सँवरी सजनी सजना की तबियत बहक जाती है।

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यह मुक्तक/कविता (करवा चौथ।) ” वेदस्मृति ‘कृती’ जी “ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी मुक्तक/कवितायें/गीत/दोहे/लेख सरल शब्दों में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी दोहे/कविताओं और लेख से आने वाली नई पीढ़ी और जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूँ ही चलती रहे जनमानस के कल्याण के लिए।

साहित्यिक नाम : वेदस्मृति ‘कृती’
शिक्षा : एम. ए. ( अँग्रेजी साहित्य )
बी.एड. ( फ़िज़िकल )
आई आई टी . शिक्षिका ( प्राइवेट कोचिंग क्लासेज़)
लेखिका, कहानीकार, कवियित्री, समीक्षक, ( सभी विधाओं में लेखन ) अनुवादक. समाज सेविका।

अध्यक्ष : “सिद्धि एक उम्मीद महिला साहित्यिक समूह”
प्रदेश अध्यक्ष : अखिल भारतीय साहित्य सदन ( महाराष्ट्र इकाई )
राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान बिहार प्रान्त की महिला प्रकोष्ठ,
श्री संस्था चैरिटेबल ट्रस्ट : प्रदेश प्रतिनिधि ( महाराष्ट्र )
अंतर्राष्ट्रीय हिंदी परिषद में – सह संगठन मंत्री, मुंबई ज़िला, महाराष्ट्र
हिन्दी और अँग्रेजी दोनों विधाओं में स्वतंत्र लेखन।

अनेक प्रतिष्ठित हिन्दी/अँग्रेजी पत्र – पत्रिकाओं में नियमित रचनाएँ प्रकाशित।

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“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

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पति के प्यार संग सोलह श्रृंगार।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ पति के प्यार संग सोलह श्रृंगार। ♦

पति पत्नी का प्यार, जीवन का है आधार,
प्यार और सम्मान से जग में मिलता मान।
दोनों का त्याग, समर्पण और विश्वास, इसे बनाया आगढ़,
संगनी का आधार, पिया का गुरुर, बनाता संबंध मजबूत।
पति के प्यार संग सोलह श्रृंगार, यही है करवाचौथ त्योहार॥

कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को आता, पावन दिन हरबार,
शिव पार्वती की जिसपर कृपा है होती, वही मनाता त्योहार।
सौभाग्यवती सुहागिन को ही मिलता, ये मौका अधिकार,
पति की लंबी आयु, स्वास्थ्य, सौभाग्य की कामना करती अपार।
पति के प्यार संग सोलह श्रृंगार, यही है करवाचौथ त्योहार॥

दो शब्दों का संगम है हमारा यह महात्योहार,
करवा यानी मिट्टी के बर्तन, चौथ यानी चतुर्थी।
सच्चे मन से जो यह रखता, व्रत का उपवास,
करवा माता उसे है देती, सदा सुहागन का वरदान।
पति के प्यार संग सोलह श्रृंगार, यही है करवाचौथ त्योहार॥

व्रत करने वाली स्त्री का सूर्योदय से इसका होता आगाज,
निराहार नहीं निर्जला उपवास से मिलता, सार्थक फल बेमिसाल।
ॐ शिवायै नमः से पार्वती का, ॐ नमः शिवाय से शिव का,
ॐ सोमाय नमः से छुपे चंद्र का, होता है दीदार।
पति के प्यार संग सोलह श्रृंगार, यही है करवाचौथ त्योहार॥

छुपे चांद का पिया संग सजनी, करती है इंतजार,
चांद भी इस दिन भाव दिखलाते, लेते सब्र का इम्तहान।
आंखों में सजनी का पिया के प्रति देखकर प्यार,
द्रवित हो चंद्रदेव देते दर्शन, जग को अपरम्पार।
पति के प्यार संग सोलह श्रृंगार, यही है करवाचौथ त्योहार॥

सब्र का होता बेड़ा पार, चंद्रदेव का होता दीदार,
संगनी संग पिया के चेहरे पर उभरती, मंद-मंद मुस्कान।
चंद्रदेव का दर्शन कर, हर संगनी पिया का छलनी से करती दीदार,
पिया के हाथों जल ग्रहण कर, पूरा होता व्रत महान।
पति के प्यार संग सोलह श्रृंगार, यही है करवाचौथ त्योहार॥

यह त्योहार एक दिन का ही नहीं, जन्मोजनम के प्यार का,
एहसास दिलाता, दोनों के संबंध को करता और प्रगाढ़।
एक दूसरे का कर सम्मान, अर्धनारीश्वर यही कराता भान,
जीवन संगनी के प्यार से संघर्षमय जीवन, हो जाता आसान।
पति के प्यार संग सोलह श्रृंगार, यही है करवाचौथ त्योहार॥

विवेक का सभी पतियों से निवेदन है इस बार,
पत्नी का निश्छल प्रेम और विश्वास की डोर का, करें हम सम्मान।
जीवन रूपी पावन कच्चे डोर को पक्का कर,
अपनी संगनी को दे प्यार का, भरोसा एवं विश्वास।
पति के प्यार संग सोलह श्रृंगार, यही है करवाचौथ त्योहार॥

♦ विवेक कुमार जी – जिला – मुजफ्फरपुर, बिहार ♦

—————

• Conclusion •

  • “विवेक कुमार जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से समझाने की कोशिश की है — पति-पत्नी के पवित्र रिश्ते को और अधिक मजबूती देने वाले पर्व करवा चौथ के बारे में विस्तार से बताया है। तेरी चंद्र कलाओं से भी सुंदर, सजने का इनका सलीका होगा। चाँद और नारी के गुणों व पति के प्यार संग सोलह श्रृंगार का सुंदर मधुर वर्णन किया है। पति-पत्नी एक दूसरे के पूरक होते है इसलिए संगनी का आधार, पिया का गुरुर, बनाता संबंध मजबूत। एक दूसरे का कर सम्मान, अर्धनारीश्वर यही कराता भान, जीवन संगनी के प्यार से संघर्षमय जीवन, हो जाता आसान।

—————

यह कविता (पति के प्यार संग सोलह श्रृंगार।) “विवेक कुमार जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मैं एक शिक्षक हूं। मुजफ्फरपुर जिला, बिहार राज्य का निवासी हूं। शिक्षा से शुरू से लगाव रहा है। लेखन मेरी Hobby है। इस Platform के माध्यम से सुधारात्मक संदेश दे पाऊं, यही अभिलाषा है।

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