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काशी विश्वनाथ मंदिर के दर्शन

काशी विश्वनाथ मंदिर के प्रथम चरण का लोकार्पण।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ काशी विश्वनाथ मंदिर के प्रथम चरण का लोकार्पण। ♦

दिनांक 13 दिसंबर 2021

तीर्थ यात्रा की परंपरा में काशी का विशेष महत्व है। काशी का पृथ्वी से संबंध नहीं है यह उचित उच्चतर लोक मंगल कारक है। काशी त्रिपुरारी की राज्य नगरी है। काशी क्षेत्र हर युग में रहता है। इसकी वाह्य स्वरुप में बदलाव होता रहता है परंतु इसका अस्तित्व हमेशा बना रहता है। इसका स्वरुप सतयुग में त्रिशूल आकार का, त्रेता युग में चंद्राकार का, द्वापर युग में रथ के आकार और कलयुग में शंख आकार रहता है। काशी गंगा के तट पर अवस्थित है। गंगा काशी विश्वनाथ धाम में उत्तर वाहिनी बहती चली आ रही है। गंगा प्राण वायु प्रदायनी हैं। भू-लोक पर जीव को जीवन दान देती हैं। गंगा प्राणियों का आश्रय दाता है। गंगा को धरती पर अपरा भी कहा जाता है। गंगा स्नान से स्वर्ग से धरा पर अवतरित माँ देवी गंगा मनुष्य जीव को पुण्य प्रदान करती हैं।

काशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण दिनांक 13 दिसंबर को मान्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कर कमलों से होने वाला है। इस आयोजन को भव्य काशी और दिव्य काशी के आयोजन स्वरूप किया गया है। इस अवसर पर विद्यालय में रंगोली, पेंटिंग, और प्रतियोगिताओं का आयोजन होगा।

इस मौके पर 1 दिसंबर से 10 दिसंबर तक जिले में अनेक क्षेत्रों में विविध रूप से सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया जा रहा है।

काशी विश्वनाथ धाम की परियोजनाएं

  • काशी विश्वनाथ मंदिर क्षेत्र का विस्तारीकरण। 
  • काशी हिंदू विश्वविद्यालय में चिकित्सकों और नर्सों के लिए हॉस्टल तथा धर्मशाला।
  • रमना, वाराणसी में 50 एम एल डी छमता का एस टी पी।
  • शहर में विभिन्न स्थानों पर सी सी टी वी कैमरा स्टालेशन और बनिया बार-बार का जीर्णोद्धार व वाहन पार्किंग।
  • काशी हिंदू विश्वविद्यालय हॉस्पिटल में आई यू सी टी ई भव्य।
  • काशी हिंदू विश्वविद्यालय में ही जोधपुर कालोनी व 80 फ्लैट। खिडकिया घाट का जीर्णोद्धार।
  • इसी के साथ कई वार्ड उनका विकास कार्य भी शामिल है।

स्मार्ट सिटी में वार्डों का विकास

  • गढ़वाली टोला वार्ड का विकास।
  • काल भैरव वार्ड का विकास।
  • कामेश्वर महादेव वार्ड का विकास।
  • राज मंदिर वार्ड का विकास।
  • जगबाडी वार्ड का विकास।
  • दशाश्वमेध वार्ड का विकास।

काशी विश्वनाथ धाम के आसपास के वार्डों का सौंदर्यीकरण का काम किया गया।

लोकार्पण के पहले शहर रंग रोगन

काशी विश्वनाथ धाम के प्रथम चरण के लोकार्पण के पहले गोदौलिआ से मैदागिन तक बनी हुई सड़क किनारे के भवनों को एक रंग में रंगने का काम किया।

