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कवयित्री पूनम गुप्ता

होली का त्यौहार।

Kmsraj51 की कलम से…..

Holi Festival | होली का त्यौहार।

फाल्गुन का महीना आया होली का उत्सव आया है,
फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है।
हिरण्यकश्यप ने स्वयं को भगवान बताया था,
पुत्र का ही शत्रु बन बैठा बहन होलिका को बुलाया था।

भक्त प्रहलाद विष्णु की पूजा करता था,
इसी बात से क्रोधित होकर प्रहलाद को बहन की गोद में बिठाया।
होलिका की गोद में बैठा प्रहलाद जल नहीं पाया था,
हुई कृपा प्रहलाद पर विष्णु की होलिका का दहन हुआ था।

नरसिंह का रूप रख विष्णु धरती पर आया था,
हिरण्यकश्यप का वध किया सारा जग हर्षाया था।
जब से होली का पर्व मनाया जाता है,
होली रंगों और खुशियों का त्यौहार है।

रंग बरसे लाल, गुलाबी, पीले रंगों से सब होली खेलते है,
भर – भर पिचकारी चलाये एक दूसरे रंग को रंग बरसाते है।
ढोलक की थाप पर नाचते सब नर – नारी है,
बनते घर – घर पकवान और व्यजंन है।

आयी – आयी देखो होली मस्तानों की टोली आयी है,
मिटाकर सारे गले – शिकवे एक दूसरे के गले मिलते है।
प्रेम, एकता की भावना का यह पर्व यही संदेश देता है,
न किसी से बैर करो, न ही किसी के दिल को दुखाना है,
मिलकर सबको होली का पर्व मानना है।

♦ पूनम गुप्ता जी – भोपाल, मध्य प्रदेश ♦

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  • “पूनम गुप्ता जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — आत्मिक प्रेम, निस्वार्थ स्नेह, करुणा व मानवता का पवित्र महापर्व होली हैं। अपने सम्पूर्ण विकारों को अग्नि को समर्पित कर एक अच्छे व सच्चे योगी जैसे पवित्र जीवन के नियमों के अनुसार जीवन जीना ही सच्ची होली हैं। याद रहे मलिन मन क्या जाने इस होली का उत्सव? पावनता तो जरूरी है। तन के रंगने से नहीं, मन के रंगे बिन, होली सबकी अधूरी है। मौसम के बदलाव की, नव फसलों के उगाव की, यह धुरी है। संस्कृति, सभ्यता और संस्कारों की, होली की क्रीड़ा पूरी है। बहन, भाई, मां, बेटी, पत्नी, पिता को, होली के रंग ही लहदे हैं। प्रेम है सब में, पर रूप अनेक है, यही तो रिश्तों के ओहदे हैं। अहंकार का नाश कर, सद्गुणों को धारण करने का महापर्व है होली। भक्त प्रह्लाद विष्णु के भक्त थे। हिरण्यकश्यप के वध के बाद वे ही असुरों के सम्राज्य के राजा बने थे। प्रहलाद के महान पुत्र विरोचन हुए और विरोचन से महान राजा बलि का जन्म हुआ जो महाबलीपुरम के राजा बने। इन बलि से ही श्री विष्णु ने वामन बनकर तीन पग धरती मांग ली थी।

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यह कविता (होली का त्यौहार।) “पूनम गुप्ता जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख/कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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आधुनिकता वरदान या अभिशाप।

Kmsraj51 की कलम से…..

Modernity a Blessing or a Curse | आधुनिकता वरदान या अभिशाप।

आज का युग विज्ञान का युग है आदिकाल से लेकर अब तक जितने भी प्रगति मनुष्य ने की है। वह सब विज्ञान की देन है हम सब अच्छी तरह से जानते हैं कि “आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है” जैसे – जैसे मनुष्य की आवश्यकता बढ़ती गई। वैसे-वैसे नया आविष्कार होते गए। विज्ञान ने वास्तव में हमें बहुत कुछ दिया है जिसके लिए हम सदा उनके ऋणी रहेंगे।

