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KMSRAJ51-Always Positive Thinker

“तू ना हो निराश कभी मन से” – (KMSRAJ51, KMSRAJ, KMS)

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You are here: Home / Archives for टीचर्स डे पर कविता छोटी सी

टीचर्स डे पर कविता छोटी सी

हां मैं शिक्षक हूं।

Kmsraj51 की कलम से…..

Haan Main Shikshak Hoon | हां मैं शिक्षक हूं।

A teacher is a guiding force who inspires curiosity, ignites minds, and shapes the future of their students by facilitating learning and discovery.

बुझ चुके चिरागों को फिर से,
जलाने की मुझमें ही तो क्षमता है।
मैं एक शिक्षक हूं, मुझमें पिता का प्यार,
और ममत्व भरी मां की ममता है।

इन्हें कहने दो मुझे जो कहना है,
शिक्षा का सूरज मुझसे ही चमका है।
वह झुग्गियों का चिराग भी आज,
मेरी निरन्तर सिखों से ही तो दमका है।

मैने ही तो पढ़ाया है दुनियां में,
प्यून से पी एम तक के लोगों को।
वे सब भोगते हैं अपनी क्षमतानुसार,
इस संसार के सभी भौतिक भोगों को।

मुझे मेरे ही पढ़ाए लोग ही न जाने,
कब – कब क्या – क्या कह देते हैं?
कुछ लोग तो मुझसे ही सीख कर,
मुझको ही वापिस सीख देते हैं।

मैने कक्षा, कक्ष में ही तो किया है,
संसार के सारे के सारे निर्माणों को।
विश्वाश नहीं होता है अगर किसी को,
तो पढ़ लो ऐतिहासिक के प्रमाणों को।

तकलीफ नही होती है मुझे तब भी,
जब मुझे कोई चेला ही टोकता है।
मैं इस तरह तर्क पैदा करता हूं चेले में,
जिसे आगे बढ़ने से जमाना रोकता है।

चेला मुझसे शिकायत करता है,
मैं ही तो उसको अच्छे से सुनता हूं।
मेरे ही मार्गदर्शन से ही वह आगे चल कर,
अपने भविष्य का जीवन पथ चुनता है।

मैं उसे कभी स्वाभाविक डांटता हूं,
शायद वह मुझसे तब कुछ रूठता है।
पर यह मेरे व्यक्तित्व की कला है शायद,
कि वह दूसरे दिन फिर से मुझे ही पूछता है।

हां मैं शिक्षक था, हूं और रहूंगा,
मुझे खुद के होने पर गर्व होता है।
जब चेला सफल होता है जीवन पथ पर,
तब मेरे लिए वह एक विशेष पर्व होता है।

♦ हेमराज ठाकुर जी – जिला – मण्डी, हिमाचल प्रदेश ♦

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  • “हेमराज ठाकुर जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — कविता में शिक्षक की महिमा और उसकी भूमिका को दर्शाया गया है। एक शिक्षक वह है जो बुझ चुके चिरागों को फिर से जलाने की क्षमता रखता है और अपने छात्रों को सही मार्ग दिखाकर उन्हें जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है। शिक्षक के अंदर पिता का स्नेह और मां की ममता का संगम होता है। शिक्षक समाज के हर तबके, चाहे वह झुग्गियों का बच्चा हो या कोई उच्च पद पर आसीन व्यक्ति, को ज्ञान प्रदान करता है। उसका योगदान इतना महान है कि उसने दुनियाभर के बड़े निर्माण और सफल व्यक्तित्वों को गढ़ा है।शिक्षक अपने छात्रों को स्वाभाविक रूप से डांटता भी है और उनके सवालों का समाधान भी करता है। वह उनके भीतर तर्क और आत्मविश्वास पैदा करता है, ताकि वे अपने भविष्य की राह चुन सकें। शिक्षक की सबसे बड़ी खुशी तब होती है, जब उसका छात्र जीवन में सफल होता है। कवि ने गर्वपूर्वक यह कहा है कि शिक्षक होना एक गौरव का विषय है और यह एक विशेष उत्सव की तरह है जब उसके द्वारा सिखाया गया छात्र अपने जीवन में सफल होता है।

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यह कविता (हां मैं शिक्षक हूं।) “हेमराज ठाकुर जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दों में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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गुरु की महिमा।

Kmsraj51 की कलम से…..