संस्कृति विभाग की तरफ से आयोजित कार्यक्रम

  • बड़ा गणेश, सुनारपूरा लोटिया, 1 दिसंबर।
  • विष्णु मंदिर ललिता घाट और बृहस्पति मंदिर दशाश्वमेध घाट, 2 दिसंबर।
  • शीतला मंदिर शीतला घाट, और शैलपुत्री देवी, सरैया, 3 दिसंबर।
  • राम मंदिर खोजवा और राम मंदिर चौक से 4 दिसंबर।
  • बटुक भैरव कमच्छा और काल भैरव 5 दिसंबर।
  • मृत्युंजय महादेव मंदिर धारा नगर वह केदारनाथ मंदिर केदार घाट 6 दिसंबर।
  • बनकटी हनुमान मंदिर आनंद पार्क कौड़िया माई मंदिर कबीर नगर, 7 दिसंबर।
  • गोपाल मंदिर चौक खंभा और संकटा मंदिर चौक, 8 दिसंबर।
  • कामेश्वर महादेव मंदिर, कंदवा, और गैबी ए एकदिवसीय श्वरमंदिर छोटी गैवी, 9 दिसंबर।
  • अन्नपूर्णा मंदिर विश्वनाथ धाम और आदि केश्वरमंदिर राजघाट, 10 दिसंबर।
  • 11 दिसंबर को दुर्गा कुंड स्थित दुर्गा मंदिर में और संकट मोचन में भव्य भजन कीर्तन का कार्यक्रम समय 5:00 बजे से 7:00 बजे सायंकाल (शाम) में तय किया गया है।

लोकार्पण समारोह में — अनेक विचारधाराओं का समावेश।

13 दिसंबर 2021 ई. श्री काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण समारोह में देश की संपूर्ण सांस्कृतिक परंपरा और अनेक विचारधाराओं का समावेश होगा। काशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण समारोह इतिहास का पहला ओ अवसर कहा जाएगा। जिसमें सनातन परंपरा के सभी धारा के संतों की मौजूदगी होगी। काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के अवसर पर राष्ट्रीय सांस्कृतिक एकता का संदेश पूरे विश्व को दिया जाएगा। यह भी एक कुंभ का आयोजन है यद्यपि हरिद्वार, प्रयाग, नाशिक में लगने वाले कुंभ में भी सनातन धर्म की सभी धारा के साधु संत और आम जनता इकट्ठा होती है। काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण में सनातन धर्म के सभी संप्रदाय और परंपरा के अनुयाई उपस्थित रहेंगे। इस कार्यक्रम में दक्षिण की परंपरा के वीर शैव और लिंगायत भी अपनी उपस्थिति दर्ज करेंगे।

शिक्षा विभाग की तरफ से कार्यक्रम

दिसंबर मास में 1 दिसंबर से वाराणसी नगर के विद्यालय भी विविध कार्यक्रमों का आयोजन करेंगे। इन कार्यक्रमों में सांस्कृतिक कार्यक्रम, पेंटिंग का कार्यक्रम, प्रतियोगिता, नुक्कड नाटक, रंगोली प्रतियोगिता, निबंध प्रतियोगिता, चित्रकला, अंताक्षरी, चौपाई का श्लोक आदि प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएगी।

आजादी के अमृत महोत्सव के तहत

आजादी के अमृत महोत्सव के तहत शहर – नगर के विद्यालयों में अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। बाबा की धाम दिव्यांगों – बुजुर्गों के आने की व्यवस्था, श्री काशी विश्वनाथ धाम लोकार्पण के दौरान बुजुर्ग श्रद्धालुओं और विज्ञान कार्यक्रम स्थल पर पहुंचने के लिए विशेष प्रबंध किया गया। प्रवेश द्वार से लेकर निकास द्वार तक विशेष रैंप स्कलेटर बनाए गए। सुविधाओं को गंगा घाट, छत्ता द्वार, ढुंढ राज गणेश और नील कंठ द्वार से आने वाले सभी दिव्य गौर बुजुर्ग श्रद्धालुओं को बिना किसी प्रकार की परेशानी के बाबा विश्वनाथ जी का दर्शन करेंगे। जला सेन घाट से भी बाबा विश्वनाथ धाम में प्रवेश करने के लिए बुजुर्ग श्रद्धालु और दिव्यांग जनों के लिए विशेष व्यवस्था की गई है।