विज्ञान ने हमारे जीवन को पूरी तरह से बदल दिया है जिससे कोई भी प्रभावित नहीं रह सका। यहां तक की बच्चे भी आजकल स्मार्टफोन का उपयोग कर रहे हैं जो एक तरह से उनके लिए हानिकारक भी है और फायदेमंद भी है। आधुनिकता वरदान भी है और अभिशाप भी यह इस बात पर निर्भर करता है कि हम उसको प्रयोग कैसे करते है। आज के युग में इतनी तकनीक का विकास हो चुका है कि हम इसके प्रयोग किये बगैर कुछ करने की नहीं सोच सकते है।

हम एक ऐसे समाज और दुनिया में रहते हैं जो अपने आधुनिकता के चक्कर में अपने टेबलेट, स्मार्टफोन, लैपटॉप के जरिए इस आभासी दुनिया से लगातार संपर्क में रहते है। इसका उपयोग करने के लिए न केवल हमारे काम करने का तरीका और खेलने का तरीका भी बदला है। यह हमारे सोचने के तरीकों को नाट्य रूप से प्रभावित कर रहा है।

इंटरनेट ‘सोशल मीडिया’ कंप्यूटर के इनके इस्तेमाल से लोगों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह मानव को कम सामाजिक संवाद आत्मक और निर्भर बनाता है यहां तक कि उनके व्यक्तिगत पहचान को भी प्रभावित करता है। और तकनीकी की वजह से दुनियाँ के अलग-अलग हिस्सों से जुड़े हुए है हम चीजों को तुरंत कर सकते हैं। और अपने पुराने मित्रों को भी ‘सोशल मीडिया’ के जरिए संपर्क कर सकते हैं।

मोबाइल पर इंटरनेट की उपयोगिता तथा युवा वर्ग द्वारा इसके दुरुपयोग का अध्ययन किया गया है। जहां पर मोबाइल इंटरनेट ऐसी तकनीकी जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में उपयोग, उपयोगी साबित सिद्ध साबित हो रही है। वही युवा वर्ग अपने लालच और बुरी आदतों के शिकार भी हो रहा है। अपनी इच्छा को पूरा करने के लिए इसको एक हथियार के रूप में भी इस्तेमाल कर रहा है इसे कारण सामाजिक मानसिक विकार भी विकसित हो रहे हैं।

  • अवश्य पढ़ें — सोशल मीडिया और बच्चे।

मोबाइल के अधिक प्रयोग करने के कारण, मोबाइल का अधिक उपयोग करने के कारण और इसकी आदत सी पड़ गई है। तथा मोबाइल के उपयोग के आदि हो जाने के कारण एक व्यक्ति सामाजिक, मानसिक, और शारीरिक समस्याओं से ग्रसित हो जाता है। यह इस ओर इशारा करते हैं। सूचना तकनीकी क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन हुआ, भारतीय समाज में इंटरनेट का अत्यधिक प्रयोग किया जा रहा है जिसका जिसका दुष्प्रभाव सभी लोगों पर पड़ रहा है।

आज भौतिक दूरी पर मायने नहीं रखती, इंटरनेट के द्वारा विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग कर एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से ऑनलाइन कॉन्फ्रेंस या वीडियो कॉलिंग पर भी बात कर सकता है, इस कड़ी में विभिन्न सोशल मीडिया एप्स साइट का अमूल्य योगदान रहा है यह व्हाट्सएप, फेसबुक, टि्वटर इंस्टाग्राम इन सभी प्लेटफार्म के माध्यम से हम किसी से भी बात कर सकते हैं, और अपने फोटो वीडियो और मैसेज को आसानी से भेज सकते हैं।

मोबाइल और इंटरनेट के प्रयोग के द्वारा और शिक्षा पाना भी आसान हो गया है ऐसे विद्यालय महाविद्यालय शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हो पाती है या किसी कारण तबादला एक स्थान से दूसरे स्थान पर हो गया है, ऐसे समय विद्यार्थियों का कोई नुकसान हो इसके लिए राज सरकार और शिक्षा से जुड़ी हुई संस्थाओ एनजीओ के द्वारा वर्चुअल क्लासरूम की व्यवस्था करने का प्रयास किया जा रहा है।

