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खूबसूरत वादियां शायरी

मैं हिमाचल हूं।

Kmsraj51 की कलम से…..

Main Himachal Hoon | मैं हिमाचल हूं।

मैं हिमाचल हूं,
हिमालय का सरताज हूं।
मैं टूटूंगा नहीं,
कितनी भी मुसीबत,
आ जाए मुझ पर,
मैं झुकूंगा नहीं।

मैं हिमाचल हूं…….
आखिर कितना खोखला करोगे मुझे,
कितनी मेरी अंतरात्मा को कटोचोगे,
कितने जख्म दोगे मुझे,
सब सहन करके फिर उठूंगा मैं।

मैं हिमाचल हूं…….
शिमला मनाली को
कितना कंक्रीट बनाओगे,
पैसों के चक्कर में
खुद को ही नुकसान पहुंचाओगे,
क्यूं कुदरत को बेबस कराते हो,
पर्यावरण का नुकसान कराते हो,
भोली भाली जनता के,
आशियानों को क्यों उजड़वाते हो,
मानव तुम अपनी,
करतूत से क्यों बाज़ नही आते हो,
अपने इस हिमाचल में,
फिर कैसे तुम सभ्य मानव कहलाते हो?

मैं हिमाचल हूं…….
हिमालय का सरताज हूं।
सब लोगों के प्यार का मोहताज हूं,
अपनी अनूठी प्राकृतिक छठा के लिए,
जाना जाता बेबाक हूं।

मैं हिमाचल हूं…….
मैं झुकूंगा नहीं।
अगर किसी ने मुझको बेवजह कुरेदा,
तो मैं विनाश करने से रुकूंगा नहीं।

मैं हिमाचल हूं…….
मैं शिव के सिर का ताज़ हूं।
अगर कोई मेरा सिंहासन डोलेगा,
तो फिर मानव त्राहिमाम त्राहिमाम बोलेगा।
चाहे हो फिर शिमला की शिवबौड़ी,
या मंडी का पंचवक्तावर,
अपने पास से तांडव रचाऊंगा।
पानी से ऐसी गंगा बहाऊंगा,
सारी सृष्टि को साथ ले जाऊंगा।

मैं हिमाचल हूं…….
मैं झुकूंगा नहीं।
मैं रुकूंगा नही,
मैं ठार नही ठानूंगा।
मैं रार नही मानूंगा,
हिम का मैं आंचल हूं,
मैं हिमाचल हूं।

♦ लेफ्टिनेंट (डॉ•) जयचंद महलवाल जी  – बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश ♦

—————

  • “श्री लेफ्टिनेंट (डॉ•) जयचंद महलवाल जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — यह कविता “मैं हिमाचल हूं” के रूप में हिमाचल प्रदेश की सुंदरता, प्राकृतिक सौंदर्य और साहित्यिक रूपरेखा का सुरुवातीकरण करती है। कविता के व्यक्तिगत व्याख्यानों के माध्यम से कवि हिमाचल प्रदेश की महत्वपूर्ण बातों को स्पष्ट करते हैं। कवि यहां बताते हैं कि वे हिमाचल प्रदेश के हैं, जिन्हें हिमालय का सर्वोत्तम अंश कह सकते हैं। उनका इरादा है कि वे कितनी भी मुश्किलों का सामना करने के बावजूद, किसी भी परिस्थिति में झुकने का नाम नहीं लेंगे। कवि के माध्यम से यह संदेश दिया जाता है कि व्यक्ति को हिमाचल प्रदेश की सुन्दरता का सच्चा संदर्भ समझना चाहिए और उसे अपने कार्यों में इसका सही रूप से पालन करना चाहिए। कवि यह भी दिखाते हैं कि पर्यावरण के साथ कैसे सच्चा संबंध बनाया जा सकता है और उसके प्रति किसी के व्यवहार का क्या प्रभाव हो सकता है। इस कविता में कवि अपने प्राकृतिक धरोहर, अपनी मानवीयता और अपने जीवन के मूल्यों को प्रकट करते हैं। उनकी भावनाओं और विचारों के माध्यम से व्यक्ति को यह बताने का प्रयास किया जाता है कि हिमाचल प्रदेश की अनूठी पहचान क्या है और उसकी महत्वपूर्णता क्या है। कुल मिलाकर, “यह कविता हिमाचल प्रदेश के सौंदर्य, अद्भुतता और विविधता को महसूस करने का एक माध्यम है, साथ ही साहित्यिक दृष्टिकोण से भी यह एक महत्वपूर्ण कविता है।”

—————

यह कविता (मैं हिमाचल हूं।) “श्री लेफ्टिनेंट (डॉ•) जयचंद महलवाल जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें, लघु कथा, सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम लेफ्टिनेंट (डॉ•) जयचंद महलवाल है। साहित्यिक नाम — डॉ• जय अनजान है। माता का नाम — श्रीमती कमला देवी महलवाल और पिता का नाम — श्री सुंदर राम महलवाल है। शिक्षा — पी• एच• डी•(गणित), एम• फिल•, बी• एड•। व्यवसाय — सहायक प्रोफेसर। धर्म पत्नी — श्रीमती संतोष महलवाल और संतान – शानवी एवम् रिशित।

  • रुचियां — लेखक, समीक्षक, आलोचक, लघुकथा, फीचर डेस्क, भ्रमण, कथाकार, व्यंग्यात्मक लेख।
  • लेखन भाषाएं — हिंदी, पहाड़ी (कहलूरी, कांगड़ी, मंडयाली) अंग्रेजी।
  • लिखित रचनाएं — हिंदी(50), पहाड़ी(50), अंग्रेजी(10)।
  • प्रेरणा स्त्रोत — माता एवम हालात।
  • पदभार निर्वहन — कार्यकारिणी सदस्य कल्याण कला मंच बिलासपुर, लेखक संघ बिलासपुर, सह सचिव राष्ट्रीय कवि संगम बिलासपुर इकाई, ज्वाइंट फाइनेंस सेक्रेटरी हिमाचल मलखंभ एसोसिएशन, सदस्य मंजूषा सहायता केंद्र।
  • सम्मान प्राप्त — श्रेष्ठ रचनाकार(देवभूमि हिम साहित्य मंच) — 2022
  • कल्याण शरद शिरोमणि सम्मान(कल्याण कला मंच) — 2022
  • काले बाबा उत्कृष्ट लेखक सम्मान — 2022
  • व्यास गौरव सम्मान — 2022
  • रक्त सेवा सम्मान (नेहा मानव सोसायटी)।
  • शारदा साहित्य संगम सम्मान — 2022
  • विशेष — 17 बार रक्तदान।
  • देश, प्रदेश के अग्रणी समाचार पत्रों एवम पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित।

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