व्हील चेयर व ई-रिक्शा की निशुल्क व्यवस्था

बाबा विश्वनाथ मंदिर प्रशासन की ओर से निशुल्क ई-रिक्शा और व्हील चेयर का इंतजाम किया गया है। बाबा धाम के मुख्य कार्यपालक अधिकारी के अनुसार बाबा के दर्शन के लिए आने वाले दिव्यांग – बुजुर्ग श्रद्धालुओं को मंदिर में सभी सुविधाएं प्रदान की जाएगी।

श्री काशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण रवि योग और महासिद्धि योग के संजोग में, गणेश अथर्व शीर्ष और श्लोक के पाठ के बीच काशी विश्वनाथ धाम में उपस्थित होकर भारती प्रधानमंत्री मोदी जी लोकार्पण करेंगे। इस लोकार्पण के बाद गंगा की धारा से 5, 27, 730 वर्ग फीट तक का क्षेत्रफल श्रद्धालु के लिए आम हो जाएगा।

श्री काशी विगत परिषद के निर्देशानुसार संपूर्ण अनुष्ठान श्री राम जन्म भूमि पूजन की तरह ही जिम्मेदारी के साथ की जाएगी। इस अनुष्ठान को काशी के विद्वान कर्मकांडी ब्राह्मण ही संपन्न कराएंगे। कार्यक्रम का सीधा प्रसारण किया जाएगा जो समस्त सनातन धर्मावलंबियों, साधु – संतों तथा आम जनता के लिए सुलभ होगा। भारत की सांस्कृतिक राजधानी काशी बनारस में बाबा विश्वनाथ जी देवताओं के आगमन की प्रसन्न मुद्रा में होते हैं और लोग कल्याण के लिए दुनियां के भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं। काशी विश्वनाथ धाम अपने आज कालीन इतिहास का गवाह बना।

सारे अतिक्रमण साफ हो जाने के बाद श्री बाबा विश्वनाथ धाम की मणिमालाएं लोग कल्याण के लिए बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। आने वाले दर्शनार्थियों को सहज रुप से काशी विश्वनाथ धाम में काशी पुराधीपती के साथ शिव कचहरी, काशी खंडोक्त मंदिर के साथ 178 विग्रह के दर्शन का भी लाभ मिलेगा।

शिव भक्तों की सड़क किनारे नहीं लगेगी कतार –
काशी विश्वनाथ धाम ऐसा होगा प्रकार,
सड़क किनारे नहीं लगेगी अब कतार।
पौराणिक मान्यता युक्त पूर्ण रूप धाम,
शिवरात्रि और सावन भक्तों को महान॥

लाखों भक्त के एक साथ दर्शन विधान,
काशी में शिव लगाये जाम पर लगाम।
सुविधाओं का विशेष रखा गया ध्यान,
बाबा चौक का लोग करेंगे गुणगान।
शिव शोभा निरख निरख किया गान।
बाबा गणों संग करेंगे जगत कल्याण॥

चलो काशी चलें अभियान

बनारस की छवि बढ़ाएगा बाबा विश्वनाथ धाम, महीनों का होगा पूरे शहर में आयोजन। 13 दिसंबर को पहले चरण का होगा लोकार्पण, आगे की सभी कार्यक्रम में वर्चुअल शामिल होंगे पी एम। काशी पुराधिपति के दरबार का भव्य होगा लोकार्पण।

आओ चलें काशी विश्वनाथ धाम,
करें शिव शंकर जी का ध्यान।
सूने घर में जलने वाले दीपक की लौ सा ना जलो,
चलो काशी विश्वनाथ मंदिर धाम लोकार्पण करें।
जलो तो ऐसे जलो की दुनियां को खुशहाल करो,
सत्संग से मिले सुख के रम्य में रमण हों प्रकाशित करें॥