वर्तमान समय में कॉम्पिटिशन एग्जाम की तैयारी हेतु कॉम्पटीशन सैंटरो ने अपने ऑनलाइन एप्स अनअकैडमी कोचिंग सेंटर ने अपने प्लेटफार्म उपलब्ध करवाए हैं, ताकि विद्यार्थी घर से बाहर गए बिना भी अपने घर में अपनी समय के अनुसार और योग्यता आधार पर घर पर ही कोचिंग क्लास ले सकता है, और अपने रोजगार को प्राप्त कर सकता है। आधुनिकता में कुछ वरदान हमको मिले है समय की बचत के साथ नयी-नयी चीजें भी सीखने को मिल रही है, लेकिन एक हद तो ठीक है इसका उपयोग अगर अपने हित के लिए कर रहे है।

♦ पूनम गुप्ता जी – भोपाल, मध्य प्रदेश ♦

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  • “पूनम गुप्ता जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस लेख के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — सोशल मीडिया और इंटरनेट अगर हम सभी सही उपयोग करें थो फायदेमंद है वर्ना इसके नुकसान भी बहुत ज्यादा है, ख़ासकर आजकल के युवक व युवती पर इसका बहुत गलत प्रभाव पड़ा है। कुल मिलकर आधुनिकता में कुछ वरदान हमको मिले है समय की बचत के साथ नयी-नयी चीजें भी सीखने को मिल रही है, लेकिन इसका सकारात्मक उपयोग करें तभी। एक हद तो ठीक है इसका उपयोग अगर अपने हित के लिए कर रहे है। कुल मिलकर यदि सोशल मीडिया का उपयोग बच्चे सही तरीके से अच्छे कार्यों के लिए करे वह भी केवल जरूरत के हिसाब से निश्चित समय के लिए तो ठीक है व फायदेमंद है। एक संरक्षक होने के नाते यह भी याद रखे की – इसकी लत छात्रों में ज्यादा लगती है यह छात्रों को सबसे ज्यादा आकर्षित करता है। छात्रों की पढ़ाई, उनका जीवन सब दांव पर लग जाता है। वह पढ़ाई से मन चुराने लगते हैं। व्हाटस्एप्प, फेसबुक और इंस्टाग्राम छात्रों को सबसे ज्यादा भटकाता है। सोशल मीडिया जोखिम भी पैदा कर सकता है। आपके बच्चे के लिए, इन जोखिमों में शामिल हैं: अनुचित या परेशान करने वाली सामग्री, जैसे आक्रामक, हिंसक या यौन टिप्पणियों या छवियों के संपर्क में आना। अनुचित सामग्री अपलोड करना, जैसे शर्मनाक या उत्तेजक तस्वीरें या स्वयं या दूसरों के वीडियो।

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यह लेख (आधुनिकता वरदान या अभिशाप।) “पूनम गुप्ता जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख/कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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महाशिवरात्रि।

Kmsraj51 की कलम से…..

Mahashivratri | महाशिवरात्रि।

शिवजी की जटाओं में गंगा विराजती है,
भोले के त्रिशूल से पापों का नाश होता है।

चंदन, रोली, माला, दूध, बेलपत्र को,
शिव पर अर्पण करते है।
भांग, धतूरा, चढ़े शिवरात्रि पर,
दूध से अभिषेक होता है।

जब डमरू बजता महादेव,
सब नृत्य करने लगते है।
गले में सर्पो की माला,
तन पर मृग छाला है।

शिव अंग भभुति लगी,
सिर पर गंगा विराजी है।
शिव ही अनंत शिव ही अविनाशी है,
शिव ही दाता शिव ही कैलाशी है।

भक्तों के सब संकट हरते,
शिव ही महाकाल है।
शिव ही संहार करते,
शिव शक्ति का रूप है।
कोटि कोटि वंदन करूँ,
शिव ही तारणहार है।

♦ पूनम गुप्ता जी – भोपाल, मध्य प्रदेश ♦

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  • “पूनम गुप्ता जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — महाशिवरात्र‍ि भगवान भोलेनाथ की आराधना का ही पर्व है, जब धर्मप्रेमी लोग महादेव का विधि-विधान के साथ पूजन-अर्चन करते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इस दिन शिव मंदिरों में बड़ी संख्या में भक्तों की भीड़ उमड़ती है, जो शिव के दर्शन-पूजन कर खुद को सौभाग्यशाली मानते है। भक्तों के सब संकट हरते शिव ही महाकाल है। शिव ही संहार करते शिव शक्ति का रूप है। कोटि कोटि वंदन करूँ शिव ही तारणहार है।

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यह कविता (महाशिवरात्रि।) “पूनम गुप्ता जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख/कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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गंगा माँ।

Kmsraj51 की कलम से…..