Guru Ki Mahima | गुरु की महिमा।

गुरु ही ले जाये, अंधकार से प्रकाश की ओर।
गुरु की महिमा का न पाया, किसी ने छोर।

प्रथम गुरु जन्मदाता मात-पिता को नमन।
खिलाया जिन्होंने संसार में जीवन का चमन।

द्वितीय स्थान गुरु का, जीवन मे शिक्षक ही पाता।
जो सुप्त भाग्य जगा दे, जीवन निर्मल दे जाता।

गुरु ही बोयें, शिष्यों में संस्कारों के बीज।
नैतिकता, समाजिकता और सिखाएं तहजीब।

आध्यात्मिक गुरु ने ईश्वर से भी उच्च दर्जा पाया।
गुणगान इसकी महिमा का, शास्त्रों ने भी सुनाया।

प्रशस्त करता सन्मार्ग, गुरु ही इस जीवन में।
शिष्य को ये लाकर खड़ा कर दे, खुशियों के उपवन में।

गुरु की महिमा से गुंजायमान है, ये ब्रह्मांड।
शीश झुका करें हम, प्रणाम साष्टांग।

♦ सुशीला देवी जी – करनाल, हरियाणा ♦

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  • “श्रीमती सुशीला देवी जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — कविता में गुरु की महत्वपूर्ण भूमिका को महत्वपूर्णता के साथ दर्शाया गया है। गुरु जी को त्रिविध रूपों में प्रस्तुत किया गया है: प्रथम गुरु (मात-पिता), द्वितीय गुरु (शिक्षक), और आध्यात्मिक गुरु (आध्यात्मिक गुरु)। कविता में यह बताया गया है कि गुरु के बिना हमारा जीवन अधूरा होता है और गुरु के माध्यम से हमें नैतिकता, समाजिकता, और ज्ञान प्राप्त होता है। गुरु की महिमा को सराहा गया है और उनके प्रति प्रणाम और श्रद्धा की भावना व्यक्त की गई है।

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यह कविता (गुरु की महिमा।) “श्रीमती सुशीला देवी जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम श्रीमती सुशीला देवी (राष्ट्रीय नवाचारी शिक्षिका व अंतरराष्ट्रीय साहित्यकार) है। शिक्षा — डी•एड, बी•एड, एम•ए•। मैं राजकीय प्राथमिक पाठशाला, ब्लॉक – घरौंडा, जिला – करनाल, में J.B.T.tr. के पद पर कार्यरत हूँ। मेरी कुछ रचनाओं ने टीम मंथन गुजरात के पटल पर भी स्थान पाया है। मेरी रचनाओं में प्रकृति, माँ अम्बे, दिल की पुकार, हिंदी दिवस, वो पुराने दिन, डिजिटल जमाना, नारी, वक्त, नया जमाना, मित्रता दिवस, सोच रे मानव, इन सभी की झलक है।

