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KMSRAJ51-Always Positive Thinker

“तू ना हो निराश कभी मन से” – (KMSRAJ51, KMSRAJ, KMS)

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गजल हिन्दी मे

मैं क्या मेरी आरज़ू क्या।

Kmsraj51 की कलम से…..

CYMT-KMSRAJ51-4

ϒ मैं क्या मेरी आरज़ू क्या। ϒ

मैं क्या मेरी आरज़ू क्या लाखों टूट गए यहाँ।
तू क्या तेरी जुस्तजू क्या लाखों छूट गए यहाँ।

चश्म-ए-हैराँ देख हाल पूँछ लेते हैं लोग मिरा।
क़रीबी मालूम थे हमें हम-नशीं लूट गए यहाँ।

फूलों की बस्ती में काँटों से तो न डरते थे हम।
सालों से हो रखे थे इकट्ठे ग़ुबार फूट गए यहाँ।

वक़्त के साथ बदल जाने दो ये मज़हबी रिश्ते।
बे-ख़लिश हो जियो जाने कितने रूठ गए यहाँ।

क़ाबिल-ए-इम्तिहाँ जान सब्र परखते हैं मिरा।
सख़्त मिज़ाज है ‘राहत’ वर्ना लाखों टूट गए यहाँ।

डॉ. रूपेश जैन ‘राहत’ – हैदराबाद, तेलंगाना ®

हम दिलसे आभारी है – डॉ. रूपेश जैन ‘राहत’ जी के, हिंदी में ग़ज़ल शेयर करने के लिए।

डॉ. रूपेश जैन ‘राहत’ जी के लिए मेरे विचार:

♣ “डॉ. रूपेश जैन ‘राहत’ जी” ने “मैं क्या मेरी आरज़ू क्या।…“ काे ग़ज़ल के माध्यम से बखूबी समझाने की कोशिश की है – इक – इक शब्द दिल की गहराइयों तक उतरते है। आपके लेखन की खासियत है की बिलकुल खुले मन से लिखते है, आपके लेख के हर एक शब्द दिल को छूने वाले होते है। हर एक शब्द अपने आप में एक पूर्ण सुझाव देता है, फिर चाहे वो नज़्म, गज़ल हो या कवितायें हो या अन्य लेख। जो भी इंसान इनके लेख को दिल से समझकर आत्मसात करेगा उसका जीवन धन्य हो जायेगा।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्सािहत करते हैं।”

In English

Amazing changes the conversation yourself can be brought to life by. By doing this you Recognize hidden within the buraiya ensolar radiation, and encourage good solar radiation to become themselves.

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAJ51

 

 

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जब ज़िन्दा था।

Kmsraj51 की कलम से…..

CYMT-KMSRAJ51-4

ϒ जब ज़िन्दा था। ϒ

जब ज़िन्दा था तो काश तुम सीख लेती जीने का क़ायदा।
शम-ए-तुर्बत१ की रौशनी में ग़मज़दा होने का क्या फ़ायदा॥

इख़्लास-ओ-मोहब्बत२ जुरूरी है मुख़्तसर३ सी ज़िंदगी में।
अपना बनाने को शर्त-ए-मुरव्वत४ रखने का क्या फ़ायदा॥

सर-ए-दीवार५ रोती रह ज़ालिम मैं लौट के नहीं आने वाला।
क़ब्रनशीं के साथ ख़्वाब-ए-क़ुर्बत६ सजाने का क्या फ़ायदा॥

तह-ए-क़ब्र७ तो सुकून-बख़्श मुझे तिरी मौजूदगी खलती है।
मक़्तूल-ए-शौक़८ हूँ अब मोहब्बत जताने का क्या फ़ायदा॥

पास-ओ-लिहाज़९ में बिता दी सारी उम्र फ़ना होने से पहले।
ज़मींदोज हूँ ‘राहत’ ब-सद-इनायत१० दिखाने का क्या फ़ायदा॥

शब्दार्थ:

१ शम-ए-तुर्बत -: क़ब्र पर दीपक
२ इख़्लास-ओ-मोहब्बत -: लगाव और प्रेम

३ मुख़्तसर -: थोड़ा, अल्प
४ शर्त-ए-मुरव्वत -: प्रेम की शर्त

५ सर-ए-दीवार -: दीवार के नीचे
६ ख़्वाब-ए-क़ुर्बत – निकटता के सपने

७ तह-ए-क़ब्र -: समाधी के नीचे
८ मक़्तूल-ए-शौक़ -: प्रेम में मारा गया

९ पास-ओ-लिहाज़ -: सम्मान और ध्यान
१० ब-सद-इनायत -: सैकड़ों तरह की अच्छाई/दयालुता

डॉ. रूपेश जैन ‘राहत’ – हैदराबाद, तेलंगाना ®

हम दिलसे आभारी है – डॉ. रूपेश जैन ‘राहत’ जी के, हिंदी में ग़ज़ल शेयर करने के लिए।

डॉ. रूपेश जैन ‘राहत’ जी के लिए मेरे विचार:

♣ “डॉ. रूपेश जैन ‘राहत’ जी” ने “जब ज़िन्दा था।…“ काे ग़ज़ल के माध्यम से बखूबी समझाने की कोशिश की है – इक – इक शब्द दिल की गहराइयों तक उतरते है। आपके लेखन की खासियत है की बिलकुल खुले मन से लिखते है, आपके लेख के हर एक शब्द दिल को छूने वाले होते है। हर एक शब्द अपने आप में एक पूर्ण सुझाव देता है, फिर चाहे वो नज़्म, गज़ल हो या कवितायें हो या अन्य लेख। जो भी इंसान इनके लेख को दिल से समझकर आत्मसात करेगा उसका जीवन धन्य हो जायेगा।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्सािहत करते हैं।”

In English

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मैंने तो सिर्फ आपसे प्यार करना चाहा था।

Kmsraj51 की कलम से…..