देव दीपावली की तर्ज पर दुनिया देखेगी लाइव लोकार्पण। काशी के सिवालय सजेंगे, विश्वनाथ दरबार में उस समय प्रधानमंत्री रहेंगे। सभी सरकारी भवनों को सजाया जाएगा, तैंतीस कोटि देवी देवताओं को मनाया जाएगा। देव लोक जैसे पुष्प वर्षाया जाएगा, सामाजिक, सांस्कृतिक कार्यक्रम में कलाकारों को लाया जाएगा। काशी में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा, काशी के पुनरोद्धार की जानकारी जन-जन तक पहुंचाएगी।

सांस्कृतिक आयोजन 13 दिसंबर से 12 जनवरी तक चलेगा। सोलह दिसंबर को उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्रियों को काशी में बुलाया जाएगा, प्रस्तावित कार्यक्रम पर मंत्रिमंडल विचार विमर्श करेगी। विश्वनाथ धाम के लोकार्पण को भव्य स्वरुप दिया जाएगा। काशी का भव्य, दिव्य, तेज, स्वरूप इतिहास बताने के लिए 100-100 पुरुष सौ – सौ महिलाओं को वालंटियर बनाया जाएगा। वालंटियर टीम को प्रशिक्षित किया जाएगा। काशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण देश की प्रमुख संग क्योंकि उपस्थित में किया जाएगा। काशी विश्वनाथ कारीडोर में 19 भवन बनकर तैयार के संचालन की रुपरेखा तैयार की जाएगी। इस भवन में 14 जनवरी से सांस्कृतिक कार्यक्रम सहित अन्य कार्यक्रमों की श्रृंखला का आयोजन किया जाएगा।

मनुष्य भोग विलास और कामनाओं में अपने जीवन की आहुति दे देता है। इस जन्म में जिन भोग को भोग रहे हैं पिछले जन्म में ही उसे भोगा था अगले जन्म में भी उन्हें ही भोगेंगे। क्या हमारा जन्म इसलिए हुआ है। हमें उन जो पुरुष पर्वत की गुफाओं में बैठकर परम ज्योति का ध्यान करते हैं उनके आनंदाश्रुओं को पखेरू उनकी गोद में बैठ कर निर्भयता के साथ पीते हैं। हमें भगवान शंकर जो 14 भुवनों के स्वामी ब्रहमांड को अपने उदर में धारण करने वाले विष्णु, उनके सरण में जाने की आवश्यकता है।

एक रचना प्रस्तुत

भौतिकता का सुख तो क्षणभंगुर है,
संसार में सुंदरता की कमी नहीं है।
गर तुझे भवसागर से पार उतरना है,
वेद – स्मृति और पुराण ही पढ़ना है।

काशी विश्वनाथ कॉरिडोर में लगे पत्थर

सात प्रकार की पत्थरों से पूरे मंदिर परिसर को संवारा सजाया गया है। जिसमें बालेश्वर स्टोन, मकराना मार्बल, कोटा ग्रे नाईट और मेडोना स्टोन का इस्तेमाल प्रमुख रुप से अधिक किया गया है।

कार्यक्रम के लिए योगी आदित्यनाथ के निर्देश

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने तीन दिवस के कार्यक्रम पर मोहर लगा दिया। इस मौके पर 12, 13 व 14 दिसंबर 2021 को पूरा काशी शहर रंगीन रोशनी से नहाएगा। रोशनी की सजावट गली से लेकर घाटो तक दिखेगी। इस कार्यक्रम को भव्य और दिव्य काशी का आयोजन बनाने के लिए अधिकारियों ने डिजिटल मैप तैयार कर लिया।

श्री काशी विश्वनाथ कॉरिडोर लोकार्पण के दौरान तक काशी में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होता रहेगा। इसलिए चित्त! अब तू मोह को छोड़ और शीश पर अर्ध चंद्र धारण करने वाले भगवान शिव का ध्यान कर और चलकर गंगा के तट पर वृक्षों की छाया में विश्राम कर। जो मनुष्य ईश्वर के ध्यान में हैं, जिसे खाने-पीने, सोने पहनने-ओढ़ने की कोई चिंता नहीं होती है। जिनके मन में परम शांति का निवास होता है ऐसे व्यक्ति के लिए त्रिलोकी का राज भी तुच्छ लगता है।