  • अनेक मंचों से राष्ट्रीय सम्मान।
  • इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम दर्ज।
  • काव्य श्री सम्मान — 2023
  • “Most Inspiring Women Of The Earth“ – Award 2023
    {International Internship University and Swarn Bharat Parivar}
  • Teacher’s Icon Award — 2023
  • राष्ट्रीय शिक्षा शिल्पी सम्मान — 2021
  • सावित्रीबाई फुले ग्लोबल अचीवर्स अवार्ड — 2022
  • राष्ट्र गौरव सम्मान — 2022
  • गुरु चाणक्य सम्मान 2022 {International Best Global Educator Award 2022, Educator of the Year 2022}
  • राष्ट्रीय गौरव शिक्षक सम्मान 2022 से सम्मानित।
  • अंतरराष्ट्रीय वरिष्ठ लेखिका व सर्वश्रेष्ठ कवयित्री – By — KMSRAJ51.COM
  • अंतरराष्ट्रीय प्रतिभा सम्मान — 2022
  • राष्ट्रीय शिक्षक गौरव सम्मान — 2022
  • राष्ट्रीय स्त्री शक्ति सम्मान — 2022
  • राष्ट्रीय शक्ति संचेतना अवार्ड — 2022
  • साउथ एशिया टीचर एक्सीलेंस अवार्ड — 2022
  • 50 सांझा काव्य-संग्रहों में रचनाएँ प्रकाशित (राष्ट्रीय स्तर पर)।
  • 70 रचनाएँ व 11+ लेख और 1 लघु कथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित (KMSRAJ51.COM)। इनकी 6 कविताएं अब तक विश्व स्तर पर प्रथम और द्वितीय स्थान पा चुकी है, जिनके आधार पर इनको सर्वश्रेष्ठ कवयित्री व पर्यावरण प्रेमी का खिताब व वरिष्ठ लेखिका का खिताब की प्राप्ति हो चुकी है।
  • इनकी अनेक कविताएं व शिक्षाप्रद लेख विभिन्न प्रकार के पटल व पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो रहे हैं।
  • 3 महीने में तीन पुस्तकें प्रकाशित हुए। जिसमें दो काव्य संग्रह “समर्पण भावों का” और “भाव मेरे सतरंगी” और एक लेख संग्रह “एक नजर इन पर भी” प्रकाशित हुए। एक शोध पत्र “आओं, लौट चले पुराने संस्कारों की ओर” प्रकाशित हुआ। इनके लेख और रचनाएं जन-मानस के पटल पर गहरी छाप छोड़ रहे हैं।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

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“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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हां मैं शिक्षक हूं।

Kmsraj51 की कलम से…..

Haan Main Shikshak Hoon | हां मैं शिक्षक हूं।

हां मैं ही वह शिक्षक हूं, जिसने,
चपरासी से राष्ट्रपति तक को है ज्ञान दिया।
करता रहता हूं अपना काम सदा,
किसी ने अधिमान दिया या अपमान किया।

इन्होंने सब कुछ सीख के मुझसे,
मुझे ही भला बुरा कह कर है परेशान किया।
मैने नजर अंदाज कर के फिर से,
नई पीढ़ी को उसी तन्मयता से ज्ञान दिया।

तू उभरे ओ शिष्य मेरे! मैने हर छात्र को,
इसी ही भाव से है वरदान दिया।
वह छात्र पढ़ लिख कर बड़े ओहदे पर,
बैठा तो, उसने मुझे बदनाम किया।

तू लांघ ले भले ही सारी हदें,
मुझे गर्व है कि मैंने तुझे बनाने का काम किया।
मैं खुश हूं तेरी तारकी से पगले,
तूने चाहे मेरी फजीहत की या फिर नाम किया।

♦ हेमराज ठाकुर जी – जिला – मण्डी, हिमाचल प्रदेश ♦

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  • “हेमराज ठाकुर जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — कविता एक शिक्षक के दृष्टिकोण से लिखी गई है जो अपने काम में पूरी ईमानदारी से लगे रहते हैं। वह शिक्षक हमेशा अपने छात्रों को ज्ञान और सिखाने का काम करते हैं, चाहे वो किसी भी स्तर के हों। इस कविता में शिक्षक की महत्वपूर्ण भूमिका को महत्वपूर्णता के साथ दर्शाया गया है, और वे छात्रों के जीवन में गहरा प्रभाव डालते हैं। शिक्षक यहाँ पर अपमान और प्रशंसा के बावजूद अपने काम पर पूरी तरह समर्पित हैं और छात्रों को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।

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यह कविता (हां मैं शिक्षक हूं।) “हेमराज ठाकुर जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दों में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

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शिक्षक को सम्मान चाहिए।

Kmsraj51 की कलम से…..