Ganga Maa | गंगा माँ।

शिवजी की जटा से निकली मैं गंगा माँ हूँ,
जन जन का कल्याण करती जीवनदायिनी मैं हूँ।
पवित्र मन और निर्मल धारा की स्वामिनी मैं हूँ,
भागीरथ की तपस्या से बह्मा के कमंडल में आई,
शिवजी ने लिया जटाओं में मुझे सबको शीतल करती आई।

शिवजी ने जटाओं में लिया धरती पर उतारा,
आगे चलकर भागीरथी के नाम से कहलाई।
धारा मेरी बहती निरतंर सबके मन हर्षाई,
सबकी पुण्यदायनी मैं भीष्म की मां कहलाई,
भगवान विष्णु के चरण छूकर विष्णुपदी भी कहलाई।

पुजारी, ऋषि, मुनिगण सब मेरे तट पर पूजा करते,
मेरी तेज प्रवाह को कोई रोक नहीं पाया पतित पावनी कहलाई।
कल – कल बहती – बहती गंगोत्री तक आयी,
मनुष्य सब स्नान करते सबकी मैं गंगा मैया कहलाई,
सब मेरे जल को भरकर ले जाते मैं गंगाजल भी कहलाई।

मेरे जल को मंदिर और शिवालय में चढ़ाया जाता,
मेरे जल को मरणासन्न जीव के मुख में डाला जाता।
मैं मोक्षदायिनी भी कहलाती हूँ,
मेरे उर में कितने जीवों के शव डाले जाते।

फिर भी मैं शुद्ध और पवित्र रहती हूं,
स्नान करके सब पापों को धोते।
सबका उद्धार करती हूं।
सब करते मेरा वंदन और पूजा, गंगा माँ कहलाती हूँ।

♦ पूनम गुप्ता जी – भोपाल, मध्य प्रदेश ♦

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  • “पूनम गुप्ता जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — यदि गंगा न होती तो हमारे देश का एक महत्त्वपूर्ण भाग बंजर तथा रेगिस्तान होता। इसीलिए गंगा उत्तर भारत की सबसे पवित्र व महत्त्वपूर्ण नदी है। गंगा नदी भारतीय संस्कृति का भी अभिन्न अंग है। भारत के प्राचीन ग्रंथों; जैसे- वेद, पुराण, महाभारत इत्यादि में गंगा की पवित्रता का वर्णन है। माँ गंगा भगीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर शिव जी की जटा से होकर इस धरा पर आई जन – जन को पवित्र व निर्मल कर उद्धार करने। पुजारी, ऋषि, मुनिगण सब मेरे तट पर पूजा करते, मेरी तेज प्रवाह को कोई रोक नहीं पाया पतित पावनी कहलाई। मेरे जल को मंदिर और शिवालय में चढ़ाया जाता, मेरे जल को मरणासन्न जीव के मुख में डाला जाता। मैं मोक्षदायिनी भी कहलाती हूँ।

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यह कविता (गंगा माँ।) “पूनम गुप्ता जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख/कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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बदलता भारत।

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Badalta Bharat – बदलता भारत।

बदल गया भारत, देश बदल गया,
नया दौर आने से भारत बदल गया।
इंसान ही इंसान का दुश्मन बन गया,
जो विश्वास अपनों पर था वो मिट गया।

ऐसा मंजर आया, सब कुछ बदल गया,
झूठ का बोलवाला, सत्य का पतन हो गया।
बन गए अलग-अलग दल, अपनी राजनीति चला रहे है,
सत्ता की खातिर, एक दूसरे को नीचा दिखा रहे है।

देश प्रेम और सद्भावना तो कहाँ लुप्त हो रही है,
गुनाहों और अपराधों को सरेआम बढ़ावा दिया जा रही है।
दिन दहाड़े अपहरण, धोखाधड़ी,
बेटियों की इज्जत सरे आम लूटी जा रही है,
देखकर भी सभी मौन धारण किये हुए है।

तिरंगा की शान की खातिर कितने वीरों ने बलिदान दिया,
आज वही तिरंगा शर्म से सर को झुकाए हुए है।
आजादी की खातिर हमारे वीरों ने अपने प्राण गवाएं,
आज देख भारत की दुर्दशा देख कर आँखों में आँसू भर आएं।
इंसान अपने में इतना व्यस्त हो गया,
दूसरे को अनदेखा कर अपने में ही खो गया।

