Kmsraj51 की कलम से…..
♦ कार्तिक पूर्णिमा स्नान। ♦
नमन इस महा जीवन दिवस को करें,
सत भक्ति भाव से, कार्तिक पूर्णिमा को।
हों ध्यानमय, महत्तर कार्य, इस लग्न में,
तन-मन, विवेक स्नात हों, करें प्रवेशसदा।
पवित्र देवनदी में……॥
मानव – व्यक्तित्व सदा श्रेयस है, धरा पर,
त्रिवेणी है, जहाँ ज्ञानमय, मनोमय, आत्म –
तत्त्व कोष, सदा अमर – कोष रूप रक्षित।
लें संकल्प, रहे सुरसरि शुद्ध सदानीरा॥
मनकोष, प्राणकोष, ज्ञानकोष सुरसरि का,
स्रोत है, सतत आरोग्य, ज्ञान, जीवन-मोक्ष का।
तरंगिणी यह श्लोक है, प्रकृति – रक्षण का,
करें शोध हम, इसकी परिशुद्धि हेतु जो॥
देवनदी रहें, मातृत्व – भाव स्नेहिल, निर्मल,
तो कृतिका पूजन से शिव होते हर्षित होंगे।
अभयदानी, वह विश्व – जन कल्याण के ध्यानी,
विचरें जटा बिच गंग – सलिल पूत॥
ज्ञान दीप आज का, देवनदी शुद्ध रहें,
अनंत काल रहें, वह मोक्षदा धरा हेतु।
सुरसरि-जल में मिलन हो जन-भक्ति,
भाव की वारि का, जो सत्य हो, ‘पुष्कर’
लक्ष्य ‘पद्मक-योग’……॥
♦ प्रो• मीरा भारती जी – पुणे, महाराष्ट्र ♦
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- “प्रो• मीरा भारती जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से बताने की कोशिश की है — बुरी शक्तियों पर दैवी शक्तियों को जीत जब मिलता है, उस जीत की खुशी में सभी देवतागण द्वारा जो दीपक जलाकर अपनी खुशी जाहिर की जाती है वही देव दीपावली का महापर्व कहलाया। आओ हमसब मिलकर इस देव दीपावली महापर्व को सच्चे मन से मनाए। इस दिन ध्यान साधना करे, सच्चे मन से। अपने मन को शांत रखने के लिए इस देव दीपावली पर देशी घी से यज्ञ करे पूर्ण शांत मन से। देव दीपावली पर पुरे दिन अच्छे व सच्चे मन से ध्यान – साधना में रत रहे। पूर्ण शांत मन से ध्यान करने से, आपके आत्मा की सुषुप्त शक्तियां जागृत होने लगती। आत्मा की सुषुप्त शक्तियां जिस भी मनुष्य की जागृत हो जाती है, उसके लिए हर कार्य आसान हो जाता हैं।
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यह कविता (कार्तिक पूर्णिमा स्नान।) “प्रो• मीरा भारती जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं से नई पीढ़ी को बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।
आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—
मेरा नाम मीरा भारती (मीरा मिश्रा/भारती) है। मैंने BRABU Muzaffarpur, Bihar, R.S College में प्राध्यापिका के रूप में 1979 से 2020 तक सक्रिय चिंतन और मनन, अध्यापन कार्य किया, आनलाइन शिक्षण कार्यक्रम से वर्तमान में भी जुड़ी हूं, मेरे द्वारा प्रशिक्षित बच्चे लेखनी का सुंदर उपयोग किया करते हैं। मैंने लगभग 130 कविताएं लिखी है, जिसमें अधिक प्रकाशित हैं, कई आलेख भी, लिखे हैं। दृढ़ संकल्प है, कि लेखन और अध्यापन से, अध्ययन के सामूहिक विस्तारण से समाज कल्याण – कार्य के कर्तृत्व बोध में वृद्धि हो सकती है। अधिक सकारात्मक परिणाम आ सकते हैं।
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