Teacher Needs Respect | शिक्षक को सम्मान चाहिए।

राही को जो राह दिखाए,
गिरते को ऊपर उठाए।
कच्ची मिट्टी से घड़े बनाए,
धार उनकी कुंद बनाए।
अपनी बिना परवाह किए,
छात्रों का भविष्य बनाए।

मुसीबत आने पर भी,
डिगते नही पथ से कभी।
पथ प्रदर्शक, ज्ञान के दाता,
परखुशी इन्हें खूब है भाता।
सच्चाई की राह दिखाते,
घुलमिल वो सभी से जाते।

त्याग और बलिदान की मूरत,
इनका है राष्ट्र को जरूरत।
देते सेवा हरपल हरदम,
फिर भी जोश न होता कम।
अपने सारे दुख दर्द सहते,
मुंह से कभी उफ न करते।

इतने सारे जतन है करते,
फिर क्यूं इन्हें अपमान है मिलते।
दिल में छुपी एक कसक है,
शिक्षक दिवस पर बयां करते है।
जब गुरु होते है राष्ट्र निर्माता,
प्रताड़ित क्यूं इन्हें किया जाता।

छात्र हित हेतु सर्वस्व करते कुर्बान,
इनपे होना चाहिए राष्ट्र को अभिमान।
स्वाभिमान का इन्हें दान चाहिए,
शिक्षक को सम्मान चाहिए।
शिक्षक को सम्मान चाहिए।

♦ विवेक कुमार जी – जिला – मुजफ्फरपुर, बिहार ♦

—————

• Conclusion •

  • “विवेक कुमार जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — कविता में गुरु या शिक्षक की महत्वपूर्ण भूमिका को बड़ी उच्चता और सम्मान के साथ दर्शाया गया है। यह कविता गुरु या शिक्षक के योगदान को गर्व और सम्मान से देखती है और उनके शिक्षा देने के कार्य की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करती है। इसके अलावा, छात्रों को भविष्य के लिए तैयार करने का महत्व भी बताया गया है और उन्हें सच्चाई की ओर मोड़ने के लिए उत्साहित किया गया है। इसके साथ ही, शिक्षकों को पूर्ण सम्मान और आदर देने की आवश्यकता की भी अपील की गई है।

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यह कविता (शिक्षक को सम्मान चाहिए।) “विवेक कुमार जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मैं एक शिक्षक हूं। मुजफ्फरपुर जिला, बिहार राज्य का निवासी हूं। शिक्षा से शुरू से लगाव रहा है। लेखन मेरी Hobby है। इस Platform के माध्यम से सुधारात्मक संदेश दे पाऊं, यही अभिलाषा है।

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शिक्षक दिवस एवं गुरु वंदना।

Kmsraj51 की कलम से…..

Teacher’s Day and Guru Vandana | शिक्षक दिवस एवं गुरु वंदना।

गुरुवर जैसा नहीं कोई पुज्य,
नहीं है कोई दूजा महान।
गोविंद से पहले करता हूं,
शिक्षक का गुणगान।
गुरु की नजरों में होता है,
कृष्ण – सुदामा एक समान।

आप सा ना कोई इस धरती पर,
आपके पास है ज्ञान का खान।
देकर गुरुवर प्रकाश आपने,
अंधकार से बचा लिया।
धन्य हो गया जीवन,
स्वागत करने का जो मौका दे दिया।

शिक्षक दिवस का दिन है बड़ा महान,
आपके आशीष से, उज्जवल हुआ सारा जहान।
गुरु की चरणों में है चारो धाम,
आपकी चरणों में ” भोला ” का कोटि कोटि प्रणाम।
गुरु-शिष्य का नाता देखो, पिता-पुत्र से कहीं महान,
गुरु ही देते सबको अनुपम वो सकल ज्ञान।

गुरु ही पथ प्रदर्शक,
गुरु से है सबका स्वाभिमान।
अभियंता, नायक, अधिकारी,
डाक्टर हो या हो फिर कर्मचारी।
शिक्षक हैं सबका निर्माता,
ये कैसी बिडम्बना है,
सबके आगे शिक्षक अपना सिर झुकाता।

गुरु कृपा से विकसित हुआ संसार,
राम- कृष्ण भी गए शरण में,
वो भी समझे, गुरु बिना जीवन न संसार।
माँ सरस्वती, भगवान चित्रगुप्त से पहले,
नमन करता हूँ गुरु चरणों में।
मैं अज्ञानी कुछ न मांगू, कुछ न जानूँ,
हाथ रख दो गुरुवर अपना,
जब शीश झुकाएं तेरी चरणों में।