CYMT-KMSRAJ51-4

ϒ मैंने तो सिर्फ आपसे प्यार करना चाहा था। ϒ

🙂 दिल की गहराइयों तक जो उतर जाये – वही शब्द असल में ग़ज़ल कहलायें – मैंने तो सिर्फ आपसे प्यार करना चाहा था।

मैंने तो सिर्फ आपसे प्यार करना चाहा था।
ख़ाहिश-ए-ख़लीक़ इज़हार करना चाहा था।

धुएँ सी उड़ा दी आरज़ू पल में यार ने मिरि।
तिरा इस्तिक़बाल शानदार करना चाहा था।

भले लोगो की बातें समझ न आईं वक़्त पे।
मैंने तो हर लम्हा जानदार करना चाहा था।

तिरे काम आ सकूँ इरादा था बस इतना सा।
तअल्लुक़ आपसे आबदार करना चाहा था।

इंतिज़ार क्यूँ करें फ़स्ल-ए-बहाराँ सोचकर।
चमन ये ‘राहत’ खुशबूदार करना चाहा था।

डॉ. रूपेश जैन ‘राहत’ – हैदराबाद, तेलंगाना ®

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डॉ. रूपेश जैन ‘राहत’ जी के लिए मेरे विचार:

♣ “डॉ. रूपेश जैन ‘राहत’ जी” ने “मैंने तो सिर्फ आपसे प्यार करना चाहा था।…“ काे ग़ज़ल के माध्यम से बखूबी समझाने की कोशिश की है – इक – इक शब्द दिल की गहराइयों तक उतरते है। आपके लेखन की खासियत है की बिलकुल खुले मन से लिखते है, आपके लेख के हर एक शब्द दिल को छूने वाले होते है। हर एक शब्द अपने आप में एक पूर्ण सुझाव देता है, फिर चाहे वो नज़्म, गज़ल हो या कवितायें हो या अन्य लेख। जो भी इंसान इनके लेख को दिल से समझकर आत्मसात करेगा उसका जीवन धन्य हो जायेगा।

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सुना है ज़माने के साथ लोग बदलते हैं।

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ϒ सुना है ज़माने के साथ लोग बदलते हैं। ϒ

🙂 दिल की गहराइयों तक जो उतर जाये – वही शब्द असल में ग़ज़ल कहलायें – सुना है ज़माने के साथ लोग बदलते हैं।

सुना है ज़माने के साथ लोग बदलते हैं।
शहर में कुछ पीर आजकल भी रहते हैं।

आँख भरके देखते हैं क़द्र न की जिसने-
मचलते हैं क्यों इतना पूँछ के देखते हैं।

चाँद से बढ़ कर रोशन सादगी जिनकी।
हर दिन वो शान से बाहर निकलते हैं।

हुजूम से परे उन पर निगाहें ठहर गई।
तितलियाँ मँडरातीं हैं शायद महकते हैं।

उतरे चेहरे सँवार के भी ख़ामोश बहुत-
जहाँ भर की ख़ुशी आस पास रखते हैं।

तिरे पीछे तिरि परछाँइयों से की बातें।
चश्म हैराँ मिरि अक़्स कमाल करते हैं।

मुंसिफ-ए-बहाराँ तिरि एक नज़र को।
‘राहत’ तेरे कूचे से दिन रात गुजरते हैं।

डॉ. रूपेश जैन ‘राहत’ – हैदराबाद, तेलंगाना ®

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गुजरते वक्त की ये शान।

Kmsraj51 की कलम से…..

CYMT-KMSRAJ51-4

ϒ गुजरते वक्त की ये शान। ϒ

गुजरते वक्त की ये शान,
समेटे है जिन्दगी।

गुमराह है जो आप,
लपेटे है जिन्दगी।

कहा सभी को मिला सब कुछ,
हुए अरमान पूरे।

किसी को ताज तो किसी को,
समेटे है जिन्दगी।

खुदा भी आज यहां –
बटता दिखे लकीरों में।

लकीर ही मिटाना सभी,
सीखें हैं जिन्दगी।

गुजरे वक्त की ये शान
समेटे है जिन्दगी।

©- अशोक सिह, – आजमगढ़, उत्तर प्रदेश। ∇

ashok-singh-kmsraj51

हम दिल से आभारी हैं अशोक सिह जी के प्रेरणादायक हिन्दी Ghazal साझा करने के लिए। About Ashok Singh – अशोक जी के शब्दाें में – अभी मैं IAS की तैयारी कर रहा हूँ। दिल मे समाज सेवा की लौ जलाये हुए कुछ बेहतर करने को प्रयासरत हूँ और अपना सत प्रतिशत देने को तत्पर। मेरा HOBBY कविताएं लिखना, दक्षिण भारत की फिल्में देखना, क्रिकेट खेलना ,समाज से जुङे रहना, संगीत सुनना(खासकर पुराने) शामिल है।

अशोक सिह जी के लिए मेरे विचार:

♣ “अशोक सिह जी” की Ghazals के हर एक शब्द में प्राकृतिक सौंदर्य का अलाैकिक सार भरा हैं। जाे हर एक शब्द पर विचार सागर-मंथन कर हृदयसात करने योग्य हैं। Ghazals छोटी और सरल शब्दाे में हाेते हुँये भी हृदयसात करने योग्य हैं। जाे भी इंसान इन Ghazals काे गहराई(हर शब्दाे का सार) से समझकर आत्मसात करें, उसका जीवन धन्य हाे जायें।

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