एक रचना प्रस्तुत

जो मनुष्य सदाशिव की भक्ति में लीन रहते हैं,
जन्म – मरण का भय उनके हृदय ना बसते हैं।
मनोरथ पूर्ण करने वाली लक्ष्मी मिलती हैं,
परमपिता परमात्मा की अनुकंपा होती है।

काशी विश्वनाथ मंदिर सहित क्षेत्र के सत्तरह मंदिर जिसमें शामिल हैं उनमें से, जिसके प्रथम चरण का लोकार्पण 13 दिसंबर 2021 को शुभ मुहूर्तं में माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के करकमलों द्वारा रवि योग में संपन्न होगा।

दूसरे चरण में धाम के शेष आठ मंदिरों के संरक्षण का काम किया जाना है। इस लोकार्पण समारोह के अनुष्ठान के मुख्य यजमान होंगे माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी। इससे पहले प्रधानमंत्री गंगाजल माँ गंगा जी से लाकर बाबा विश्वनाथ जी का अभिषेक करेंगे।

काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण को विश्वव्यापी बनाने की तैयारी चल रही है। इस समारोह में शैव संप्रदाय के पीठाधीश्वरों को भी आमंत्रित किया जाना है। जिसमें कर्नाटक के लिंगायत, वीरशैव और तमिलनाडु के अधिनाम सहित उत्तर के सभी क्षेत्रों के संतों को शामिल करने की तैयारी की गई।

संत समाज को बाबा धाम में आने का निमंत्रण

महत्वपूर्ण, प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी योजना काशी विश्वनाथ धाम को साकार करने के लिए होने वाले लोकार्पण के अवसर पर देश के अनेक क्षेत्रों से संत समाज को बाबा धाम में आने के लिए प्रधानमंत्री जी ने बाबा विश्वनाथ की तरफ से आमंत्रित किया।

इस लोकार्पण के अवसर पर संतो की उपस्थिति के लिए 25,000 संतो को काशी विश्वनाथ की पाती दी जानी है, जो संतो की थाती होगी। इस पाती के माध्यम से 13 दिसंबर 21 ई. को होने वाले लोकार्पण की जानकारी संतो के माध्यम से भव्य बाबा धाम का प्रचार, अपने अनुयायियों के बीच काशी आने का निमंत्रण, अनुयायियों के लिए भी दिया जा रहा है।

बाबा आदि विश्वेश्वर की स्थापना

काशी बनारस की गलियों में विराजमान आज विशेश्वर के 50 हजार वर्ग मीटर से ज्यादा में भव्य दरबार स्थापित किया जाना है जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की पहल पर परिकल्पना की गई है।

संतो को भी जाने वाली पाती में लगभग 300 से ज्यादा भवनाें के अधिग्रहण और उसके लिए किए गए संघर्ष के साथ ही महादेव के दरबार का निर्माण पूरा करने तक की कहानी लिखी गई है। प्रधानमंत्री ने संत समाज को 13 दिसंबर से लेकर 12 जनवरी तक चलने वाले आयोजन की भी पूरी जानकारी होगी। पूरा प्रयास किया जा रहा है कि यह पाती सभी मठ मंदिर और संन्यासी तक पहुंचने का प्रयास किया गया है।

बाबा विश्वनाथ मंदिर का प्राचीन वैभव लौटा

काशी के बाबा विश्वनाथ जी के मंदिर की दीवारों पर सन 2008 में तत्कालीन एक वरिष्ठ अधिकारी की मनमानी की वजह से एनामेल पेंट से पेंट कर दिया गया था। जिसका उस समय संत व आम जनता द्वारा विरोध किया गया था। 12 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद बाबा के मंदिर की दीवारों को संरक्षित करने की कवायद शुरू हो चुकी है। लोगों को उम्मीद है कि काशी विश्वनाथ मंदिर के प्रथम चरण के लोकार्पण के पूर्व ही पेंट को हटाकर दीवार को संरक्षित और सुशोभित कर दिया जाएगा।