♦ पूनम गुप्ता जी – भोपाल, मध्य प्रदेश ♦

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  • “पूनम गुप्ता जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — चारो तरफ आज झूठ का बोलवाला है सत्य का पतन हो गया। सभी राजनीति दल, अपनी-अपनी राजनीति चला रहे है, गरीबो व निर्दोषों की ना सुने कोई, जनता मारी-मारी फिर चहु ओर। जिस देश प्रेम और सद्भावना के लिए वीरो ने अपना बलिदान दिया वो तो कहाँ लुप्त हो गया है, गुनाहों और अपराधों को सरेआम बढ़ावा दिया जा रही है अब। दिन दहाड़े अपहरण, धोखाधड़ी, बेटियों की इज्जत सरे आम लूटी जा रही है, देखकर भी सभी मौन धारण किये हुए है क्यों? इंसान ही इंसान का दुश्मन बन बैठा है आज, जो विश्वास था अपनों पर वो मिट गया है आज।

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यह कविता (बदलता भारत।) “पूनम गुप्ता जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख/कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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देश की मिट्टी।

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Desh ki Mitti – देश की मिट्टी।

मेरे देश मिट्टी में जन्में अनेक वीर जवान है।
कृष्ण, राम, तुलसी जैसे महापुरुषों की तपोभूमि है।

देश की मिट्टी में अनेक ऋषि, मुनियों ने जन्म लिया है।
सारी दुनियाँ में मेरा देश महान है।

सीता, सती, सावित्री ने इस धरा पर जन्म लिया।
देश की मिट्टी का तिलक लगाकर वीरों ने बलिदान दिया।

देश की मिट्टी की ख़ातिर सरहद पर बैठे सीना ताने है।
सीने पर गोली खाये दुश्मन के आगे सर न झुकाते है।

बैठे देश के रक्षक बनकर ऐसे वीरों को सलाम है।
देश की मिट्टी को महान वीर भगतसिंह।

सुभाष जैसे बलिदानियों ने अपने रक्त से सींचा है।
कल-कल करता नदियों का पानी इस मिट्टी की शान है।

वेद-पुराण, उपनिषद, गीता, रामायण,
और गुरुग्रथ साहिब मेरे देश का अभिमान है।

मेरे देश की मिट्टी पवित्र पावनी और महिमा अपरम्पार है।
देश की मिट्टी में मिला जन्म ये हमारा सौभाग्य है।

देश की मिट्टी गुण अनंत और अपार है।
देश की मिट्टी का हम करते वंदन बारम्बार है।

♦ पूनम गुप्ता जी – भोपाल, मध्य प्रदेश ♦

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  • “पूनम गुप्ता जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — मेरे देश मिट्टी में जन्में अनेक वीर जवान है। यह देवो की भूमि है, यह कृष्ण, राम, तुलसी जैसे महापुरुषों की तपोभूमि है। देश की मिट्टी में अनेक ऋषि, मुनियों ने जन्म लिया है, सारी दुनियाँ में मेरा देश महान है। माता सीता, सती, सावित्री ने इस धरा पर जन्म लिया। देश की मिट्टी का तिलक लगाकर सदैव वीरों ने बलिदान दिया है। वेद-पुराण, उपनिषद, गीता, रामायण, और गुरुग्रथ साहिब मेरे देश का अभिमान है। मेरे देश की मिट्टी पवित्र पावनी और इसकी महिमा अपरम्पार है, देश की मिट्टी में मिला जन्म ये हमारा सौभाग्य है। अपने देश की मिट्टी का हम तहे दिल से करते वंदन बारम्बार है।

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यह कविता (देश की मिट्टी।) “पूनम गुप्ता जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख/कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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लोहड़ी।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ लोहड़ी। ♦

Lohari

मौसम में बदलाव हुआ,
सर्दी से मिली थोड़ी राहत।
सूर्य देव ने बदली राह,
मिली उत्तरायण की सौगात।

मकरसंक्रांति का पर्व आया,
कहीं लोहड़ी के नाम से जाना जाता।
पोंगल कहलाता तमिलनाडु में,
खुशियों का त्यौहार आता।