♦ भोला शरण प्रसाद जी – सेक्टर – 150 / नोएडा – उत्तर प्रदेश ♦

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  • “भोला शरण प्रसाद जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — इस कविता में गुरु के महत्व को महत्वपूर्ण रूप से प्रकट किया गया है। गुरु को ज्ञान का स्रोत और जीवन का मार्गदर्शक माना गया है। यह कविता गुरु पूर्णिमा और शिक्षक दिवस के अवसर पर गुरुजी के प्रति श्रद्धाभाव और आभार व्यक्त करने का प्रयास है। गुरु-शिष्य के रिश्ते को पिता-पुत्र के समान महत्वपूर्ण माना गया है और शिक्षक को समाज के निर्माता के रूप में दर्शाया गया है। कविता के अंत में कवि अपने गुरु के चरणों में अपना सिर झुकाते हुए गुरुजी के प्रति अपनी आभार व्यक्त करते हैं।

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यह कविता (शिक्षक दिवस एवं गुरु वंदना।) “भोला शरण प्रसाद जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख/कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मैं भोला शरण प्रसाद बी. एस. सी. (बायो), एम. ए. अंग्रेजी, एम. एड. हूं। पहले केन्द्रीय विघालय में कार्यरत था। मेरी कई रचनाऍं विघालय पत्रिका एंव बाहर की भी पत्रिका में छप चूकी है। मैं अंग्रेजी एंव हिन्दी दोनों में अपनी रचनाऍं एंव कविताऍं लिखना पसन्द करता हूं। देश भक्ति की कविताऍं अधिक लिखता हूं। मैं कोलकाता संतजेवियर कालेज से बी. एड. किया एंव महर्षि दयानन्द विश्वविघालय रोहतक से एम. एड. किया। मैं उर्दू भी जानता हूं। मैं मैट्रीकुलेशन मुजफ्फरपुर से, आई. एस. सी. एंव बी. एस. सी. हाजीपुर (बिहार विश्वविघालय) बी. ए. (अंग्रेजी), एम. ए. (अंग्रेजी) बिहार विश्वविघालय मुजफ्फरपुर से किया। शिक्षा से शुरू से लगाव रहा है। लेखन मेरी Hobby है। इस Platform के माध्यम से सुधारात्मक संदेश दे पाऊं, यही अभिलाषा है।

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“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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हां मुझे शिक्षक होने पर गर्व है।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ हां मुझे शिक्षक होने पर गर्व है। ♦

हां मुझे शिक्षक होने पर गर्व है,
राष्ट्र का निर्माता एवं भविष्य का रक्षक हूं।
हां मुझे गर्व है कि मैं एक शिक्षक हूं,
मैं वो कुम्हार हूं,
जो कच्ची मिट्टी से घड़ा बनाता है।

मैं वो तेल हूं,
जो ज्ञान का दीप जलाता है।
मैं वो मार्गदर्शक हूं,
जो भटके को राह दिखाता है।
मैं वो सत्य हूं,
जो शिक्षा की गंगा बहाता है।

मैं वो राह हूं,
जो बच्चे बूढ़े सब का हमसफर बन जाता है।
मैं वो कलाकार हूं,
जो बिन रंग के जीवन रंगीन बनाता है।
मैं उस पल को जीता हूं,
जब मुझे लोग निर्माता कहते है।

मैं वो सखा हूं,
जो हर पल सजग रहने का पाठ पढ़ाता है।
मैं किसी का मां तो किसी का पिता हूं,
किसी का आस किसी का विश्वास हूं।
कामयाबी की डोर,
उम्मीदों को उड़ान देने वाला पंख हूं।
हां, मैं एक शिक्षक हूं,
हां, मुझे शिक्षक होने पर गर्व है।

♦ विवेक कुमार जी – जिला – मुजफ्फरपुर, बिहार ♦

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• Conclusion •

  • “विवेक कुमार जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — इस संसार में गुरु की जगह कोई भी नही ले सकता। एक सच्चा गुरु सदैव ही सन्मार्ग पर चलकर मर्यादा पुरुषोत्तम ज्ञान व ध्यान से भरपूर जीवन जीने की कला सीखाता है। गुरु सदैव ही जीवन के हर क्षेत्र में वृद्धि चाहते है, उन्नत और प्रगतिशील जीवन के सूत्रधार है गुरु। एक शिक्षक ही होते है जो हमे अच्छी और बुरी आदतों का पहचान करवाते है और वो हमारी बुरी आदतों को छोड़वाने का दिल से पूर्ण प्रयास भी करते हैं। हमें अच्छी आदतों को अपनाने के लिए प्रेरित करते है, सदैव ही आगे बढ़ने का सही ज्ञान देते है।