इनामेल पेंट की पुताई की वजह से मंदिर के गर्भ गृह में लगे पत्थरों का क्षरण हो रहा था। दीवार में लगे चुनार के पत्थर खराब हो रहे थे। वाराणसी के मंडलायुक्त के अनुसार बाबा विश्वनाथ के मंदिर के जीर्णोद्धार और संरक्षण का काम किया जा रहा है। वाराणसी घर की सफाई का काम भी हो रहा है इस काम के लिए टाटा को लगाया गया है। उम्मीद है काशी विश्वनाथ मंदिर का प्राचीन वैभव लौटेगा। मंदिर के काम के लिए तत्परता, तनमयता त्याग, युद्ध स्तर पर काम करने की कोशिश की गई है।

बाबा विश्वनाथ मंदिर की दीवारों से एनामेल पेंट हटाने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, राष्ट्रीय सांस्कृतिक संपदा संरक्षण अनुसंधान साला, तथा आई आई टी रुड़की की मदद ली गई, अनेक व्यवधानाें के उपरांत सन 2019 में iit रुड़की द्वारा मंदिर की दीवारों के संरक्षण के लिए काम शुरु किया लेकिन कुछ तकनीकी कारणों से काम पूरा नहीं हो सका था। परंतु मंडलायुक्त वाराणसी के कथन अनुसार टाटा द्वारा कार्य पूरा किया जा सकेगा।

लोगों के दिलों में यह प्रश्न उठ रहे हैं कि आखिरकार माननीय प्रधानमंत्री जी मार्ग शीर्ष मास में और वह भी दिसंबर को काशी विश्वनाथ मंदिर धाम के प्रथम चरण का लोकार्पण का दिन क्यों चुना है। यह शुभ कार्य किसी और दिन भी किया जा सकता था। तो आपको बताना चाहेंगे जी कि मार्ग शीर्ष मास को अगहन मास के रूप में जाना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार सभी हिंदू महीनों का अपना विशेष महत्व है, परंतु उनमें से मार्गशीर्ष मास धार्मिक दृष्टि से पवित्र माना जाता है। गीता में भगवान ने कहा है कि— मासानाम मार्ग शीर्यो यम॥

मार्गशीर्ष मास की प्रमुख विशेषताएं

  • सतयुग में देवो अगहन मास (मार्गशीर्ष मास) की प्रथम तिथि के दिन नया साल आरंभ किया।
  • कश्यप ऋषि द्वारा इसी दिन मन भावन, मनु हारी, सुंदर, सुखजीत, कश्मीर की रचना की थी।
  • मान्यता है जो के अनुसार सीमा स्नेह भगवान श्री राम और सीता जी का स्वयंवर रचा गया था।
  • मार्गशीर्ष मास में भगवान शिव और माता पार्वती का मिलन हुआ था ऐसी मान्यता है।
  • अगहन मास में पूर्णिमा को दत्तात्रेय की जन्म जयंती मनाई जाती है।
  • इसी मास में पूर्णिमा को चंद्रमा की पूजा की जाती है जिसका विशेष फल मिलता है।
  • मार्ग शीर्ष मास में विष्णु सहस्त्रनाम, भागवत गीता और गजेंद्र मोक्ष का पाठ करने से विशेष लाभ मिलता है।
  • मार्गशीर्ष मास में ‘ओम दामोदराय नमः’ से गुरु और इस देव को प्रणाम करने से जीवन के अवरोध कष्ट दूर होते हैं।
  • मार्ग शीर्ष मास में भागवत ग्रंथ को देखने की विशेष महिमा है।अपने घर में भागवत को प्रणाम करना चाहिए।
  • मार्ग शीर्ष मास श्री कृष्ण का रूप माना गया है। भगवान श्री कृष्ण की पूजा कई रूपों में इस मास का पूजन करना फलदाई होता है।
  • मार्ग शीर्ष मास में शंख में तीर्थ स्थानों का जल भरकर पूजा स्थल पर मंत्र पढ़ते हुए देवताओं के ऊपर घुमाकर जल को दीवाल पर छिड़कने से घर की शुद्धि होती है, मन को शांति मिलती है और घर के लोगों को लाभ होता है। कष्ट निवारक है, कष्टाें से छुटकारा मिलता है।