पीले-पीले फूल खिले उपवन में,
बसंत ऋतु की बहार आयी।
उड़ती नभ में रंग बिरंगी पतंगे,
मन को आनंदित कर जाती।

सब लोक गीत मिल कर गाते,
तिल के व्यजनों का मजा उठाते।
प्रेम भाव से ये त्यौहार मनाते,
एकता का सबको सन्देश देते।

करते दान रेवड़ी, मूँगफली,
गरीबों को खाना खिलाते।
लकड़ी के उपलों के ढेर को,
जलाकर अग्नि के चारों ओर,
सब बीमारी को दूर भगाते।

♦ पूनम गुप्ता जी – भोपाल, मध्य प्रदेश ♦

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  • “पूनम गुप्ता जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस लेख के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — लोहड़ी का पर्व हर साल मकर संक्रांति से एक दिन पहले मनाया जाता है क्योंकि हर साल मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाती है इस प्रकार 13 जनवरी को लोहड़ी मनायी जाती है। ऐसा माना जाता है की उस समय से दिन छोटे और राते लम्बी होने लगती है। लोहरी के दिन सभी लोग नए नए कपडे पहनते है और खुशी मनाते है। इस दिन सभी लोग नाचते व गाते है। लोहड़ी की संध्या को आग जलाई जाती है । लोग अग्नि के चारो ओर चक्कर काटते हुए नाचते-गाते हैं व आग मे रेवड़ी, मूंगफली, खीर, मक्की के दानों की आहुति देते हैं । आग के चारो ओर बैठकर लोग आग सेंकते हैं। लोहड़ी भारत के प्रसिद्ध त्योहारों में से एक त्यौहार है। यह पंजाब का सबसे लोकप्रिय त्यौहार है जिसे पंजाबी धर्म के लोगो द्वारा प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है।

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यह लेख (लोहड़ी।) “पूनम गुप्ता जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख/कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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नव वर्ष।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ नव वर्ष। ♦

आओ हम सब…
नव वर्ष का स्वागत करते है।
नये सपनों के साथ नयी उम्मीदों,
को फिर से हम पूरा करते है।

बुरी सब यादे मिटाकर,
नव वर्ष में खुशियों की बौछार करते है।
नव वर्ष में हम अपनी मंजिल,
का आगज करते है।

समाज और देश के लिए,
कुछ परिवर्तन करते है।
सकारात्मक ऊर्जा का हम,
सबके मन में संचार करते है।

सब प्रेम, सम्मान, आदर एक दूसरे को,
देकर नयी मिसाल कायम करते है।
बुरे विचारों का त्याग कर,
नए विचारों का उदय करते है।

मानवता अपनाकर सभी,
के लिए दिल में सहयोग रखते है।
न हो किसी के प्रति भेदभाव,
बैर और कपट के भाव का त्याग करते है।

सबके मन में प्रेम, सद्भावना,
दया का भाव भरते है।
नयी उमंगों और नई आशाओं के,
साथ नव वर्ष का आगाज करते है।

सभी को माफ कर दिल से,
उन्हें प्यार से हम स्वीकार करते है।
घर के सभी बड़ों का सम्मान,
करने का हम प्रण करते है।

अपने पराएं का भेदभाव मिटाकर
सबको गले लगाएं।
पुरानी सारी बुरी यादों को,
भुलाकर नये गीत गाएं।

प्रकृति को न करें नष्ट,
बहुत सारे पेड़ लगाएं।
प्रकृति के महत्व को समझे,
दूसरों को भी समझाएं।

नव वर्ष लायेगा सबके,
जीवन प्रकाश ही प्रकाश है।
आओ हम सब मिलकर प्रेम से,
नववर्ष का स्वागत करते है।