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यह कविता (हां मुझे शिक्षक होने पर गर्व है।) “विवेक कुमार जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मैं एक शिक्षक हूं। मुजफ्फरपुर जिला, बिहार राज्य का निवासी हूं। शिक्षा से शुरू से लगाव रहा है। लेखन मेरी Hobby है। इस Platform के माध्यम से सुधारात्मक संदेश दे पाऊं, यही अभिलाषा है।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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तुझे वंदन।

Kmsraj51 की कलम से…..

♦ तुझे वंदन। ♦

एक शिक्षक तो होता है, पुंज-प्रकाश का।
जो खुद तप कर, जग में रोशनी फैलाता है।

ये आसमाँ का वो बादल, जो गुणों की बारिश बरसाता है।
अपने ज्ञान की रोशनी से, शिष्य-पथ को चमकाता है।

ये गर हाथ पकड़ ले, तो मंजिल पाना आसान हो जाये।
न घबराना तू फिर, जब तुझें तेरा गुरु राह दिखाये।

गुणों की माला में हरेक मोती, अपने विश्वास के धागे में पिरो जाए।
जब ये खुशबू देने पर आए, हर फूल को महकाये।

सत्य-पथ में गुरु तो, मिलते अनेक है।
शिष्य के व्यक्तित्व में निखार लाना, सबका ध्येय एक है।

तपते इस जीवन में, ठंडक पहुँचाये संस्कारों की।
जो चमके आसमाँ में, ख्वाइश बन जाये उन तारों की।

इनके हुनर को दिल में, समाहित करते है जो।
जिंदगी के हर दुख को, सहजता से हरते है वो।

ये अपने आदर्शों से,गागर में सागर भर जाए।
कोटि-कोटि वंदन गुरु को,बस इससे आगे कलम कुछ लिख न पाए।

♦ सुशीला देवी जी – करनाल, हरियाणा ♦

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  • “श्रीमती सुशीला देवी जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — एक शिक्षक ही होते है जो हमे अच्छी और बुरी आदतों का पहचान करवाते है और वो हमारी बुरी आदतों को छोड़वाने का दिल से पूर्ण प्रयास भी करते हैं। हमें अच्छी आदतों को अपनाने के लिए प्रेरित करते है, सदैव ही आगे बढ़ने का सही ज्ञान देते है। वो शिक्षक ही होते है जो हमें ईर्ष्या, हिंसा, अधर्म, चोरी जैसी बुरी आदतों से दूर रखते है। शिक्षक ही, सही आचरण, नैतिकता का पाठ पढ़ाते है, कर्तव्य, संयम और धैर्य से सही पथ पर चलना सिखाते है। भारत में पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्ण के जन्म दिवस अर्थात 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। उन्होंने अपने छात्रों से अपने जन्म दिवस पर शिक्षक दिवस मनाने की इच्छा जताई थी। पूर्व राष्‍ट्रपति डॉ राधाकृष्‍णन का जन्म 5 सितंबर, 1888 को तमिलनाडु के तिरुमनी गांव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था।

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यह कविता (तुझे वंदन।) “श्रीमती सुशीला देवी जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम श्रीमती सुशीला देवी है। मैं राजकीय प्राथमिक पाठशाला, ब्लॉक – घरौंडा, जिला – करनाल, में J.B.T.tr. के पद पर कार्यरत हूँ। मैं “विश्व कविता पाठ“ के पटल की सदस्य हूँ। मेरी कुछ रचनाओं ने टीम मंथन गुजरात के पटल पर भी स्थान पाया है। मेरी रचनाओं में प्रकृति, माँ अम्बे, दिल की पुकार, हिंदी दिवस, वो पुराने दिन, डिजिटल जमाना, नारी, वक्त, नया जमाना, मित्रता दिवस, सोच रे मानव, इन सभी की झलक है।

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