रवि योग की महत्ता

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार रवि योग शुद्ध शुभ कामना प्रदान करने वाला होता है। रवि योग योगिनी सूर्य की अभीष्ट सिद्धि, कृपा होने के कारण, समस्त कार्य पूर्ति करने वाला होता है। अनिष्ट को दूर करने वाला, निर्विघ्नं कार्य करने वाला, समस्त संकटों से सीधे तौर पर बचाने वाला, शुभ फल प्रदान करने वाला रवि योग है।

अगहन मास – मार्गशीर्ष मास क्यों कहलाता है?

इस मास में भगवान श्री कृष्ण की पूजा अर्चना अनेक रूपों में अनेक नाम से उसकी की जाती है इन्हीं रूपों में से एक रुप मार्ग शीर्ष श्री कृष्ण का ही रूप है।

प्राचीन मंदिर काशी विश्वनाथ धाम का शुभ लोकार्पण

13 दिसंबर को अद्वितीय अद्भुत भाग्यश्री काशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण समारोह में शामिल होकर भारत के प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र दामोदरदास मोदी जी अगहन मास की दशमी तिथि को रवि योग में दिवस सोमवार को महा शिव जी योग समूह दोषों को नष्ट करने वाले समय में विद्युत समाज और संतो के बीच, सारे दोष से निवारक योग में, सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाले योग में, शिव का प्रिय काशी नगरी में, गंगा की धारा के किनारे स्थित, प्राचीन मंदिर काशी विश्वनाथ धाम का, शुभ लोकार्पण, समारोह में, प्रधानमंत्री जी करेंगे। जो देश हित में है। संसार का कल्याण करने वाला समय है।

शिव नगरी काशी में सिय – पिय मिलन उत्सव

प्राचीन नगरी काशी, अविनाशी नगरी काशी, मोक्ष प्राप्त करने वाली नगरी में श्री राम के आराध्य शिव की नगरी में, प्राचीन विद्यालय तत्कालीन संपूर्णानंद विश्वविद्यालय में, बाबा विश्वनाथ की ओर से आयोजित महोत्सव की शुरुवात 1 दिसंबर से 9 दिसंबर तक शंभू आनंद संस्कृत विश्वविद्यालय प्रांगण में सीताराम विवाह महोत्सव का आयोजन आयोजित किया गया है।

सूचनानुसार कार्यक्रम की रूपरेखा

  • श्री गौरी शंकर भगवान विवाह लीला, 1 दिसंबर 2021 की।
  • जय विजय लीला, 2 दिसंबर।
  • राम जन्म और बाल लीला, 3 दिसंबर।
  • सीता जी का जन्म, विश्वामित्र से अहिल्या उद्धार की लीला, 4 दिसंबर।
  • जनकपुर प्रवेश एवं नगर दर्शन की लीला, 5 दिसंबर।
  • सिय – पिय मिलन फुलवारी और धनुष यज्ञ, 6 दिसंबर।
  • हल्दी मटकोर व राम बारात शोभायात्रा, 7 दिसंबर।
  • सीताराम विवाह, 8 दिसंबर।
  • राम कलेवा का आयोजन।
  • भागवत कथा का अमृत पान।