आप सभी को तहे दिल से नव वर्ष की शुभकामनाएं।

♦ पूनम गुप्ता जी – भोपाल, मध्य प्रदेश ♦

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  • “पूनम गुप्ता जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — हम सब समाज और देश के लिए कुछ परिवर्तन करते है और सकारात्मक ऊर्जा का हम सबके मन में भरपूर संचार करते है। सब प्रेम, सम्मान, आदर एक दूसरे को देकर नयी मिसाल कायम करते है। बुरे विचारों का त्याग कर सच्चे मन से नए विचारों का उदय करते है। सच्चे दिल से मानवता अपनाकर सभी के लिए दिल में सहयोग का भाव रखते है। न हो किसी के प्रति भेदभाव मन में, बैर और कपट के भाव का अब त्याग करते है। सबके मन में प्रेम, सद्भावना, दया का भाव भरते है। नयी उमंगों और नई आशाओं के साथ नव वर्ष का आगाज करते है। घर के सभी बड़ों का व गुरुजनों का सम्मान करने का हम प्रण करते है। अपने पराएं का भेदभाव मिटाकर सबको गले लगाएं। पुरानी सारी बुरी यादों को भुलाकर नये गीत गाएं। और सबसे जरूरी बात प्रकृति को न करें नष्ट, सब मिलकर बहुत सारे पेड़ लगाएं। प्रकृति के महत्व को समझे,
    दूसरों को भी समझाएं।

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यह कविता (नव वर्ष।) “पूनम गुप्ता जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख/कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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गुरु गोबिंद सिंह जयंती।

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♦ गुरु गोबिंद सिंह जयंती। ♦

सिखों के दसवें गुरु गोबिंद सिंह का जन्म हिंदू पंचांग के अनुसार पौष मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को हुआ था। इस वर्ष शुक्ल सप्तमी 29 दिसंबर को है इस दिन सिख समुदाय के लोग गुरु गोबिंद सिंह जयंती मनाते हैं, गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म 22 दिसंबर 1666 को हुआ था, बिहार की राजधानी पटना के घर में हुआ था। उनके बचपन का नाम गोबिन्द राय था उनके पिता नौवें गुरु श्री तेग बहादुर जी कुछ समय बाद पंजाब वापस आ गए थे पटना के जिस घर में उनका जन्म हुआ उसमें उन्होंने 4 साल बिताए। गुरु गोबिंद सिंह जी बचपन से ही स्वाभिमानी और वीर थे, घोड़े की सवारी करना, हथियार पकड़ना, मित्रों की टोलियां एकत्रित करके युद्ध करना, शत्रु को हराने के लिए खेल में शामिल थे। उनकी बुद्धि काफी तेज थी, उन्होंने बहुत ही सरलता से हिंदी, संस्कृत, फारसी का ज्ञान प्राप्त किया था।

1670 में उनका परिवार पंजाब आ गया, हिमालय की शिवालिक पहाड़ियों में स्थित चक्क नानकी नामक स्थान पर रहने लगे चक्क नानकी ही आजकल आनंदपुर साहिब कहलाता है। यहीं से उनकी शिक्षा का प्रारंभ हुआ गोबिन्द राय जी नित्य प्रति आनंदपुर साहिब में आध्यात्मिक, निडरता का संदेश देते थे। गोबिन्द जी शांत और क्षमा और सहनशीलता की मूर्ति थे।

कश्मीरी पंडितों का जबरन धर्म परिवर्तन करके मुसलमान बनाए जाने के विरोध में गुरु तेग बहादुर जी आगे आए उस समय गुरु गोबिंद सिंह जी की उम्र 9 साल की थी। कश्मीरी पंडितों की फरियाद सुनकर उन्होंने जबरन धर्म परिवर्तन से बचाने के लिए स्वयं इस्लाम न स्वीकार न करने के कारण 11 नवंबर 1675 को औरंगजेब ने दिल्ली के चांदनी चौक में सार्वजनिक रूप से उनके पिता गुरु तेग बहादुर का सर कटवा दिया। इसके बाद वैशाखी के दिन 29 मार्च 1676 गुरु गोबिंद सिंह सिखों के दसवें गुरु घोषित हुए। गुरु बनने के बाद भी उनकी शिक्षा जारी रही, उन्होंने लिखना-पढ़ना, सवारी करना अनेक सैन्य कौशल सीखे।

1684 में उन्होंने चंडी दी वार की रचना की। गुरु गोबिंद सिंह जी जहां विश्व के बलिदानी परंपरा में अद्वितीय थे, वही वे एक महान लेखक, मौलिक चिंतक और संस्कृत व कई भाषाओं के ज्ञाता भी थे। उन्होंने स्वयं कई ग्रन्थों की रचना की है। विद्वानों के संरक्षक थे उनके दरबार में 52 कवियों के लिए उपस्थिति रहती थी। उन्हें “संत सिपाही” भी कहा जाता था उन्होंने हमेशा भाईचारा, एकता प्रेम को सबसे ज्यादा महत्व दिया।

