Kmsraj51 की कलम से…..
Digital Era | डिजिटल जमाना।
अब डिजिटल जमाना हो गया,
सब कुछ फोन में ही खो गया।
सुबह से शाम तक, दिन से रात तक,
चाय की चुस्की से लेकर,
रात के खाने की बात तक।
अब फोन साथी हमारा प्यारा हो गया,
इसने न जाने कितनों का चैन खोया,
इसे देखते रहने की चाह में दिन-रैन रोया।
क्या करे, हम सब की एक मजबूरी,
फोन से ही सारे काम आसान हो गये,
माना कि फोन बहुत ही जरूरी है।
इसके बिना जिन्दगी अधूरी है,
पर इसको अपनी उँगलियों पर नचाना है।
बनानी इक दूरी है, क्योंकि…
अधिकता हर चीज की बुरी है।
समय की जरूरत है,
चलना है समय के साथ,
पर इसके इशारों पर चले,
ना बाँधों इतने, अपने हाथ।
सोचो इसके साथ रहते हमने,
कितना खोया, कितना पाया है।
फोन की तलब लगी इतनी,
फोन हमें किस मोड़ पर ले आया है।
अब डिजिटल जमाना हो गया,
सब कुछ फोन में ही खो गया।
फन्नी वीडियो देखकर,
अब हँसी नहीं, चिंता होती है।
फोन के साथ रहते,
दूसरे कामों की क्या दुर्दशा होती है।
माँ फोन करती-2 जब,
अपने बच्चे को ही उल्टा
लटका कर पकड़ती है।
अब सोचो! मंथन करो,
उस मासूम बच्चे की
जुबां से क्या दुआ निकलती है।
न खाने-पीने की,
ना जागने सोने की खबर।
जहाँ देखों वही पर,
इसके ज्यादा दुष्प्रभावों की नजर।
हाय रे !
डिजीटल होने की दौड़ ने,
हमें कहाँ लाकर छोड़ा है।
नांदान बच्चे सीखें ना जाने क्या क्या,
इसके अच्छे गुणों से मुँह मोड़ा हैं।
अंत में रखना ध्यान इक छोटी सी बात,
चाहें फोन का दिन-रात रखो साथ।
इसमें कभी इतना ना होना व्यस्त,
कि छूट जाएँ अनमोल रिश्तों का हाथ।
♦ सुशीला देवी जी – करनाल, हरियाणा ♦
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- “श्रीमती सुशीला देवी जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — आधुनिकता और डिजिटल उपकरण, स्मार्टफोन इत्यादि का उपयोग अच्छे कार्यों के लिए ही करें, याद रखें — डिजिटल उपकरण के कही आप या आपके बच्चें गुलाम ना बन जाए। माना की डिजिटल उपकरण, स्मार्टफोन इत्यादि जरुरी है लेकिन इनका दुरुपयोग करना ठीक नहीं है। सोचने और जानने की शक्ति प्रभावित करता है स्मार्टफोन, बच्चों में किसी चीज़ को सीखने की ललक बहुत ज्यादा होती है, तो अधिक जिज्ञासा के कारण वह गलत चीज़ें भी सीख सकते हैं। इसके अलावा मेंटल हेल्थ पर भी नकारात्मक प्रभाव होता है अवसाद, नींद पूरी न होना जैसी समस्या होती है। बच्चें मोबाइल का प्रयोग जितना कम समय के लिए करेंगे उतना बेहतर है। स्मार्टफोन के प्रयोग से आजकल के बच्चें ज्यादा गुस्से वाले व चिड़चिड़े हो गए है।
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यह कविता (डिजिटल जमाना।) “श्रीमती सुशीला देवी जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।
आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—
मेरा नाम श्रीमती सुशीला देवी (राष्ट्रीय नवाचारी शिक्षिका व अंतरराष्ट्रीय साहित्यकार) है। शिक्षा — डी•एड, बी•एड, एम•ए•। मैं राजकीय प्राथमिक पाठशाला, ब्लॉक – घरौंडा, जिला – करनाल, में J.B.T.tr. के पद पर कार्यरत हूँ। मेरी कुछ रचनाओं ने टीम मंथन गुजरात के पटल पर भी स्थान पाया है। मेरी रचनाओं में प्रकृति, माँ अम्बे, दिल की पुकार, हिंदी दिवस, वो पुराने दिन, डिजिटल जमाना, नारी, वक्त, नया जमाना, मित्रता दिवस, सोच रे मानव, इन सभी की झलक है।
- अनेक मंचों से राष्ट्रीय सम्मान।
- इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम दर्ज।
- काव्य श्री सम्मान — 2023
- “Most Inspiring Women Of The Earth“ – Award 2023
{International Internship University and Swarn Bharat Parivar} - Teacher’s Icon Award — 2023
- राष्ट्रीय शिक्षा शिल्पी सम्मान — 2021
- सावित्रीबाई फुले ग्लोबल अचीवर्स अवार्ड — 2022
- राष्ट्र गौरव सम्मान — 2022
- गुरु चाणक्य सम्मान 2022 {International Best Global Educator Award 2022, Educator of the Year 2022}
- राष्ट्रीय गौरव शिक्षक सम्मान 2022 से सम्मानित।
- अंतरराष्ट्रीय वरिष्ठ लेखिका व सर्वश्रेष्ठ कवयित्री – By — KMSRAJ51.COM
- अंतरराष्ट्रीय प्रतिभा सम्मान — 2022
- राष्ट्रीय शिक्षक गौरव सम्मान — 2022
- राष्ट्रीय स्त्री शक्ति सम्मान — 2022
- राष्ट्रीय शक्ति संचेतना अवार्ड — 2022
- साउथ एशिया टीचर एक्सीलेंस अवार्ड — 2022
- 50 सांझा काव्य-संग्रहों में रचनाएँ प्रकाशित (राष्ट्रीय स्तर पर)।
- 70 रचनाएँ व 11+ लेख और 1 लघु कथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित (KMSRAJ51.COM)। इनकी 6 कविताएं अब तक विश्व स्तर पर प्रथम और द्वितीय स्थान पा चुकी है, जिनके आधार पर इनको सर्वश्रेष्ठ कवयित्री व पर्यावरण प्रेमी का खिताब व वरिष्ठ लेखिका का खिताब की प्राप्ति हो चुकी है।
- इनकी अनेक कविताएं व शिक्षाप्रद लेख विभिन्न प्रकार के पटल व पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो रहे हैं।
- 3 महीने में तीन पुस्तकें प्रकाशित हुए। जिसमें दो काव्य संग्रह “समर्पण भावों का” और “भाव मेरे सतरंगी” और एक लेख संग्रह “एक नजर इन पर भी” प्रकाशित हुए। एक शोध पत्र “आओं, लौट चले पुराने संस्कारों की ओर” प्रकाशित हुआ। इनके लेख और रचनाएं जन-मानस के पटल पर गहरी छाप छोड़ रहे हैं।
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