अवि मुक्त काशी

भगवान शिव ही प्राणियों के सृष्टि कर्ता संचालक तथा संघार करता है। क्योंकि जिसकी दृष्टि मात्र से ही प्रकृति शैवीयाे गई तथा सृष्टि के समय तक व्यक्त सभा वाली यह प्रकृति गुणों से युक्त हो गई। विश्व उद्धार करने वाली यह शक्ति अतिथि अजा नाम से विख्यात है। शिव कल्याण रूप, आनंद मय अनंत अनादि और ज्ञान के ध्येय हैं । वह पार्वती जी से खुद कहते हैं कि … हम तुम दोनों का अभिन्न तेज जो है वही अवि मुक्त काशी है। ज्योतिर्लिंग तू हो और लिंगवान महेश्वर मै हूं। इसी को जागृत रूप काशी कहा गया है। अवि का अर्थ पाप है। और जो पाप मुक्त क्षेत्र है वह अविमुक्त नाम से प्रसिद्ध है। वही काशी है।

स्कन्द पुराण के अनुसार

काशी का पृथ्वी से संबंध नहीं है, यह स्वाइन उचित उच्चतर लोक है। यह क्षेत्र मोक्ष दायनी है। काशी त्रिपुरारि की कृपा की राज नगरी है। मोक्ष कामी सन्यासी भी अविमुक्त क्षेत्र का सेवन करते हैं। इस क्षेत्र में रहने वाला पापी भी नरक में नहीं जाता है। लेकिन जानबूझकर पाप करने वाले को शिव शंकर माफ नहीं करते हैं।

विश्वनाथ मंदिर में दर्शनार्थियों के लिए एक श्लोक

माता तु पार्वती देवी पिता देव महेश्वर:।
बांधवा: शिव भक्ताष्च स्वदेशो भुवन त्रयम॥

कहने का तात्पर्य है कि काशी होने की कश्ती कसौटी है। यदि काशी में हो तो अपने को सीमित दायरे से बाहर निकालो। केवल अपनी माता को ही माता ना मानो अपितु सारी स्त्रियों को माता मानो, धूप पार्वती स्वरुप करुणा की देवी हैं। सारे पुरुषों को पिता मानो, जो अपने आचरण से तुम्हें अनुशासित करते हैं, वह सब महेश्वर हैं। जो लोक को धारण करने वाले हैं। लोक मंगल में लगे हुए हैं। ये ही हमारे भाई बंधु हैं।

यदि ऐसा हुआ तो तुम्हारा व्यक्तित्व पृथ्वी और पाताल लोक पर ही नहीं परलोक तक चमकने वाला, छा जाने वाला होगा। तभी तो तुम असली काशी वासी बनोगे। मान्यता और पुराणों के अनुसार शिव जी ने कई युगों में अपने इस विस्तृत काशी के स्वरुप की प्रदक्षिणा की है। इसलिए कल्याण के निमित्त काशी की पवित्र भूमि की प्रदक्षिणा करने वाली है। भव्य दिव्य नगर काशी को बारंबार प्रणाम। भगवान श्री राम के इष्ट शिव शंकर को मेरा सादर प्रणाम। भगवान शंकर की प्रिय श्री राम, लखन भरत शत्रुघ्न सहित माता सीता जी को सादर प्रणाम करता हूं।

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

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— Conclusion —

  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस लेख में समझाने की कोशिश की है — विश्व उद्धार करने वाली यह शक्ति अतिथि अजा नाम से विख्यात है। शिव कल्याण रूप, आनंद मय अनंत अनादि और ज्ञान के ध्येय हैं । वह पार्वती जी से खुद कहते हैं कि … हम तुम दोनों का अभिन्न तेज जो है वही अवि मुक्त काशी है। ज्योतिर्लिंग तू हो और लिंगवान महेश्वर मै हूं। इसी को जागृत रूप काशी कहा गया है। अवि का अर्थ पाप है। और जो पाप मुक्त क्षेत्र है वह अविमुक्त नाम से प्रसिद्ध है। वही काशी है।

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यह लेख (काशी विश्वनाथ मंदिर के प्रथम चरण का लोकार्पण।) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें, व्यंग्य / लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से।

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ज़रूर पढ़ें — प्रातः उठ हरि हर को भज।

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जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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