गुरु गोबिंद सिंह जयंती सिखों के दसवें गुरु गोबिंद सिंह जी की याद में हर साल मनाई जाती है। इस दिन विश्व भर में गुरुद्वारा को सजाया जाता है लोग अरदास भजन, कीर्तन के साथ लोग गुरुद्वारे में मत्था टेकने भी जाते हैं। इस दिन नानक वाणी भी पढ़ी जाती है और लोक कल्याण के तमाम अनेक कार्य किए जाते हैं। सभी लोग गुरुद्वारा में गुरु गोबिंद सिंह जयंती का महाप्रसाद खाने जाते हैं। गुरु गोबिंद सिंह जी की 1708 में मृत्यु हो गई।

♦ पूनम गुप्ता जी – भोपाल, मध्य प्रदेश ♦

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  • “पूनम गुप्ता जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस लेख के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — गुरु गोबिंद सिंह जी जहां विश्व के बलिदानी परंपरा में अद्वितीय थे, वही वे एक महान लेखक, मौलिक चिंतक और संस्कृत व कई भाषाओं के ज्ञाता भी थे। उन्होंने स्वयं कई ग्रन्थों की रचना की है। विद्वानों के संरक्षक थे उनके दरबार में 52 कवियों के लिए उपस्थिति रहती थी। उन्हें “संत सिपाही” भी कहा जाता था उन्होंने हमेशा भाईचारा, एकता प्रेम को सबसे ज्यादा महत्व दिया।

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यह लेख (गुरु गोबिंद सिंह जयंती।) “पूनम गुप्ता जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख/कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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हमारे संस्कार हमारी धरोहर।

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♦ हमारे संस्कार हमारी धरोहर। ♦

हमारी संस्कार हमारी धरोहर ही हमारा गौरव है,
इससे ही हमारी पहचान और अस्तित्व है।

हमारे संस्कार ही हमारे आदर्श और गुणों की खान है,
रीत रिवाज और संस्कार ही परिवार की पहचान है।

नीति, धर्म, परोपकार ही हमारे झलकते संस्कार है,
बचपन से मृत्यु तक साथ संस्कार रहते है।

सभी पर्व, त्यौहारों पर पूवर्जों के बनायें नियम भी संस्कार है,
जिन्हें मिलते अच्छे संस्कार वो सबसे अच्छा इंसान है।

सोलह संस्कार, मानव के जीवन में होते है,
वैदिक हमारे संस्कार मृत्युपरान्त भी होते है।

संस्कार ही हमारी आन, बान और सम्मान है,
संस्कार ही सनातन धर्म का मूल आधार है।

ऋषि मुनियों के बनायें हुए हमारे संस्कार और नियम है,
जो हमको सिखाते सही राह पर चलना है।

संस्कार हमारे लिए शिरोधार्य और अमूल धरोहर है,
जो बने हमारे हित और भवसागर से तारने के लिए है।

ये पवित्र गंगाजल के समान और इनमें गुण बहुत सारे है,
हमारे संस्कार हमारी धरोहर विश्व की पहचान है।

♦ पूनम गुप्ता जी – भोपाल, मध्य प्रदेश ♦

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  • “पूनम गुप्ता जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — सनातन धर्म में संस्कारों का विशेष महत्व है। इनका उद्देश्य शरीर, मन और मस्तिष्क की शुद्धि और उनको बलवान करना है जिससे मनुष्य समाज में अपनी भूमिका आदर्श रूप मे निभा सके। संस्कार का अर्थ होता है-परिमार्जन-शुद्धीकरण। हमारे कार्य-व्यवहार, आचरण के पीछे हमारे संस्कार ही तो होते हैं। जन्म से लेकर मृत्यु तक व्यक्ति के सोलह (16) संस्कारों में शामिल हैं: गर्भाधान संस्कार, पुंसवन, सीमांतोयंत्रन, जातकर्म, नामकरण, निष्क्रमण, अन्नप्राशन, चूड़ाकर्म, कर्णवेध, विद्यारम्भ, उपनयन, वेदारम्भ, केशान्त, समावर्तन विवाह सरकार, अंत्येष्टि।

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यह कविता (हमारे संस्कार हमारी धरोहर।) “पूनम गुप्ता जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख/कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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