Kmsraj51 की कलम से…..
♦ बढ़ती जनसंख्या। ♦
बढ़ रही जनसंख्या समाज बचाएं,
सबको समझाएं आगे आयें।
मतभेद – मनभेद न पालें सीमित संसाधन,
उत्तम जुगति अपनायें आगे आयें।
अंधविश्वासी देश न हो ईश्वरीय विधान बताके,
भूखा बच्चा न सुलायें आगे आयें।
नियंत्रण आवश्यक कानून बनवाएं,
पालन कराने आगे आयें।
भूख से बेहाल न हो दूध मुहें बालक हमारे,
थोथी ढोल ना बजायें आगे आयें।
बालक दूध नसीब नहीं इधर-उधर की बातें होती,
समय ना गंवायें आगे आयें।
भीड़ बहुत बढ़ रही रोटी के लाले पड़े,
स्त्री मशीनरी नहीं, दुनियां – समझाएं।
विवशता पर चर्चा होगी? स्त्रियों की दुर्दशा होती,
कृत्रिम साधन अपनायें, आगे आयें।
ब्रह्मचर्य – संयम अपनायें बल – बुद्धि बढ़ाएं,
राष्ट्र निकम्मा न हो लोगों से बताएं।
राजनीति में चर्चा होती, उठ कर जानें क्यों दबती,
फिर वही भाषा आती राष्ट्रभाषा अपनाएं।
लंपट के काफिलों में शैतान को पहचानिए,
कानून नया बताएं आगे आयें।
प्रेमचंद का उपन्यास 1929 ई. पढ़ जायें,
नियंत्रण कानून लायें आगे आयें।
हम दो और हमारे दो का मूल मंत्र अपनाएं,
स्वस्थ समाज बनायें आगे आयें।
संतुलित आहार जरूरी, युग परिवर्तन आवश्यक,
खुद बुद्धि सबल बनायें आगे आयें।
जीवन है अनमोल दुधमुंहे को दूध पिलाएं,
बच्चों को मजबूत बनाएं शोक में न आयें।
प्रेमचंद की कहानी ‘ गमी ‘ कहती,
नियंत्रण अपनाए आगे आयें।
भवजाल से ऊपर संकल्प अपनाएं,
अपना संतोष जनक समाज बनाएं।
मजबूत जिगर के बच्चे अपनी धरा पर आएं,
नियंत्रण नियम अपनाएं कानून लाएँ।
ओजस्विता की खोज में भाव सकारात्मक हो,
समय ना गवाएं, कानून बनाएं आगे आयें।
शहर से दूर गांव तक, सौदागरों के ठांव पर,
मालिक दहलीज तक आगे जाएं।
अंधेरे की कोठरी से निकल बाहर आएं,
दूर दृष्टि अपनाएं आगे आएं।
गलतफहमी में तकलीफ भोलेपन से बाहर निकलें,
इंसानियत न छिपाएं जनता को जगाएं।
छोटी सी झुंझलाहट निकालने की आहट,
आगे बढ़ कर आए लोगों को बताएं।
जनसंख्या नियंत्रण कानून मिलकर बनवाएं,
उसका पालन कराने आगे आयें।
♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦
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- “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता में समझाने की कोशिश की है — जनसंख्या नियंत्रण कानून क्यों जरूरी है? जनसंख्या को नियंत्रण करने के लिए हम सभी को आगे क्यों आना है? जनसंख्या को नियंत्रित करने से आने वाली पीढ़ियां ज्यादा तकलीफ में नही रहेंगी। इस संसार के सारे संसाधन सीमित मात्रा में ही है, इसलिए संभल जाएं वरना पछताने के सिवा कुछ नहीं बचेगा।
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यह कविता (बढ़ती जनसंख्या।) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें / लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से।
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