Kmsraj51 की कलम से…..
ϒ आ जाओ मेरे साजन। ϒ
आ जाओ मेरे साजन – बनके करार।
दिल के रिश्ते हैं यह तन मन के।
आओ निभाएं मिलके।
आ जाओ मेरे साजन – बनके करार दिल के॥०॥
मुझको बनाके अपना – लाए जब अपने अंगना।
हर नाता मेरा छूटा – जब तुम बने हो सजना।
रिश्ता नया बना है – बजते सितार दिल के।
रिश्ते हैं यह तन मन के – आओ निभाएँ मिलके।
आ जाओ मेरे साजन, बनकर करार दिल के ॥१॥
मेरे साथी मेरे हमदम – चलना हमेशा आगे।
अनुगामिनी बनू मैं – दिल में है भाव जागे।
आशीष मिले सबका – सुख-दुख सहेंगे मिलके।
रिश्ते हैं यह तन मन के – आओ निभाएं मिलके।
आ जाओ मेरे साजन – बनके करार दिल के के॥२॥
वादा करो ये मुझसे – वफा करोगे दिल से।
हर गम मुझे कहोगे – तन्हा न कुछ सहोगे।
हर जनम यूं ही मिलना – मेरा सिंगार बन के।
रिश्ते हैं यह तन मन के – आओ निभाएं मिलके।
आजा ओ मेरे साजन – बनके करार दिल के के॥३॥
©- विदुषी शर्मा जी, दिल्ली ∇
ID : neerjasharma98@gmail.com
हम दिल से आभारी हैं विदुषी शर्मा जी के प्रेरणादायक हिन्दी Poem साझा करने के लिए।
विदुषी शर्मा जी के लिए मेरे विचार:
♣ “विदुषी शर्मा जी” की कविताआे के हर एक शब्द में अलाैकिक सार भरा हैं। जाे हर एक शब्द पर विचार सागर-मंथन कर हृदयसात करने योग्य हैं। कविताऐं छोटी और सरल शब्दाे में हाेते हुँये भी हृदयसात करने योग्य हैं। जाे भी इंसान इन कविताओं काे गहराई(हर शब्दाे का सार) से समझकर आत्मसात करें, उसका जीवन धन्य हाे जायें।
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जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।~Kmsraj51
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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)
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